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इंदिरा-करीम लाला पर राउत का बयान,गठबंधन में ‘घमासान’,BJP का प्रहार

शिवसेना सांसद संजय राउत अपनी शायरी और बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहते हैं.

अभय कुमार सिंह
भारत
Updated:
इंदिरा-करीम लाला पर राउत का बयान,गठबंधन में ‘घमासान’,BJP का प्रहार
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इंदिरा-करीम लाला पर राउत का बयान,गठबंधन में ‘घमासान’,BJP का प्रहार
(फोटो: अर्निका काला/ क्विंट हिंद)

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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम

शिवसेना सांसद संजय राउत अपनी शायरी और बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहते हैं. फिलहाल, उनकी पार्टी यानी शिवसेना, महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन में है लेकिन संजय राउत के एक बयान ने गठबंधन में घमासान मचाकर रख दिया है. साथ ही बीजेपी भी अब कांग्रेस पर हमलावर हो रही है.

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संजय राउत ने क्या कहा है?

संजय राउत ने एक इंटरव्यू में दावा किया है कि 1960-70 के दशक में इंदिरा गांधी अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला से मिला करती थीं. संजय राउत यहीं नहीं रूकें..मुंबई के अंडरवर्ड डॉन जितने हुए उनपर एक कहानी भी सुना दी. राउत ने कहा-

एक दौर था जब दाऊद इब्राहिम, छोटा शकील और शरद शेट्टी मुंबई के पुलिस कमिश्नर तय किया करते थे. इतना ही नहीं, वो यह भी तय करते थे कि सरकार के किस मंत्रालय में कौन बैठेगा. हमने अंडरवर्ल्ड का वो दौर देखा है, लेकिन अब वो यहां सिर्फ चिल्लर हैं.

अब संजय राउत ने जिस करीम लाला से इंदिरा गांधी के मुलाकात की बात की है, उसके बारे में जानते हैं.

कौन है करीम लाला?

अब्दुल करीम शेर खान, उर्फ करीम लाला. हुसैन जैदी ने अपनी किताब डोंगरी टू मुंबई में अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला को एक सात फीट लंबे-चौड़े पश्तून के तौर पर बताया है. अफगानिस्तान का रहने वाला करीम लाला, अपनी जवानी के दिनों में मुंबई पहुंचा.यहां उसने शुरुआत में डॉक पर काम किया, लेकिन इस आड़ में उसने जल्द ही तस्करी भी शुरू कर दी.1950 और 60 के दशक में, करीम लाला ने जबरन वसूली, शराब तस्करी, सोने-हीरे-जवाहरात की तस्करी के जरिए अपना कारोबार फैलाया. उस वक्त दक्षिण बंबई क्षेत्र में पठानों की एक बड़ी संख्या रहती थी और उसने खुद को पठान नेता के तौर पर पेश करना भी शुरू कर दिया.

बाद के सालों में उसने कई दूसरे कारोबार में भी पैसा लगाया. सिनेमा जगत के कई सितारों के साथ भी उसके नाम जुड़े. करीम खान का एक और किस्सा है जो काफी सुर्खियों में रहता है. करीम लाला ने अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम की पिटाई कर दी थी. ऐसा कहा जाता है कि तस्करी के धंधे में दाऊद के आने से करीम लाला हैरान परेशान था, ऐसे में जब करीम खान के हत्थे दाउद चढ़ा तो फिर करीम खान ने उसकी पिटाई की थी.

बता दें कि संजय राउत काफी सालों तक पत्रकारिता कर चुके हैं और मुंबई के अंडरवर्ल्ड को उन्होंने बारीकी से कवर किया है.

संजय राउत के बयान पर कांग्रेस, एनसीपी की प्रतिक्रिया

संजय राउत के इस बयान से सरकार में उनकी सहयोगी पार्टी कांग्रेस खफा हो गई. कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा, संजय निरुपम खुलकर सामने आए और संजय राउत के बयान को गैर-जिम्मेदाराना बता डाला. देवड़ा ने कहा,

“इंदिरा जी एक सच्ची देशभक्त थीं, जिन्होंने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से कभी समझौता नहीं किया. पूर्व मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में, मैं मांग करता हूं कि संजय राउत जी अपने गैर-जिम्मेदाराना बयान को वापस लें. दुनिया से गुजर चुकी प्रधानमंत्रियों की विरासत पर झूठ फैलाने से पहले राजनीतिक नेताओं को संयम दिखाना चाहिए.”

अब गठबंधन की तीसरी सहयोगी पार्टी एनसीपी का भी इसपर रियक्शन है, एनसीपी सांसद मजीद मेनन का कहना है कि संजय राउत ने इंदिरा गांधी को सम्मान देते हुए और तारीफ करते हुए दावा किया था कि वो पठान नेता करीम लाला से मिलती थीं. कांग्रेस के पास नाराज होने का कारण नहीं है. मेनन ने लिखा कि कांग्रेस को ये नहीं भूलना चाहिए कि लाला और मस्तान जैसे डॉन को माफी दी गई थी.

राउत ने मांगी माफी

इस हंगामे के बीच संजय राउत ने अपने बयान को वापस ले लिया है. राउत का कहना है कि कांग्रेस के हमारे मित्रों को आहत होनी की जरूरत नहीं है.पहले जब इंदिरा जी के ऊपर कोई टिप्पणी करता था, तो बहुत सारे कांग्रेस के मित्र चुप बैठते थे लेकिन मैं सामने आकर उनकी वकालत करता था.

इस बयान वापसी पर भी कांग्रेस का रियक्शन आया है कांग्रेस के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष बालासाहेब थोरात ने कहा कि इस बार राउत ने बयान को वापस ले लिया है, लेकिन अगली बार इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

बीजेपी हमलावर

अब जब तीन सहयोगी आपस में भिड़ते दिख रहे हैं, तो महाराष्ट्र की सत्ता जिसके हाथ से अभी-अभी गई है यानी बीजेपी वो कैसे पीछे रह सकती है. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कांग्रेस से सफाई मांगी है. साथ ही ये भी मांग की कि यह पता लगाया जाना चाहिए कि क्या अंडरवर्ल्ड माफिया कांग्रेस को फाइनेंस करता था?

इस पूरी राजनीति के बीच हमें ये भी नहीं भूलना चाहिए कि कांग्रेस-शिवसेना और एनसीपी का ये गठबंधन कोई नेचुरल गठबंधन नहीं है.ये अलग-अलग विचारधाराओं का गठजोड़ है.और ये सुना ही होगा आपने कि जब अलग-अलग बर्तन एक साथ रखे जाते हैं तो खड़कने की आवाज तो आती ही है लेकिन ये कहना बहुत जल्दबाजी ही होगी कि इससे घर ही टूट जाएगा.

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Published: 16 Jan 2020,10:56 PM IST

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