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17 फरवरी ( शुक्रवार) को कर्नाटक (Karnataka) के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने दो घंटे का बजट भाषण दिया, जो आगामी विधानसभा चुनाव में BJP के प्रमुख फोकस क्षेत्रों की ओर संकेत करता है. वर्ष 2023-2024 के लिए कर्नाटक का बजट 3.09 लाख करोड़ रुपये है. राज्य ने 7.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है और इसकी प्रति व्यक्ति आय 2.04 लाख रुपये से बढ़कर 3.32 लाख रुपये हो गई है.
बजट में किसानों के लिए विशेष प्रावधान, राम मंदिर पर बड़ी घोषणा और कर्नाटक के लिंगायत मठों और हिंदू मंदिरों के लिए कुछ रियायतें शामिल हैं. राजधानी बेंगलुरु के लिए भी बजट में विशेष राशि आंवटित की गई है.
किसानों के लिए प्रावधान: बोम्मई ने 30 लाख किसानों के लिए ऋण के लिए 25,000 करोड़ रुपये की घोषणा की. इसके अतिरिक्त, सरकार ने किसानों को ब्याज मुक्त ऋण पर सीमा को 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने का निर्णय लिया है. राज्य ने रिवॉल्विंग फंड का आकार भी बढ़ा दिया है –बाजार में गिरावट की स्थिति में MSP के तहत अनाज की खरीद के लिए निर्धारित–2,000 करोड़ रुपये से 3,000 करोड़ रुपये कर दिया है.
क्यों? कृषि उपज विपणन (विनियमन और विकास) समिति अधिनियम, 2020 पर हाल के विरोध प्रदर्शनों की बोम्मई सरकार द्वारा किसानों पर ध्यान केंद्रित करने में भूमिका हो सकती है.
चुनावी वर्ष में किसान संगठनों ने APMC एक्ट को निरस्त नहीं करने के लिए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, जो केंद्र द्वारा 2021 में निरस्त किए गए कृषि कानूनों के समान थे. कर्नाटक के किसानों ने कहा था कि APMC एक्ट कृषि उपज बिक्री के लिए सरकारी विनियमित बाजार को खत्म कर देगा.
मंदिरों और मठों के लिए प्रावधान: सीएम ने घोषणा की कि रामनगर में रामदेवरा बेट्टा पर एक 'शानदार राम मंदिर' बनाया जाएगा. साथ ही, मंदिरों और मठों के जीर्णोद्धार के लिए कुल 425 करोड़ रुपये अलग रखा गया है.
राज्य सरकार ने 1,000 करोड़ रुपये देने का भी वादा किया है, जिसे अगले दो वर्षों में मंदिरों और मठों के लिए खर्च किया जाएगा.
क्यों? बजट का यह पहलू BJP की मूल हिंदुत्व विचारधारा और उसकी जनसांख्यिकीय चुनावी गणना के अनुरूप हो सकता है, क्योंकि "राम मंदिर" के अयोध्या में राम मंदिर के समान होने की उम्मीद है, ऐसा करके बीजेपी लिंगायत समुदाय को लुभाना चाहती है.
हाल के दिनों में, बजरंग दल और हिंदू जनजागृति समिति सहित दक्षिणपंथी संगठन लगातार विरोध प्रदर्शन करके सरकार पर हिंदू वोट आधार के लिए अपने समर्थन में सुधार करने के लिए दबाव डाल रहे थे. इस बीच, लिंगायतों का एक वर्ग-पंचमसालिस-पिछड़ा वर्ग सूची की 2A श्रेणी के तहत बेहतर आरक्षण लाभ की मांग कर रहा है.
बेंगलुरु के लिए प्रावधान: राज्य सरकार ने बेंगलुरु में भारी निवेश करने की योजना बनाई है. शहर के बुनियादी ढांचे और सड़कों को दुरूस्त करने के लिए 9,698 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. बजट में "अमृत नगरोत्थान योजना" के तहत बेंगलुरु में बुनियादी ढांचे के काम के लिए 6,000 रुपये रखे गए हैं.
सरकार ने शहर में 195 किमी जल निकासी और पुलिया के विकास के लिए 1,813 करोड़ रुपये प्रदान किए हैं. 108 किमी सड़कों के विकास के लिए 273 करोड़ रुपये अलग रखा गया है.
क्यों? खराब सड़कों और शहरी बुनियादी ढांचे को ठीक नहीं करने के लिए बेंगलुरू में लगातार सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं. हाल ही में, कांग्रेस ने भी अवसंरचना विकास परियोजनाओं को चालू करने में वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए सरकार पर आरोप लगाया था. बेंगलुरु के लिए शुरू किए गए विकास कार्य इस आलोचना को विफल करने का BJP का तरीका हो सकते हैं.
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