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एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) ने रविवार, 27 अगस्त को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर "फर्जी खबरों" की निगरानी के लिए एक फैक्ट चेकिंग यूनिट शुरू करने के कर्नाटक सरकार के फैसले पर चिंता व्यक्त की है. EGI ने जोर देकर कहा कि कंटेंट की इस तरह की जांच करने की कोशिश स्वतंत्र निकायों द्वारा की जानी चाहिए, जो सिर्फ सरकार के दायरे में नहीं हैं, नहीं तो वे असहमति की आवाजों पर नकेल कसने के टूल बन जाएंगे.
Editors Guild of India ने स्टेटमेंट जारी करते हुए कहा कि ऐसे किसी भी मॉनिटरिंग फ्रेमवर्क को नेचुरल न्याय के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए, जिसमें पूर्व सूचना देना, अपील करने का अधिकार और न्यायिक निरीक्षण शामिल है.
Guild ने पहले ही बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें IT नियम 2023 में संशोधन को चुनौती दी गई है, जो एक 'फैक्ट-चेकिंग यूनिट' की स्थापना की अनुमति देता है, जिसके तहत एक्टिक्यूटिव के पास यह निर्धारित करने का सिर्फ एक अधिकार होगा कि क्या नकली है और क्या कंटेंट को हटाने का आदेश देने की शक्तियां हैं.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) द्वारा कर्नाटक सरकार की प्रस्तावित फैक्ट-चेकिंग यूनिट पर चिंता व्यक्त करने के बाद, मंत्री प्रियांक खड़गे ने मंगलवार को कहा कि यूनिट "प्रेस की आजादी को बाधित करने" की कोशिश नहीं करेगी और इसका रुख गैर-राजनीतिक होगा.
कांग्रेस सरकार ने 21 अगस्त को एक बैठक में फैक्ट-चेकिंग यूनिट के गठन को मंजूरी दे दी. इसके बाद गिल्ड ने 27 अगस्त को एक बयान जारी कर सरकार से प्रस्तावित फैक्ट-चेकिंग यूनिट के दायरे और शक्तियों को स्पष्ट करने की गुजारिश की. इसके साथ ही कहा गया है कि यूनिट को "असहमति की आवाजों को दबाने" का साधन नहीं बनना चाहिए.
EGI के स्टेटमेंट पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रियांक खड़गे ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि फैक्ट चेकिंग यूनिट "पूर्वाग्रह से रहित, गैर-राजनीतिक रुख अपनाएगी और जनता को अपनी कार्यप्रणाली पारदर्शी रूप से समझाएगी."
उन्होंने आगे कहा कि सरकार "स्वतंत्र निकायों की स्थापना करने की प्रक्रिया में है, जिन्हें फर्जी खबरों और गलत सूचनाओं से निपटने में हमारी सहायता के लिए लिस्टेड किया जाएगा.
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