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आलिया असदी (Aliya Assadi) को 9 फरवरी बुधवार को ऐसे कई फोन कॉल्स आए, जिसमें उसके साथ गाली-गलौच की गई. इसके बाद 17 साल की इस बच्ची को एहसास हुआ कि उसके फोन नंबर, माता-पिता के नाम और घर के पते जैसे पर्सनल डीटेल्स को उडुपी (कर्नाटक) के व्हॉट्सएप ग्रुप्स में शेयर कर दिया गया है.
बुधवार को इन सभी छह स्टूडेंट्स के एडमिशन फॉर्म्स कॉलेज से लीक कर दिए गए. द क्विंट ने उन ऑनलाइन मैसेजेज को देखा है, जिनमें लड़कियों के नाम और फोटोग्राफ हैं. यह मैसेज दरअसल एक पीडीएफ डॉक्यूमेंट है जिसमें कॉलेज के लेजर से निकाली गई एडमिशन फॉर्म्स की स्कैन की गई कॉपी लगी हुई है. इसी से यह साफ है कि यह कॉलेज से ही लीक हुआ है.
उडुपी के बीजेपी विधायक रघुपति भट इस कॉलेज की डेवलपमेंट कमिटी (सीडीसी) के चेयरमैन हैं. वह दिसंबर 2021 से कह रहे हैं कि हिजाब में कॉलेज आने वाली मुसलिम स्टूडेंट्स को क्लासरूम्स में बैठने नहीं दिया जाएगा. मुस्लिम स्टूडेंट्स ने द क्विंट को बताया कि एडमिशन डॉक्यूमेंट्स सिर्फ कॉलेज के पास हैं.
जब द क्विंट ने आलिया असदी से बातचीत की, उसने बुर्का पहना हुआ था. इससे पहले मीडिया से बातचीत करते हुए वह बुर्का नहीं, हिजाब पहने हुए थी.
हाजरा शिफा उसी कॉलेज में पढ़ने वाली स्टूडेंट है जोकि हिजाब पहनने के अपने हक के लिए लड़ रही है. वह कहती है, “मेरे पेरेंट्स को भी अनजान नंबरों से फोन आ रहे हैं. मैंने उनसे कहा है कि वो लोग फोन ही न उठाएं.” इन स्टूडेंट्स ने कॉलेज प्रशासन से कहा है कि वे इस बात का खुलासा करें कि उनके गोपनीय डीटेल्स सार्वजनिक कैसे हुए.
आलिया कहती है,
वह कहती है, “उन्होंने (रघुपति भट ने) भगवा शॉल वाले प्रोटेस्ट को सपोर्ट करके हमारी लड़ाई को मजहबी बना दिया. उन्होंने स्टूडेंट्स को उकसाया कि वे भगवा शॉल पहनकर आएं. अब उन्होंने न सिर्फ कॉलेज को, बल्कि हमारे घरों को भी अनसेफ बना दिया है.”
हाजरा डॉक्टर या कम से कम रेडियोलॉजिस्ट बनना चाहती है. वह कहती है, “मैं चाहती हूं कि यह सब खत्म हो. वह सिर्फ पढ़ना चाहती हूं और जिंदगी में कुछ बनना चाहती हूं.”
जब द क्विंट ने कॉलेज अथॉरिटी से बात करनी चाही तो उन्होंने लीक हुए डॉक्यूमेंट्स पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
जिन डॉक्यूमेंट्स को लीक किया गया है, उनमें प्रदर्शन करने वाली स्टूडेंट्स की मार्क शीट्स की कॉपियां भी हैं. हालांकि उन सभी को दसवीं की बोर्ड परीक्षाओं में 60 प्रतिशत से ज्यादा नंबर मिले हैं, लेकिन उन सभी को इस बात के लिए निशाना बनाया जा रहा है कि उनका प्रदर्शन बहुत खराब रहा है. आलिया कहती है, “वे लोग झूठी अफवाह फैला रहे हैं कि हमने दसवीं में बहुत बुरा परफॉर्म किया है. अब उन्हें इस बात की फिक्र क्यों नहीं कि हमारी पढ़ाई छूट जाएंगी.” प्री-यूनिवर्सिटी एग्जाम्स इस साल अप्रैल में होने की उम्मीद है.
जनवरी में मुस्लिम लड़कियों ने क्लास के बाहर पढ़ाई की. लेकिन बाद में उन्हें कैंपस से चले जाने को कहा गया. हाजरा कहती है.
बुधवार को कर्नाटक हाई कोर्ट ने हिजाब मामले को एक बड़ी बेंच को भेज दिया. प्रदर्शनकारी मुसलिम स्टूडेंट्स में से एक रेशम ने इस मामले में हाई कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की थी. इस बीच दावों के उलट, द क्विंट को पता चला कि कुछ स्टूडेंट्स को दसवीं के इम्तिहानों में बहुत अच्छे नंबर मिले थे. जैसे मुस्कान जैनब को दसवीं में 87.52 प्रतिशत नंबर मिले थे. रेशम को सोशल साइंस में 80 प्रतिशत और सभी विषयों में कुल मिलकर 67.52 प्रतिशत मिले थे. आलिया असदी को सोशल साइंस में 83 प्रतिशत और कुल मिलाकर 66.72 प्रतिशत नंबर मिले थे.
आलिया कहती है, “मेरे अब्बू ऑटो ड्राइवर हैं. पहले उन्होंने कहा कि हम अमीर हैं. अब वो कह रहे हैं कि मैं गरीब हूं और मुसीबत पैदा कर रही हूं.”
स्टूडेंट्स का कहना है कि इस नफरत ने उन्हें जेहनी तौर पर बहुत परेशान कर दिया है. जब से उन्होंने हिजाब के हक के लिए लड़ाई शुरू की है, उन्हें बहुत कुछ गंवाना पड़ा है.
आलिया कहती है,
इस दौरान उसने अपनी कई दोस्त खो दिए. आलिया बताती है, “इस वजह से कई गैर मुस्लिम दोस्तों से मेरी दोस्ती टूट गई. मुझे नहीं पता कि उन्हें किसने भड़काया. लेकिन मुझे उम्मीद है कि यह सब हमेशा ऐसा नहीं रहेगा.” हाजरा कहती है, “मेरे गैर मुस्लिम दोस्त मुझे नफरत करने लगे हैं.” अब पढ़ाई में उसका पूरा ध्यान नहीं लगता..
हाजरा कहती हैं-
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