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कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री के सुधाकर (K sudhakar) का मानना है कि आजकल की मॉर्डन भारतीय महिलाएं शादी नहीं करना चाहती, बच्चे पैदा नहीं करना चाहती. उनके अनुसार यह चलन पूरी तरह से गलत है.
वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे पर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोलॉजिकल साइंसेज (NIMHANS) के द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में के सुधाकर ने यह बात रखी.
भारतीय समाज पर पश्चिम के प्रभाव को दोष देते हुए वो कहते हैं कि आजकल के लोग अपने माता-पिता को खुद के साथ नहीं रहने देते, "दुर्भाग्य से हम पश्चिमी रास्ते पर चल रहे हैं. हम नहीं चाहते कि हमारे माता-पिता हमारे साथ रहे. दादा-दादी के साथ रहने के बारे में तो भूल ही जाइए".
भारत में मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) पर अपने विचार रखते हुए सुधाकर ने कहा कि हर सातवें भारतीय के साथ मानसिक समस्या है, जो कि कम, मध्यम या गंभीर हो सकता है.
हालांकि, उनके अनुसार, स्ट्रेस मैनेजमेंट यानि तनाव प्रबंधन एक कला है और भारतीय को इसे सीखने की जरूरत नहीं है बल्कि दुनिया को यह बताने की जरूरत है कि इससे कैसे निपटा जाए.
कोरोना और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में सुधाकर ने कहा कि महामारी में लोग अपने प्रियजनों के शरीर को नहीं छू पा रहे थे, जिससे उन्हें मानसिक पीड़ा हुई है.
उन्होंने बताया कि "महामारी ने सरकार को कोरोना के मरीजों की काउंसलिंग शुरू करने पर मजबूर किया हैं. अब तक हमने कर्नाटक में 24 लाख कोरोना मरीजों की काउंसलिंग की है. मैं किसी अन्य राज्य को नहीं जानता जिसने ऐसा किया हो".
साथ ही उन्होंने देशभर में बड़े स्तर पर मुफ्त वैक्सीनेश अभियान चलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ भी की.
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