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केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों द्वारा बुलाए गए 'भारत बंद' के अगले दिन बेंगलुरु में कई किसान संगठन विधानसभा की तरफ मार्च करने के लिए साथ आए. यह प्रदर्शन कर्नाटक लैंड रिफॉर्म्स (अमेंडमेंट) एक्ट 2020 के खिलाफ है.
विधानसभा तक मार्च करने के आह्वान के बाद सोमवार सुबह से ही बेंगलुरु सेंट्रल रेलवे स्टेशन के पास प्रदर्शनकारी जुटने शुरू हो गए. ऐसे में विधानसभा और रेलवे स्टेशन के बाहर भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है. अब तक, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को विधानसभा की ओर मार्च करने की अनुमति नहीं दी है, और उन्होंने प्रदर्शन स्थल को किसी और जगह शिफ्ट करने के लिए कहा है.
बता दें कि नए कानून से संबंधित बिल को कर्नाटक विधानसभा द्वारा सितंबर में पास किया गया था, जब कांग्रेस ने कागज फाड़ दिए थे और वॉकआउट किया था. हालांकि उसके बाद यह बिल विधान परिषद में अटक गया था. मंगलवार को विधान परिषद से भी बिल पास हो गया. इसके बाद किसानों ने अपने प्रदर्शन को तेज कर दिया.
नए संशोधन के जरिए कर्नाटक लैंड रिफॉर्म्स एक्ट 1961 की धारा 79 ए, बी और सी को हटा दिया गया है, जो केवल कृषकों को और प्रति वर्ष 2 लाख रुपये से कम आय वाले लोगों को ही कृषि भूमि खरीदने की अनुमति देता था.
जो किसान इस संशोधन का विरोध कर रहे हैं, उनका मानना है कि अब बड़े कोर्पोरेशन कृषि भूमि खरीदने में सक्षम होंगे. इन किसानों को डर है कि उन्हें जमीन देने के लिए मजबूर किया जा सकता है.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कहा है, ''मेरा किसान नेताओं से अनुरोध है, आपने कल (मंगलवार) को भारत बंद के नाम पर विरोध प्रदर्शन किया, लेकिन हर दिन विरोध प्रदर्शन करना कितना उचित है, यह एक अहम सवाल है. इसलिए, इस तरह के विरोध प्रदर्शनों को बार-बार करने की अनुमति नहीं है. कृपया सरकार का सहयोग करें.''
इसके साथ ही उन्होंने कहा है, ''जो भी हो, चलो बैठो और चर्चा करो. बीजेपी आपसे ज्यादा किसानों का सोचती है. नरेंद्र मोदी किसानों के मुनाफे को दोगुना करने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में, विरोध प्रदर्शन जो लोगों के लिए असुविधा का कारण होगा, सही नहीं है.''
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