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कर्नाटक: कॉलेज में हिजाब पहनने पर रोक के खिलाफ लड़ाई लड़ रही 6 छात्राएं

कॉलेज प्रशासन की ओर से कहा गया कि "कैंपस में किसी भी धार्मिक गतिविधि की अनुमति नहीं दी जाएगी".

मैत्रेयी रमेश
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>सभी छह लड़कियों की 31 दिसंबर से अनुपस्थित दर्ज हो रही है और वे अपनी कक्षाओं में नहीं जा पा रही हैं.</p></div>
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सभी छह लड़कियों की 31 दिसंबर से अनुपस्थित दर्ज हो रही है और वे अपनी कक्षाओं में नहीं जा पा रही हैं.

फोटो- ऑल्टर्ड बाय क्विंट

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कर्नाटक (Karnataka) के उडुपी (Udupi) में सरकारी महिला PU कॉलेज ने हिजाब पहनने वाली छह छात्रओं के प्रवेश पर रोक लगा दी थी जिसके तीन हफ्ते बाद भी वो अपनी कक्षाओं में जाने के लिए कॉलेज प्रशासन से लड़ रही हैं.

कॉलेज प्रशासन ने सभी छह लड़कियों के प्रवेश पर रोक लगाने का कारण बताते हुए कहा है कि "कैंपस में किसी भी धार्मिक गतिविधि की अनुमति नहीं दी जाएगी".

द क्विंट से उन छह छात्रओं में से एक आलिया असदी ने कहा कि एक प्रोफेसर ने उन्हें हिजाब पहनकर प्रवेश करने पर बाहर करने की धमकी दी है.

हम अभी भी कक्षा के बाहर बैठे हैं. हमें कक्षा के अंदर जाने की अनुमति नहीं है. एक दिन हम कक्षा के अंदर गए थे लेकिन प्रोफेसर ने कहा, 'यदि आप कक्षा से बाहर नहीं जाते हैं, तो मैं आपको बाहर धकेल दूंगा' ये प्रोफेसर के शब्द हैं.

इन सभी छह छात्राओं की 31 दिसंबर से कक्षा में 'अनुपस्थिति' दर्ज की जा रही है.


आलिया असदी आगे कहती हैं कि, "हालांकि यह हमारा मौलिक अधिकार है, यह हमारा संवैधानिक अधिकार है, फिर भी वे हमें क्लास में जाने की अनुमति नहीं दे रहे हैं क्योंकि हमने हिजाब पहन रखा है. उस कॉलेज में बहुत भेदभाव किया जाता है और हम उर्दू में बात नहीं कर सकते हैं. हम एक दूसरे को सलाम नहीं कर सकते. उस कॉलेज में इस तरह का भेदभाव किया जा रहा है. यह मामला सांप्रदायिक होता जा रहा है."

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एक्टिविस्ट ने उठाया सवाल- 'क्या कॉलेज लड़कियों को बिंदी पहनने से रोकेगा'

कैंपस फ्रंट उडुपी के एक कार्यकर्ता जम जम कपथी ने द क्विंट को बताया कि क्या कॉलेज पूजा करने से परहेज करेगा या छात्रों को बिंदी नहीं पहनने के लिए कह सकता है.

वो पूछते हैं, "यदि आप कहते हैं कि कोई धार्मिक कार्य नहीं होना चाहिए, तो कोई धार्मिक कार्य नहीं किया जाना चाहिए. लेकिन यहां वे पूजा करते हैं. हम इसके बारे में कुछ नहीं कहते हैं. लोग बिंदी लगाते हैं. यह भी एक धार्मिक गतिविधि है. यह हमारा ड्रेस कोड है, इसलिए हमने उनसे कहा कि हमें हिजाब पहनने दें."

इस वजह से क्लास में उनकी उपस्थिति कम हो गई है. जब हम इस बारे में प्रिंसिपल से बात करने आए तो वे कह रहे हैं कि बच्चों के लिए दाखिले के दौरान आए माता-पिता यहां हों. वे यहां कितने माता-पिता की उम्मीद कर रहे हैं? हमने उन्हें सिर्फ ये कहा कि छात्रों को कक्षा के अंदर आने दें हम यहां से चले जाएंगे.

इन आलोचना का जवाब देते हुए कॉलेज विकास समिति के उपाध्यक्ष यशपाल सुवर्णा ने डेक्कन हेरल्ड को बताया कि कैंपस में 150 मुस्लिम छात्राएं पढ़ रही हैं, लेकिन उनमें से केवल छह ने इस नियम को लेकर मुद्दा खड़ा किया.

उन्होंने आगे कहा "ये लड़कियां जो कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया की सदस्य हैं हमेशा कोई न कोई विवाद खड़ा करती हैं. कॉलेज के अपने नियम, कानून हैं. यूनिफॉर्म समतावादी दृष्टिकोण को दिखाता है."

उडुपी का ये कोई अकेला कॉलेज नहीं है जिसने मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाया है. चिक्कमगलुरु में एक अन्य सरकारी कॉलेज ने भगवा स्कार्फ पर प्रतिबंध लगा दिया, जब 50 छात्रों ने भगवा स्कार्फ पहनकर हिजाब प्रतिबंध का विरोध किया.

बता दें कि स्वरा भास्कर समेत कई लोगों ने ट्विटर पर इन छात्रओं का समर्थन किया और इस मामले को धर्म के आधार पर भेदभाव बताया.

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