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जाति का कुचक्र, कासगंज में दलित शख्स की बारात नहीं निकल पा रही है

संजय बारात घोड़ी चढ़कर जाना चाहते हैं. लेकिन गांव के कुछ ऊंची जाति के लोग ऐसा नहीं होने देना चाहते हैं.

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उत्तर प्रदेश के कासगंज में जातिगत भेदभाव का नया मामला सामने आया है.
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उत्तर प्रदेश के कासगंज में जातिगत भेदभाव का नया मामला सामने आया है.
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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उत्तर प्रदेश के कासगंज में जातिगत भेदभाव का नया मामला सामने आया है. संजय जाटव नाम के दलित समुदाय के शख्स को अपनी शादी में घोड़ी पर बैठकर बारात जाने के लिए जद्दोहजद करनी पड़ी रही है. दरअसल, हाथरस के रहने वाले 27 साल के संजय की शादी 20 अप्रैल को कासंगज के निजामपुर में रहने वाली शीतल से है. संजय बारात घोड़ी चढ़कर जाना चाहते हैं. लेकिन गांव के कुछ ऊंची जाति के लोग ऐसा नहीं होने देना चाहते हैं.

अब कासगंज के डीएम ने कहा है कि प्रशासन ने संजय की शादी के लिए 500 मीटर का रूट मैप तैयार किया है और वो घोड़ी चढ़कर ही बारात जाएगा.

परेशानी कहां पर है?

संजय अपनी जायज मांग के लिए कई बार बार दरख्वास्त लगा चुके हैं. इससे पहले संजय ने पुलिस से अनुमति भी मांगी लेकिन मंजूरी नहीं मिली. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिसवालों ने कानून व्यवस्था का मामला बताते हुए संजय की मांग को खारिज कर दिया, साथ ही 800 मीटर लंबे रास्ते से जाने का सुझाव दिया. जिस गांव में उसकी शादी हो रही है वहां दलितों से ज्यादा उच्च जाति के लोगों का घर है. बताया जा रहा है कि ये तथाकथित उच्च जाति के लोग ये नहीं चाहते कि कोई भी दलित घोड़ी पर अपनी बारात लेकर उनके रास्ते से जाए. परंपराओें के नाम पर दलितों की आजादी पर एक तरह का बैन चिपका दिया गया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी अर्जी लगा चुके हैं संजय

संजय जाटव ने इस बात की मंजूरी के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के शरण में भी पहुंचे, लेकिन वहां से भी उनको राहत नहीं मिली. अब कासगंज के डीएम ने कहा है कि इस बारात के लिए 500 मीटर का रूट तैयार किया गया है, जिस रूट से संजय घोड़ी पर चढ़कर बारात जा सकते हैं.

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