advertisement
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के जम्मू-कश्मीर दौरे के बाद राज्य में 10 हजार अतिरिक्त फोर्स की तैनाती ने दिल्ली से लेकर श्रीनगर तक आशंकाओं और अफवाहों का नया सिलसिला शुरू कर दिया है. राज्य में अमरनाथ यात्रा को लेकर अर्द्धसैनिक बलों के 40 हजार जवान पहले ही तैनात किए जा चुके हैं और अब 10 हजार अतिरिक्त फोर्स की तैनाती की खबरों ने घाटी के लोगों के लिए चिंता की लहर पैदा कर दी है.
कहा जा रहा है कि मोदी सरकार अपने एजेंडे के तहत अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को हटा सकती है और इसके खिलाफ घाटी में होने वाले विरोध को दबाने के लिए अतिरिक्त फोर्स की तैनाती का फैसला किया गया है.
अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को स्पेशल स्टेटस देता है जबकि अनुच्छेद 35ए जम्मू कश्मीर के 'स्थायी निवासियों' को विशेष सुविधा देता है. साथ ही यह अनुच्छेद यह भी परिभाषित करता है कि राज्य के 'स्थायी निवासी' कौन हैं.
हालांकि, गृह मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा कि राज्य में आतंक विरोधी नेटवर्क को मजबूत करने और कानून-व्यवस्था को पुख्ता करने के लिए अतिरिक्त फोर्स की तैनाती की गई है. इससे घाटी के लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है. लेकिन घाटी के लोगों के बीच यह चर्चा गर्म है कि अमरनाथ यात्रा के बाद यहां कुछ बड़ा होने वाला है इसलिए अतिरिक्त फोर्स की तैनाती की गई है.
नेशनल कांफ्रेंस के नेता और पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने सरकार से उन अफवाहों पर अपनी सफाई देने को कहा है, जिसमें कहा जा रहा है कि 15 अगस्त के बाद कश्मीर में एक और लंबा संकट देखने को मिलेगा.
अब्दुल्ला ने कहा कि नौकरशाह अफवाह फैला रहे हैं और लोगों को राशन, दवाइयां व वाहनों के लिए ईंधन जुटाने को कहा जा रहा है, क्योंकि अनिश्चितता का एक लंबा दौर आने वाला है. नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट समेत राज्य के सभी क्षेत्रीय दलों ने अनुच्छेद-35ए और 370 के साथ छेड़छाड़ का विरोध किया है. इसके उलट भारतीय जनता पार्टी का तर्क है कि ये प्रावधान राज्य के एकीकरण में बाधा बनने के साथ ही जम्मू- कश्मीर के विकास में भी बाधा बने हुए हैं.
ये भी पढ़ें : जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की तारीख अभी तय नहीं
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)