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जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाए जाने के खिलाफ और उससे जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन से हलफनामा दाखिल करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला के हाउस अरेस्ट पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है.
इसके अलावा मामले की गंभीरता को देखते सीजेआई रंजन गोगोई ने खुद कश्मीर जाने की बात कही. आइए जानते हैं सुप्रीम कोर्ट में आज क्या-क्या हुआ.
जम्मू-कश्मीर से राज्यसभा सांसद गुलाम नबी आजाद ने अगस्त में 3 बार अपने गृह राज्य का दौरा करने की कोशिश की, लेकिन हर बार प्रशासन ने उन्हें एयरपोर्ट से ही वापस लौटा दिया. जिसके बाद उन्हें कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा. अब सुप्रीम कोर्ट नेगुलाम नबी आजाद को जम्मू-कश्मी जाने की इजाजत दे दी है.
बता दें कि अपने हलफनामे में पहले ही गुलाम नबी आजाद की तरफ से अदालत को भरोसा दिलाया गया था कि इस दौरान वह कोई रैली नहीं करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और सांसद फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी के खिलाफ दाखिल याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस भेजा. तमिलनाडु के नेता और एमडीएमके के चीफ वाइको की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को 30 सितंबर तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया.
वाइको के वकील ने कोर्ट में कहा कि फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी पर केंद्र सरकार अलग-अलग तर्क दे रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक फारूक अब्दुल्ला पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत नजरबंद किए गए हैं. पब्लिक सेफ्टी एक्ट में 2 साल तक किसी शख्स को बिना सुनवाई के हिरासत में रखा जा सकता है.
जम्मू-कश्मीर में मौजूदा हालात पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने कहा, अगर लोग हाईकोर्ट नहीं जा पा रहे हैं तो यह काफी गंभीर हालात हैं. ऐसे में मैं खुद श्रीनगर जाऊंगा. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने कहा कि मैंने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट से एक रिपोर्ट मांगी है. इस रिपोर्ट को देखने के बाद अगर मुझे लगा कि वहां जाना चाहिए तो मैं खुद वहां जाऊंगा.
सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 370 को हटाए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन से हलफनामा दाखिल करने को कहा है. अब इन सभी मामलों पर अगली सुनवाई 30 सितंबर को होगी.
सुप्रीम कोर्ट को केंद्र सरकार ने बताया कि इन 45 दिनों में कश्मीर में एक भी गोली नहीं चलाई गई है, हालांकि हालात को देखते हुए कुछ जगहों पर लोकल बैन लगे हुए हैं.
कश्मीर पर दायर याचिकाओं के जवाब में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, जम्मू-कश्मीर के लगभग 5.5 लाख लोगों ने हॉस्पिटल की ओपीडी में अपना इलाज करवाया है. कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन ने दावा किया था कि कश्मीर में लोगों को मेडिकल सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं.
मीडिया पर पाबंदी से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से जवाब देते हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि मीडिया कर्मियों को उनके काम के लिए लैंडलाइन और बाकी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं. कश्मीर के लोकल सभी समाचार पत्र चल रहे हैं.
बता दें कि कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन ने याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कश्मीर में मीडिया पर लगाए प्रतिबंधों को हटाने की मांग की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा कि जम्मू-कश्मीर में सामान्य जीवन को बहाल किया जाए और ऐसा करते वक्त राष्ट्रीय सुरक्षा को भी ध्यान में रखा जाए.
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