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''मेरा भाई आतंकी नहीं, मजदूर था, पुलिस हिरासत में दी गई यातना''

1990 के दशक से दक्षिण कश्मीर के जिला पुलवामा का त्राल इलाका आतंकी गतिविधियों का गढ़ बना हुआ है

इरफान अमिन मलिक
भारत
Updated:
<div class="paragraphs"><p>मोहम्मद अमीन मलिक</p></div>
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मोहम्मद अमीन मलिक

(फोटो-अलटर्ड बाई द क्विंट)

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मोहम्मद अमिन मलिक 16 मई की शाम को उस समय भाग निकला जब सुरक्षा बल दक्षिण कश्मीर के त्राल में स्थित मचामा में उसके घर के पास पहुंचे. सुरक्षा बलों के घर के अंदर आने से पहले ही 38 वर्षीय अमीन मलिक वहां से भाग निकला . उसके घर से इस दौरान अपंजीकृत राइफल और ब्लीचिंग पाउडर बरामद किया गया था.

अमिन मलिक के छोटे भाई जहूर अहमद मलिक ने कहा कि, "पुलिस ने अमिन मलिक और उसके ठिकानों के बारे में पूछताछ की. जब वह उसे खोज नहीं पाए तो पुलिस ने हमसे कहा कि पूछताछ के लिए उसे पुलिस थाने आना होगा."

अमिन मलिक के लौटने पर उसकी माँ और पत्नी समेत परिवार के अन्य लोगों ने उसे पूछताछ के लिए पुलिस स्टेशन जाने को कहा. मलिक के परिवार ने क्विंट से बात करते हुए बताया कि, "शुरुआत में उसने मना किया लेकिन आखिरकार 22 मई को उसके परिवार के सदस्यों ने उसे त्राल के उस पुलिस थाने में सौंप दिया जहां कि उससे पूछताछ की जानी थी. संबंधित पुलिस अधिकारी ने हमें आश्वासन दिया कि कुछ दिनों बाद उसे सुरक्षित रिहा कर दिया जाएगा.

अमिन मलिक के घर 11 दिन बाद , 2 जून को फिर पुलिस दस्ता पहुंचता है. वे मलिक की मां को त्राल के पुलिस स्टेशन से कुछ ही दूरी पर स्थित स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप कैंप (एसओजी) में लेकर आते हैं. उनसे कहते हैं कि वह अपने बेटे को आत्मसमपर्ण के लिए मनाये.

जहूर ने कहा कि, "माँ को कुछ नहीं पता था कि यहाँ क्या हो रहा है और उन्हें जो आदेश दिया गया उन्होंने उसे बस माना. माँ ने उससे (अमिन मलिक) कहा कि वो हथियार छोड़कर आत्मसमर्पण कर दे. इस दौरान अमिन अपनी माँ से उस कमरे के पास आने के लिए कहने लगा जहां पर वह छिपा था लेकिन सुरक्षा बलों ने उन्हें ऐसा करने नहीं दिया."

पुलिस के मुताबिक आगे की पूछताछ के लिए मलिक को एसओजी कैंप लाया गया था. यहां पर उसने कांस्टेबल अमजद खान की राइफल (एके-47) छीनकर पुलिस कर्मियों पर अधांधुध फायरिंग शुरू कर दी. पुलिस कर्मी अमजद घायल हो गए. जिसके बाद सुरक्षाबलों की ओर से भी जवाबी कार्रवाई की गई. अमीन ने इसके तुरंत बाद कैंप के कमरे में खुद को बंद कर लिया.

पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि, "पुलिस कर्मियों और मलिक की जान को खतरे को देखते हुए उसकी माँ और कार्यकारी मजिस्ट्रेट को एसओजी शिविर में लाया गया. अमिन मलिक को हथियार छोड़कर आत्मसमपर्ण कराने के कई प्रयास किए गए लेकिन वो नहीं माना और उसने कमरे से गोलीबारी जारी रखी. लगातार फायरिंग होने के बाद 2-3 जून को रात को वो मारा गया."

परिवार का आरोप: अमिन मलिक के साथ पुलिस हिरासत में हुई यातना

अमिन मलिक के परिवार वालों का कहना कि उसे औपचारिक तौर पर गिरफ्तार नहीं किया गया था. सिर्फ पूछताछ के लिए पुलिस को सौंपा था.मलिक के भाई जहूर ने कहा कि, "यह सफेद झूठ है कि मलिक को गिरफ्तार किया गया था. तथ्य तो यह है कि उसे परिवार वालों ने ही पूछताछ के लिए पुलिस के हवाले किया था." आगे जहूर ने कहा कि आतंकी गतिविधियों में शामिल होना होता तो वह पहले खुद को पुलिस के हवाले नहीं करता.

"उसको पुलिस हिरासत में लिए जाने के बाद हम लगभग हर दिन उससे मिलते थे. शुरू में वह ठीक था और उसने किसी बात को लेकर कोई शिकायत भी नहीं की थी. समय गुजरने के साथ ही वह उस पर होने वाली यातना की शिकायत करने लगा. आखिरी बार मैं 2 जून को उससे मिला, एसओजी कैंप में हुई पूछताछ के दौरान यातना के कारण उसका घुटना और हाथ टूटा हुआ था."
जहूर
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पुलिस ने परिवार के अमिन मलिक को यातना देने के आरोप से किया इनकार

सीनियर पुलिस अधिकारी ने हिरासत में अमीन को यातना देने के परिवार के आरोप से इनकार किया.पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि "उसे कट्टर बना दिया गया था. पूछताछ के लिए उसे पुलिस स्टेशन लाया गया. परिवार का मलिक को यातना देने की बात निराधार है."

अमिन के भाई जहूर ने कहा कि, "खुदा के अलावा कोई नहीं जानता कि अमीन को कैसे पुलिस हिरासत में मार दिया गया. ,हमें नहीं पता कि पुलिस शिविर के अंदर क्या हुआ? हमें यकीन है कि भाई मजदूर था, आतंकी नहीं."

अमिन मलिक के भाई ने उसके घर से राइफल और अन्य विस्फोटक सामग्री बरामद किये जाने के सवाल पर कहा कि, "बरामद राइफल अपंजीकृत है. यह पारंपरिक कश्मीरी हथियार की तरह था जिसका कि इस्तेमाल हमारे दिवगंत पिता शिकार के लिए करते थे. हमने जिला प्रशासन से इसके पंजीकरण की जांच करने के बारे में कभी नहीं सोचा. राइफल में जंग लग चुकी थी. इसे सिर्फ पिता की याद में रखा हुआ था. सुरक्षा कर्मियों ने जो ब्लीचिंग पाउडर बरामद किया उसका इस्तेमाल पानी की टकिंयों को साफ रखने के लिए रखा जाता है."

अमिन मलिक के परिवार के मुताबिक वह आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन में था, जो कि 2003 के दौरान सक्रिय था और 2004 में उसने आत्मसमर्पण कर दिया था. परिवार ने आगे कहा कि "जेल में तीन साल बंद रहने के बाद और 2007 में रिहा होने के बाद से वह परिवार के भरण पोषण के लिए मजूदरी का काम कर रहा था. वह किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल नहीं था." मलिक के परिवार में पत्नी रिफत और उसके दो बेटे अबरार और नौमान भी है.

अमिन का भाई शब्बीर अहमद मलिक भी अल -कायदा से संबंधित अंसार गजवत-उल-हिंद से जुड़ा एक आतंकवादी था. यह आतंकी समूह जून 2019 में त्राल से खत्म हो गया था. जम्मू-कश्मीर पुलिस के मुताबिक शब्बीर शुरुआत में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा आंतकवादी था. बाद में वह जाकिर मूसा के नेतृत्व वाले आतंकी समूह से जुड़ गया था.

त्राल में बढ़ती हिंसा

जिस दिन मोहम्मद अमीन मलिक को एसओजी कैंप में मारा गया था उसी दिन त्राल इलाके में भाजपा पार्षद राकेश पंडित की गोली मारकर आतंकवादियों ने हत्या कर दी. राकेश पंडित त्राल के स्थानीय निकाय के चेयरमैन थे. पुलिस के मुताबिक तीन अज्ञात आतंकियों के समूह ने राकेश पंडित पर अंधाधुंध गोलीबारी की थी. जिसके बाद उनकी मौके पर ही मौत हो गई. इस गोलीबारी में उनके दोस्त की बेटी आसिफा को भी गंभीर चोटें आई हैं, जिनके कि वह घर गए थे. आसिफा का इलाज अभी अस्पताल में चल रहा है.

इस साल यह तीसरी ऐसी घटना है जहां किसी पार्षद की हत्या हुई है. इससे पहले 30 मार्च को आतंकवादियों ने सोपोर में स्थित नगरपालिका कार्यालय के बाहर आतंकी हमला कर दिया था. इसमें आतंकियों ने भाजपा के दो पार्षद और एक पुलिसकर्मी की हत्या कर दी थी.

राकेश पंडित की हत्या के बाद पीपुल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने हत्या की निंदा करते हुए ट्वीट कर लिखा "एक बार फिर बंदूकधारियों ने एक गैर हमलावर पर हमला किया. यह बंदूक एक अभिशाप है. जरा सोचिए. जिस दिन से यह ख़तरा कश्मीर में आया है हमने क्या देखा है. प्रिय बंदूकधारी, क्या आप वहां वापस जा सकते हैं जहां से आप आए थे. बहुत हो गया."

साल 1990 से दक्षिण कश्मीर के जिला पुलवामा में स्थित आतंकियों का गढ़ रहा है. हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकी रहा बुरहान वानी भी त्राल का ही रहने वाला था. 2016 में यहां 91 लोग मार गए और 12 हजार से अधिक लोग घायल हुए. हालांकि अवंतीपोरा जिला के पुलिस अधिकारी का कहना है कि पिछले 2 सालों में स्थानीय आतंकियों की भर्तियां में काफी गिरावट आई है

मानवाधिकार एक्टिविस्ट और जम्मू-कश्मीर कोयलेशन ऑफ सिविल सोसाइटी के को-आर्डिनेटर खुर्रम परवेज ने क्विंट से कहा कि किसी के भी विचारों को लेकर उसे मारा नहीं जाना चाहिए. हर हत्या की जांच होनी चाहिए वरना अपराध कभी खत्म नहीं होगा और अपराधी हमेशा लोगों को मारने के तरीके खोज लेंगे.

(इरफान अमिन मालिक एक कश्मीर बेस्ड पत्रकार हैं.उनका ट्वीटर हैंडल है -@irfanaminmalik.)

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Published: 07 Jun 2021,08:56 PM IST

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