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Kashmir में फिर एक बार कश्मीरी पंडितों को आतंकवादियों ने टार्गेट किलिंग (Target Killing) का शिकार बनाया है. दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में रविवार, 26 फरवरी की सुबह एटीएम में सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करने वाले 40 साल के एक कश्मीरी पंडित की संदिग्ध आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या (Kashmiri Pandit Killed in Pulwama) कर दी.
बता दें 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के हटने के बाद से ही घाटी में कश्मीरी पंडित आतंकियों के निशाने पर हैं. अब तक राहुल भट, पूरन किशन भट, सुनील कुमार भट की अलग-अलग हमलों में हत्या कर चुके हैं. इसके अलावा पीताम्बर नाथ भट भी आतंकियों के जानलेवा हमले में बुरे तरीके से घायल हो गए थे.
पुलिस के अनुसार एटीएम गार्ड के रूप में काम करने वाले संजय शर्मा को सुबह करीब 11 बजे दक्षिण कश्मीर जिले के अचन इलाके में सीने में एकदम करीब से (प्वांइट ब्लैक) गोली मारी गयी.
कश्मीर जोन पुलिस ने ट्विटर पर जानकारी दी कि, "आतंकवादियों ने स्थानीय बाजार जाते समय संजय शर्मा पुत्र काशीनाथ शर्मा निवासी अचन पुलवामा नाम के अल्पसंख्यक नागरिक पर गोलीबारी की. उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन जख्म के कारण उन्होंने दम तोड़ दिया... इलाके की घेराबंदी कर दी गई है."
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार उनके सहयोगियों ने कहा कि मृतक एक बैंक में एटीएम गार्ड के रूप में काम करता था, लेकिन अपने समुदाय के सदस्यों पर पहले हुए आतंकी हमलों के बाद कुछ समय से ड्यूटी पर नहीं जा रहा था.
नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के नेता उमर अब्दुल्ला ने एक ट्वीट में कहा कि "दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के अचन के संजय पंडित के निधन के बारे में सुनकर गहरा दुख हुआ. संजय एक बैंक सुरक्षा गार्ड के रूप में काम कर रहे थे और आज सुबह एक आतंकवादी हमले में मारे गए. मैं इस हमले की एक स्वर से निंदा करता हूं और उनके प्रियजनों को अपनी संवेदनाएं भेजता हूं."
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कश्मीरी पंडितों की रक्षा करने में विफल रहने के लिए बीजेपी के नेतृत्व वाले केंद्र सरकार को दोषी ठहराया. जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने भी हमले के साजिशकर्ताओं पर निशाना साधा. पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, "कुछ दिन पहले, दक्षिणपंथी आतंकवादियों ने राजस्थान में दो मुसलमानों की हत्या कर दी थी. आज आपने एक हिंदू को मार डाला. आपमें और उनमें क्या अंतर है?"
हालांकि, उन्होंने कहा कि सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि जहां पिछले 30 वर्षों में इस तरह की घटनाओं के सिलसिले में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है, वहीं "पिछले दो वर्षों में इन लक्षित हत्याओं के लिए एक भी हत्यारे को गिरफ्तार नहीं किया गया है."
कश्मीरी पंडित समुदाय ने रविवार की हत्या की निंदा की और इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया. कश्मीरी पंडितों का एक संगठन- कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (केपीएसएस) ने ट्वीट किया कि “मनोज सिन्हा पर शर्म आनी चाहिए."
पिछले साल अक्टूबर में, शोपियां के चौधरी गुंड गांव में एक कश्मीरी पंडित किसान पूरन कृष्ण भट को उनके घर के बाहर संदिग्ध आतंकवादियों ने गोली मार दी थी. इस हत्या ने घाटी से पलायन की एक नई लहर शुरू कर दी थी क्योंकि गांव के दस परिवार जल्द ही जम्मू के लिए रवाना हो गए थे.
2019 में जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करने के बाद से घाटी में कश्मीरी पंडितों और अल्पसंख्यक समुदाय के अन्य सदस्यों पर एक के बाद एक कई हमलें हुए हैं. अक्टूबर 2021 से हमलों में तेजी आई है.
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