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कश्मीरी छात्रों के आगे झुका AMU, तीनों छात्रों का निलंबन वापस

छात्रों ने कहा-देशद्रोह का केस वापस नहीं हुआ तो डिग्री सरेंडर कर घर लौट जाएंगे  

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भारत
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आतंकी के शोक सभा विवाद में 12,00 छात्रों ने दी AMU छोड़ने की धमकी
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आतंकी के शोक सभा विवाद में 12,00 छात्रों ने दी AMU छोड़ने की धमकी
(फोटो: क्विंट)

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1200 कश्मीरी छात्रों के यूनिवर्सिटी छोड़कर घर लौटने की धमकी के बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी प्रशासन ने तीनों छात्रों का निलंबन वापिस ले लिया है. AMU ने आंतरिक समिति की रिपोर्ट के बाद यह फैसला लिया है.  तीनों छात्रों को कथित तौर पर देश विरोधी नारे लगाने के लिए निलंबित किया गया था.

मंगलवार को छात्रसंघ के पूर्व उपाध्यक्ष सज्जाद राथर के नेतृत्व में कश्मीरी छात्रों ने एकजुट होकर प्रदर्शन किया था और धमकी दी थी कि अगर उनकी मांगे नही मानीं गईं तो सभी कश्मीरी छात्र रात-दिन प्रदर्शन कर गुरुवार सुबह सर सैयद डे कार्यक्रम के दौरान एलुमिनाई छात्रों के सामने अपनी डिग्री सरेंडर कर वापस कश्मीर अपने घर लौट जाएंगे. इसके बाद अब यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रों का मांगें मानते हुए दो कश्मीरी छात्रों का निलंबन वापस ले लिया है.

दरअसल, तीन छात्रों पर हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी मन्नान बशीर वानी की नमाज-ए-जनाजा पढ़ने की कोशिश के दौरान देश विरोधी नारे लगाने का आरोप लगा था. जिसके बाद तीनों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया और यूनिवर्सिटी ने उन्हें सस्पेंड कर दिया.

इससे पहले यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता ओमर पीरजादा ने मीडिया को बताया था कि, “कश्मीरी छात्रों ने वीसी से मुलाकात की और अपमी मांगों को सामने रखा. ये सभी छात्र यूनिवर्सिटी का हिस्सा हैं और किसी के भी साथ ज्यादती नहीं होगी. छात्रों को भी अपने लक्ष्य का ध्यान रखना चाहिए, जिसके लिए उन्होंने यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया.”

अपनी मांगों पर अड़े थे कश्मीरी छात्र

AMU छात्र संघ के पूर्व उपाध्यक्ष सज्जाद राथर ने यूनिवर्सिटी के कुलपति तारिक मंसूर को भेजे गये लेटर में कहा है कि अगर कश्मीरी छात्रों की छवि खराब करने की कोशिशें बंद नहीं हुईं तो एएमयू के 1200 से ज्यादा कश्मीरी छात्र आगामी 17 अक्टूबर को यूनिवर्सिटी छोड़कर अपने-अपने घर लौट जाएंगे. उन्होंने लेटर में कहा कि एएमयू प्रशासन की तरफ से इजाजत नहीं मिलने के बाद वानी की नमाज-ए-जनाजा पढ़ने का इरादा छोड़ दिया गया था. जब कोई जमात ही नहीं हुई तो तीन कश्मीर छात्रों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जाना केवल बदले और उत्पीड़न की कार्रवाई है. बड़ी संख्या में कश्मीरी छात्रों ने ये लेटर पिछले शनिवार की रात एएमयू के प्रॉक्टर मोहसिन खान को दिया.

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पूरा मामला क्या है?

AMU के निष्कासित छात्र आतंकवादी मन्नान वानी की नमाज-ए-जनाजा परिसर के अंदर पढ़ने की कोशिश के दौरान राष्ट्र विरोधी नारे लगाने के आरोप में 12 अक्टूबर को तीन कश्मीरी छात्रों वसीम मलिक, अब्दुल मीर और एक अज्ञात छात्र के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था. इसके अलावा AMU प्रशासन ने नमाज ए जनाजा पढ़ने के लिए अवैध रूप से भीड़ इकट्ठा करने के मामले में यूनिवर्सिटी के 9 छात्रों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था.

AMU के प्रवक्ता के मुताबिक, यूनिवर्सिटी प्रशासन को 11 अक्टूबर को खबर मिली थी कि जम्मू-कश्मीर के रहने वाले कुछ छात्र केनेडी हॉल के पास एकत्र हुए हैं और वे वानी की नमाज-ए-जनाजा पढ़ने की फिराक में हैं. इस पर यूनिवर्सिटी के सुरक्षा कर्मी मौके पर पहुंचे.

इसी बीच, AMU छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष फैजुल हसन ने हस्तक्षेप करते हुए कश्मीरी छात्रों को यह नमाज पढ़ने से रोका। उन्होंने बताया कि छात्र संघ नेताओं ने कहा कि एक आतंकवादी के जनाजे की नमाज पढ़ना स्वीकार्य नहीं है और कश्मीरी छात्रों को ऐसा नहीं करने दिया जाएगा. एएमयू सुरक्षा स्टाफ ने भी उन्हें रोका. इस पर दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस भी हुई, लेकिन कुछ देर बाद कश्मीरी छात्र वहां से चले गये.

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Published: 16 Oct 2018,06:29 PM IST

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