advertisement
केरल (Kerala) के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (Arif Mohammed Khan) ने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को पत्र लिखकर वित्त मंत्री केएन बालगोपाल को एक विश्वविद्यालय में हालिया टिप्पणी करने के आरोप में बर्खास्त करने की मांग की है. मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में राज्यपाल आरिफ ने आरोप लगाया कि बालगोपाल ने पिछले सप्ताह तिरुवनंतपुरम के एक परिसर में एक भाषण दिया, जिसमें क्षेत्रवाद और प्रांतवाद की आग भड़काने और भारत की एकता को चोट पहुंचाने का काम किया गया.
रिपोर्ट्स के मुताबिक मंत्री केएन बालगोपाल ने समारोह में देश के अन्य हिस्सों में अधिकारियों द्वारा छात्रों पर हिंसक कार्रवाई को याद करते हुए कहा था कि जो लोग यूपी जैसे स्थानों से आते हैं, उन्हें केरल के विश्वविद्यालयों में एडजस्ट करना और यहां की बातों को समझना मुश्किल हो जाता है.
आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि वित्त मंत्री केएन बालगोपाल की टिप्पणी केरल और भारतीय संघ के अन्य राज्यों के बीच एक दरार पैदा करने की कोशिश करती है और एक गलत धारणा पेश करती है जैसे कि भारत के विभिन्न राज्यों में उच्च शिक्षा के अलग-अलग काएदे हों.
राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को संवैधानिक रूप से उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया.
मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों का हवाला देते हुए पीटीआई ने रिपोर्ट किया कि मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने राज्यपाल के अनुरोध को तुरंत ठुकरा दिया. राज्यपाल के पत्र के बाद राज्य में सत्तारूढ़ वाम मोर्चा की छात्र इकाई ने राजभवन के बाहर विरोध मार्च निकाला.
पिछले दिनों केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने केरल के 9 विश्वविद्यलयों के कुलपतियों को कहा कि वो इस्तीफा दे दें. बता दें कि आरिफ मोहम्मद खान ने 24 अक्टूबर तक इस्तीफा देने की चेतावनी दी थी. इसके बाद अगले दिन जब कुलपतियों ने अपना इस्तीफा नहीं भेजा, तो उन्हें राज्यपाल की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया.
राज्यपाल ने नोटिस में तीन नवंबर तक इस बात पर जवाब मांगा है कि सुप्रीम कोर्ट के 21 अक्टूबर के आदेश के बाद कुलपतियों का अपने पदों पर बने रहने के क्या कानूनी अधिकार है?
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉक्टर एमएस राजश्री की नियुक्ति को रद्द कर दिया था. कोर्ट की जस्टिस एमआर शाह की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि यूजीसी के नियमों के मुताबिक कुलपति का चयन करने के लिए पैनल को तीन नामों की सिफारिश करनी होती है, लेकिन यहां पर केवल एक ही नाम का सुझाव दिया गया था, जो नियमों का उल्लंघन है.
आरिफ मोहम्मद खान के द्वारा दिए गए इस्तीफे के आदेश के बाद कुलपतियों ने केरल हाई कोर्ट का रुख किया. केरल हाई कोर्ट ने सोमवार, 24 अक्टूबर को कुलपतियों को राहत देते हुए कहा कि ये सभी अपने पद पर तब तक बने रह सकते हैं जब तक कि चांसलर/राज्यपाल द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस के आधार पर अंतिम आदेश पारित नहीं कर दिया जाता.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस देवन रामचंद्रन की एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा कि यह कहने के लिए ज्यादा फैसलों की जरूरत नहीं है कि किसी को इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा जा सकता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined