Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019लक्षद्वीप एक्टिविस्ट आइशा को HC से मिली अंतरिम अग्रिम जमानत

लक्षद्वीप एक्टिविस्ट आइशा को HC से मिली अंतरिम अग्रिम जमानत

कोर्ट ने कहा कि अगर उन्हें गिरफ्तार किया जाता है तो उन्हें तत्काल जमानत पर रिहा किया जाएगा

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>फिल्ममेकर और एक्टिविस्ट आइशा सुल्ताना</p></div>
i

फिल्ममेकर और एक्टिविस्ट आइशा सुल्ताना

(फोटो-फेसबुक/आयशा सुल्ताना)

advertisement

केरल हाईकोर्ट ने 17 जून को लक्षद्वीप की फिल्ममेकर आइशा सुल्ताना को उन पर दर्ज किए गए सेडिशन केस में अंतरिम अग्रिम जमानत (एंटरिम एंटिसिपेटरी बेल) दे दी है. आइशा पर लक्षद्वीप के प्रशासक पर विवादित टिप्पणी करने के बाद सेडिशन का केस दर्ज किया गया था. केरल हाईकोर्ट में अंतरिम जमानत याचिका की सुनवाई जस्टिस अशोक मेनन की सिंगल जज बेंच ने की. कोर्ट ने अपना अंतिम आदेश सुरक्षित रखा है.

लाइव लॉ के मुताबिक कोर्ट ने आदेश दिया कि आइशा को कावारट्टी पुलिस स्टेशन में नोटिस के तहत 20 जून को पूछताछ के लिए जाना होगा. हालांकि कोर्ट ने कहा कि अगर उन्हें गिरफ्तार किया जाता है तो उन्हें तत्काल जमानत पर रिहा किया जाएगा.

आइशा ने गिरफ्तारी से संरक्षण के लिए किया था कोर्ट का रुख

आइशा ने कारावट्टी पुलिस स्टेशन की दर्ज की गई एफआईआर के बाद गिरफ्तारी से संरक्षण पाने के लिए कोर्ट की शरण ली थी. ये केस बीजेपी कार्यकर्ता की शिकायत के बाद दर्ज किया गया था. आरोप था कि आइशा ने टीवी डिबेट के दौरान लक्षद्वीप के प्रशासक को 'बायो वेपन' कहा था.

आइशा के वकील ने कोर्ट को बताया- बयान के पीछे का उद्देश्य

आइशा के वकील ने बताया कि उनका बयान लक्षद्वीप के नए प्रशासक के कामकाज को लेकर था, उनके फैसलों की वजह से द्वीप पर हो रही दिक्कतों के लिए आइशा ने बात कही थी. वकील ने कहा कि वो चैनल में डिबेट के दौरान गर्मजोशी में कही गईं थीं. उन्होंने कहा कि सुल्ताना ने इस पर सफाई दी है और माफी भी मांगी है.

सुप्रीम कोर्ट का हुआ जिक्र

सुनवाई के दौरान केदारनाथ बनाम विनोद दुआ मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र हुआ. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा था कि- सरकार की आलोचना चाहे वो सख्त भाषा में ही क्यों ना की गई हो, उसके आधार पर सेडिशन केस नहीं लगाया जा सकता. वकील ने कहा कि इस मामले में कस्टोडियल पूछताछ की जरूरत नहीं है.

इसके बाद लक्षद्वीप सरकार के वकील ने अपना पक्ष रखा और कहा कि आइशा ने लोगों के दिमाग में बंटवारे के बीज डाल दिए हैं. वो फिल्मकार हैं और लोगों को प्रभावित करती हैं. अगर वो ही लोगों को बताएंगी कि भारत सरकार ने द्वीप के लोगों के खिलाफ 'बायोवेपन' छोड़ दिया है तो लोगों में सरकार का सरकार से विश्वास उठने लगेगा.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT