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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बीते दिनों जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाकर उसे मिला विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया. केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद जिस बात की चर्चा सबसे ज्यादा हुई, वो थी कश्मीर में प्लॉट लेने की. कई मीडिया रिपोर्ट्स में भी कहा गया कि आर्टिकल 370 हटने के बाद अन्य राज्यों में रहने वाले लोग भी जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीद सकेंगे.
लेकिन हम आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 भले ही हट गई हो, लेकिन वहां जमीन खरीदने में पेंच फंस सकता है.
आर्टिकल 370 हटाने के साथ ही केंद्र शासित राज्य बना दिए गए जम्मू-कश्मीर में कानून-व्यवस्था और पुलिस का नियंत्रण उपराज्यपाल के माध्यम से सीधे केंद्र के हाथों में रहेगा. लेकिन जम्मू-कश्मीर की जमीन पर फैसले लेने का हक वहां की निर्वाचित सरकार के पास रहेगा.
आकलन और राजस्व संग्रहण सहित भूमि राजस्व, भूमि रिकार्ड रखरखाव, राजस्व उद्देश्य के लिए सर्वेक्षण और राजस्व का हस्तांतरण भी केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की निर्वाचित सरकार के अधिकार क्षेत्र में आएगा.
ऐसा केंद्र शासित राज्य दिल्ली के उलट होगा, जहां भूमि पर नियंत्रण उपराज्यपाल दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के जरिये रखते हैं.
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में पुलिस, कानून - व्यवस्था और भूमि के मामले उपराज्यपाल के सीधे नियंत्रण में होंगे, जहां का प्रशासन केंद्र उपराज्यपाल के जरिये संभालेगा. कानून के तहत लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी.
नवगठित दोनों केंद्र शासित प्रदेश नियत दिन 31 अक्टूबर को अस्तित्व में आएंगे. उसी दिन से जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के लिए साझा हाई कोर्ट होगा.
जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटने के बाद तमाम तरह की आशंकाओं के बीच केंद्र सरकार जमीन खरीदने के लिए 'डोमिसाइल' का प्रावधान ला सकती है. इस प्रावधान से जमीन खरीदने और नए बने केंद्र शासित प्रदेश के नागरिकों के हितों की रक्षा की जा सकती है. डोमिसाइल की जरूरत हिमाचल प्रदेश या अन्य राज्यों के मॉडल पर लाए जाने की संभावना है.
जम्मू-कश्मीर की बीजेपी इकाई के वरिष्ठ नेता निर्मल सिंह ने बताया कि उनकी पार्टी की स्थानीय इकाई ने पहले ही यह सुझाव केंद्र सरकार को दे दिया है और यह विचाराधीन है.
डोमिसाइल के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा प्रावधान हो सकता है कि जो कोई जमीन खरीदना चाहता है या जम्मू - कश्मीर में रोजगार करना चाहता है, उसे एक निश्चित अवधि के लिए यहां रहना चाहिए.
सिंह ने कहा कि इस तरह की जरूरत हिमाचल प्रदेश और कुछ दूसरे राज्यों में भी है. सुझाव पर केंद्र की प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस पर 'विचार' किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि आर्टिकल 370 हटाने के बाद इस तरह के प्रावधान को विस्तृत रूप से पेश किए जाने की उम्मीद है.
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