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नेपाल से पिछले हफ्ते एक रिटायर्ड पाकिस्तानी आर्मी कर्नल का ‘गायब’ होना, एक फोन नंबर और एक ईमेल का सुराग मिलना (ये मामला अब ठंडा पड़ चुका है), भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के एक कथित इंटेलिजेंस ऑपरेशन की ओर इशारा करता है. शायद ये पूरी कवायद आने वाले समय में ‘जासूस अदला-बदली’ के लिए थी.
पाकिस्तानी सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक लेफ्टिनेंट कर्नल (रिटायर्ड) मोहम्मद हबीब जाहिर जो पाकिस्तानी तोपखाने के अधिकारी थे और शक है कि नौकरी में रहते हुए वो एक अंडरकवर आईएसआई एजेंट की तरह नेपाल में काम कर रहे थे. उन्हें एक कॉल (यूके नंबर से) आता है और कोई मार्क थॉम्पसन नाम का एक शख्स उन्हें स्ट्रैटजिक सोल्युसन्स नाम की कंपनी में ‘पक्की नौकरी’ की बात कहता है. ये वेबसाइ़ट फर्म ऑस्ट्रेलिया में रजिस्टर्ड है.
द क्विंट की पड़ताल में ये सामने आया है कि स्ट्रैटजिक सोल्युसंस वेबसाइट www.stratsolutions.biz अब बंद पड़ा है लेकिन वेबसाइट खंगालने के बाद नौकरी के फर्जी धंधे के बारे में काफी दिलचस्प जानकारियां मिलती हैं.
वेबसाइट में हालिया नौकरी डायरेक्टर (इन्वेस्टिगेशन), आईटी लीड (MAS) और वाइस प्रेसिडेंट (सिक्योरिटी एंड इंटेलिजेंस) की निकली हुई थी.
वेबसाइट का ‘हम कौन हैं’ सेक्शन कहता है: “कैसे सरकार और बिजनेस लीडर्स बदलाव के साथ तालमेल बिठाते हैं, वो भी कम खर्च और प्रभावशाली तरीके से? स्ट्रैटजिक सोल्युसंस कंसल्टिंग सर्विस आपको अपने मिशन और लक्ष्य को पूरा करने में मदद करता है."
द क्विंट ने इस यूके नंबर- 00447451203722- पर कई कॉल किए लेकिन एक- दो घंटी के बाद कॉल ऑटोमैटिक जवाब मशीन के पास चली गई. जिसका मतलब ये हो सकता है कि फोन कनेक्शन चालू है लेकिन इनकमिंग कॉल्स को बंद कर दिया गया है.
पाकिस्तान से मिल रही जानकारी के मुताबिक ले. कर्नल जाहिर नेपाल और भारत के बॉर्डर के पास लुंबिनी से लापता हुए. जाहिर 6 अप्रैल को नेपाल आए थे और लुंबिनी ‘नौकरी देने वाली कंपनी’ से मिलने के लिए निकले थे. ये सारी जानकारी उस एफआईआर से मिलती है जो जाहिर के बेटे साद हबीब ने दर्ज कराई है.
कुछ महीने पहले ही लेफ्टिनेंट कर्नल जाहिर ने अपना रेज्यूमे लिंक्डइन और यूनाइटेड नेशन्स के पोर्टल पर डाला था. शुरुआती सर्च में ज्यादा कुछ सामने तो नहीं आया है लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि स्ट्रैटजिक सोल्युसन्स के अधिकारियों से उनकी बातचीत चल रही थी. बातचीत और ईमेल के आदान-प्रदान से लगता है कि जाहिर को विश्वास हो चुका था कि ये नौकरी सही है.
कर्नल जाहिर को $8,500 हर महीने की सैलरी ऑफर की गई थी. लाहौर-ओमान-काठमांडू के राउंड ट्रिप बिजनेस क्लास टिकट उन्हें ईमेल पर भेजे गए थे. रावलपिंडी के पुलिस स्टेशन में फाइल शिकायत के मुताबिक कर्नल जाहिर ने ओमान एयरलाइंस की फ्लाइट नंबर WY344 पर 5 अप्रैल को सफर किया था.
जब वो ओमान पहुंते तो स्ट्रैटजिक सोल्युसंस का प्रतिनिधि जो खुद को जावेद अंसारी बता रहा था, उसने उन्हें रिसीव किया.
6 अप्रैल को तकरीबन दोपहर 1 बजे कर्नल जाहिर ने अपने पर्सनल फोन से पत्नी को मैसेज भेजा कि वो लुंबिनी पहुंच गए है. ये उनका आखिरी मैसेज था. इसके बाद उनका पर्सनल नंबर और अंसारी का दिया फोन दोनों बंद हो गया. लेफ्टिनेंट कर्नल ने काठमांडू से लुंबिनी तक के लिए बु्द्धा एयर फ्लाइट ली थी.
सुरक्षा एजेंसियों के सूत्र बताते हैं कि “ऑपरेशन में भारतीय इंटेलिजेंस का हाथ पूरी तरह से दिखता है” और ले. कर्नल जाहिर “शायद” भारत के किसी सेफ हाउस में रखे गए हैं. या फिर उन्हें भारत- नेपाल बॉर्डर पर किसी नेटवर्क को सौंप दिया गया है.
“इससे ऑपरेशन को नकारने में आसानी होगी” एक पूर्व इंटेलिजेंस ऑफिसर कहते हैं, वो ये भी बताते हैं कि गोरखपुर, नौतनवा और रक्सौल के नेटवर्क बेस का रॉ ने पहले भी इस्तेमाल किया है.
भारतीय सुरक्षा एजेंसी के कई पूर्व अधिकारी जो स्पेशल ऑपरेशन्स का हिस्सा रहे हैं इस बात से सहमत हैं कि पाकिस्तान में भारतीय जासूस कुलभूषण जाधव पर चल रहे केस का पाक कर्नल जाहिर के गायब होने से कनेक्शन है. हो सकता है कि जाधव को मौत की सजा देकर आईएसआई नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच ‘जासूसों की अदला-बदली’ के दौरान सौदे में हावी होना चाहता है.
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