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पाकिस्तान में कथित जासूसी के आरोप में गिरफ्तार भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव की मौत की सजा पर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने रोक लगा दी है. जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया था.
भारत ने पाकिस्तान की सैन्य अदालत के इस फैसले के खिलाफ इस अदालत में 8 मई को अपील की थी. इस मामले में अब 15 मई को सुनवाई होगी.
इस मामले में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा कि कुलभूषण जाधव के साथ न्याय नहीं हुआ है. मामले के दस्तावेजों से जुड़ी हमारी मांग पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई.
उन्होंने ये भी कहा कि कुलभूषण जाधव की मां की ओर से पाकिस्तान की अदालत में दायर याचिका की स्थिति के बारे में भी कोई जानकारी नहीं मिली है.
पाकिस्तान की सेना की अदालत ने 10 अप्रैल को जासूसी और आतंकवाद का आरोप लगाते हुए जाधव को फांसी की सजा सुनाई थी.
आईसीजे के अध्यक्ष रोनी अब्राहम ने पाकिस्तान सरकार को एक पत्र लिखकर भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक लगाने के लिए कहा है.
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के इस फैसले पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा, ‘‘मैंने कुलभूषण जाधव की मां से बात की है और उन्हें इस फैसले की जानकारी दी.
सुषमा ने ट्वीट किया, ‘‘हरीष साल्वे, वरिष्ठ वकील, कुलभूषण जाधव मामले में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में भारत का पक्ष रख रहे हैं.''
आईसीजे से की गई अपील में भारत ने पाकिस्तान पर राजनयिक संबंधों पर वियेना सम्मेलन के ‘‘भीषण'' उल्लंघन का आरोप लगाया है और इस बात पर जोर दिया है कि जाधव का ईरान से अपहरण किया गया था. जाधव, भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त होने के बाद ईरान में व्यावसायिक कामों से गए हुए थे. हालांकि, पाकिस्तान का दावा है कि उसके सुरक्षा बलों ने तीन मार्च, 2016 को बलुचिस्तान से जाधव को गिरफ्तार किया.
भारत ने अपनी अपील में कहा कि उसे जाधव की गिरफ्तारी के लंबे समय बाद तक भी इसकी सूचना नहीं दी गई और पाकिस्तान आरोपी को उसके अधिकारों की जानकारी देने में भी असफल रहा है.
उसने आगे कहा कि वियेना सम्मेलन का उल्लंघन करते हुए पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को काउंसलर दिए जाने की मांग को ठुकरा दिया था. भारत सरकार ने अपील की थी कि कुलभूषण की कानूनी मदद के लिए राजनयिक पहुंच दी जाए.
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