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कॉमेडियन कुणाल कामरा को चार एयरलाइन ने बैन कर दिया है. इंडिगो की फ्लाइट में पत्रकार अर्णब गोस्वामी पर लगातार कटाक्ष करने को लेकर कामरा को इंडिगो, एयर इंडिया, गो एयर और स्पाइसजेट ने बैन किया है. इंडिगो ने कामरा को 6 महीने के लिए प्रतिबंधित किया तो एयर इंडिया ने अगली सूचना तक ये बैन कायम रखा है. लेकिन क्या ये बैन सही हैं? क्या एयरलाइन ऐसा कर सकती हैं और किन नियमों के तहत?
हफपोस्ट ने DGCA के डायरेक्टर जनरल अरुण कुमार के हवाले से कहा है कि ये बैन गलत हैं. कुमार ने बताया, "एयरलाइन के कामरा पर बैन सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट ('उपद्रवी यात्रियों को संभालने' पर CAR सेक्शन 3, सीरीज M, पार्ट Part Vl) रूल का उल्लंघन है. ये रूल 2017 में रिवाइज किए गए हैं."
अरुण कुमार ने कहा कि एयर इंडिया ने इस मामले में समझदारी दिखा कर अगली सूचना तक का बैन लगाया और अब एयरलाइन इन्क्वायरी रिपोर्ट का इंतजार कर रही है. कुमार ने कहा, "बातचीत में हुए विवाद के मामले में बैन 3 महीने से ज्यादा का नहीं होना चाहिए."
हफपोस्ट की खबर छपने के बाद DGCA ने ट्विटर पर अपनी सफाई पेश की है. DGCA ने कहा है कि हफपोस्ट ने अरुण कुमार के बताए तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया है.
DGCA ने कहा कि चारों एयरलाइन का बैन सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट (‘उपद्रवी यात्रियों को संभालने’ पर CAR सेक्शन 3, सीरीज M, पार्ट Part Vl) के मुताबिक ही है.
इसके अलावा सफाई में कहा गया है कि अलग-अलग 'उपद्रवी व्यवहार' के लिए अलग-अलग सजा निर्धारित हैं.
दरअसल, 2017 सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट (CAR) एयरलाइन को उपद्रवी व्यवहार दिखाने वाले यात्रियों से निपटने के लिए 'नो-फ्लाई लिस्ट' बनाने की इजाजत देता है. इस व्यवहार में क्रू और दूसरे यात्रियों के लिए अपशब्द और धमकी भरे शब्द इस्तेमाल करना, शारीरिक रूप से धमकाने के अंदाज में व्यवहार करना या फिर क्रू के काम में जानबूझकर दखलंदाजी करना शामिल है.
उपद्रवी व्यवहार की कैटेगरी
CAR में ऐसे व्यवहार की उनकी गंभीरता को लेकर कैटेगरी बनाई गईं हैं.
अगर किसी शख्स को गृह मंत्रालय ने देश की सुरक्षा को खतरा नहीं बताया है, तो एयरलाइन कार्रवाई पर निर्णय व्यवहार किस कैटेगरी का है, उससे डिसाइड करेगा.
यात्री की शिकायत करना और फ्लाइट बैन लगाना
जिस फ्लाइट में उपद्रवी व्यवहार हुआ है, उसी का पायलट-इन-कमांड ही शिकायत करेगा. इसके बाद आंतरिक कमेटी को मामला भेजा जाएगा. सभी एयरलाइन की आंतरिक कमेटी में ये लोग होने चाहिए -
आंतरिक कमेटी को शिकायत मिलने के 30 दिन के अंदर फैसला करना होता है कि यात्री का व्यवहार किस कैटेगरी का है और कितने महीने का बैन लगना चाहिए. अगर कमेटी 30 दिन में फैसला नहीं कर पाती है तो यात्री के एयरलाइन में यात्रा करने पर कोई रोक नहीं होती.
जब तक कमेटी का फैसला नहीं आता, तब तक एयरलाइन ज्यादा से ज्यादा 30 दिन का अंतरिम बैन लगा सकती है. अगर यात्री को बैन किया जाता है तो उसकी डिटेल एयरलाइन के डेटाबेस में डाली जाती है. इसके अलावा DGCA और दूसरी एयरलाइन को भी जानकारी दी जाती है.
यात्री को कब तक बैन किया जा सकता है?
बैन की समय सीमा व्यवहार की कैटेगरी पर निर्भर करती है.
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