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Lok Sabha Election 2024: 3 अक्टूबर 2021 के बाद से 35 वर्षीय परमजीत कौर के लिए ऐसा कोई दिन नहीं गुजरा जब उन्होंने अपने दिवंगत पति के लिए आंसू न बहाए हों. जब भी परमजीत उनके बारे में बात करती हैं तो गला भर आता है. परमजीत ने रोते हुए क्विंट हिंदी को बताया, ''दलजीत ने मुझसे कहा था कि वे शाम तक वापस आ जाएंगे.''
दलजीत सिंह लखीमपुर खीरी की हिंसा (Lakhimpur Kheri violence) में मारे गए आठ लोगों में से एक थे. भले ही इस मामले में अखबारों की सुर्खियां आगे बढ़ गई हों, इस मामले में पीड़ितों के परिवारों के लिए समय थम गया है.
लखीमपुर खीरी में तिकुनिया रोड पर किसानों को कुचलने वाली कारों का वीडियो वायरल हुआ था. उस समय वहां किसान अब रद्द किए जा चुके कृषि कानूनों को लेकर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. लेकिन कुछ लोगों को यहां घातक मौत मिली थी.
जिस गाड़ी ने किसानों को कुचला वह कथित तौर पर बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा की थी.
पीड़ित परिवारों के घाव पर नमक छिड़कते हुए, लगभग ढाई साल बाद, मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा जमानत पर बाहर है और अजय मिश्रा टेनी को बीजेपी ने लखीमपुर खीरी लोकसभा क्षेत्र से फिर से उम्मीदवार बनाया है. यहां चौथे चरण में मतदान 13 मई को होगा.
क्विंट ने पीड़ित परिवारों से मिलने के लिए लखीमपुर खीरी, बहराईच और धौरेहरा की यात्रा की.
दलजीत सिंह के भाई जगजीत सिंह (45 साल) ने कहा कि अजय मिश्रा टेनी को फिर से चुनाव लड़ने के लिए टिकट देकर, उन्होंने परिवारों को "शर्मिंदा" किया है और दिखाया है कि उन्हें कितनी कम परवाह है.
उन्होंने कहा कि अगर स्थिति इसके विपरीत होती और किसानों ने मंत्री को कुचल दिया होता, तो "अब तक बुलडोजर उनके घरों को जमींदोज कर चुके होते."
यह तथ्य कि आशीष आज जमानत पर बाहर है, ने परिवारों को गहरी चिंता में डाल दिया है. न केवल उनकी सुरक्षा को लेकर, बल्कि कानूनी तौर पर मामला जिस धीमी गति से आगे बढ़ा है और अजय मिश्रा से अभी तक कभी भी जिरह नहीं की गई है.
जगजीत ने कहा, "हमें स्थानीय लोगों ने बताया है कि आशीष को ग्राउंड पर देखा गया है, हालांकि स्थानीय लोग तस्वीरें या वीडियो शूट करने या उसे जमा करने से डर रहे हैं. हालांकि, यह उनकी जमानत शर्तों के खिलाफ है और इसीलिए हमने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है."
दलजीत का बेटा रमनदीप (18) नाबालिग था जब उसने विरोध स्थल पर अपने पिता की हत्या होते देखी थी. जगजीत ने कहा, डेढ़ साल से अधिक समय तक रमनदीप ने खुलकर बात नहीं की. अपने पिता को याद करते हुए रमनदीप ने कहा, "मुझे उनकी बहुत याद आती है, मैं उन्हें हर दिन याद करता हूं, इससे पहले कि हम मांग भी पाते, वह हमें जो भी चाहिए होता था वह दो मिनट के भीतर हमें मिल जाता था."
यहां वीडियो में देखिए पूरी ग्राउंड रिपोर्ट
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