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एक गरीब चरवाहा, सामाजिक न्याय की लड़ाई के कारण बिहार जैसे राज्य का मुख्यमंत्री बना था. इसके बावजूद उसने अपने बदन से आने वाली मिट्टी की गंध को आज तक मिटने नहीं दिया. वो एक ऐसा नेता है, जिसे जनता के नब्ज की समझ है, वो जब बोलता है, तो बड़े-बड़े सियासी धुरंधरा भी ठहर जाते थे. वो बिहार के जिस चौक-चौराहे पर खड़ा हो जाये, वहां हजारों का हुजूम उमड़ पड़ता है. यहां बात किसी और की नहीं, बल्कि राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) की हो रही है.
11 जून को लालू प्रसाद यादव अपना 76वां जन्मदिन मनाएंगे. इस बार का जन्मदिन RJD अध्यक्ष के लिए कई मायनों में खास है. पहला, लालू यादव शरीर से स्वस्थ्य हैं और दूसरा घर में पोती 'कात्यायनी' का भी आगमान हो चुका है. साथ ही, बिहार में RJD गठबंधन की सरकार है, जिसने लालू की सियासी ताकत को और मजबूत कर दिया है. यानी लालू और उनके परिवार के लिए फुल एंजॉयमेंट का समय है.
ऐसे में आइये आपको RJD अध्यक्ष के वो पांच बड़े फैसले बताते हैं, जिसके कारण लालू, आज लालू प्रसाद यादव बन पाये और उनके इन फैसलों की चर्चा, आज भी, और आगे आने वाले समय में भी होती रही रहेगी.
अपने मुख्यमंत्री पद के पहले टर्म में ही लालू यादव ने एक बड़ा राजनीतिक फैसला, लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार करने का लिया. यह एक बड़ी चुनौती थी. आडवाणी भारतीय राजनीति में एक बड़े कद के नेता थे. केंद्र में वीपी सिंह की सरकार बीजेपी के समर्थन पर चल रही थी.
लालू यादव ने 23 अक्टूबर 1990 को समस्तीपुर के सर्किट हाउस से आधी रात के बाद उनको गिरफ्तार किया. आडवाणी ने वीपी सिंह, मुलायम सिंह यादव समेत सभी नेताओं को चुनौती दी थी कि कोई उनको गिरफ्तार करके दिखाये. इस चुनौती को युवा मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने स्वीकार किया और उनको गिरफ्तार कर लिया.
लालू यादव बिहार के मुखयमंत्री के तौर पर अपने दूसरे टर्म 1996 में विवादों में आ गये और चारा घोटाले में आरोपी बन गये. उस वक्त उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा. तब, उन्होंने पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया. ये उनके राजनीतिक जीवन का बड़ा टर्निंग प्वाइंट था. राबड़ी देवी केवल नाम के लिए सीएम थीं, सारा काम लालू ही रिमोट कंट्रोल से करते थे. राबड़ी सिर्फ कक्षा आठवीं तक पढ़ी हैं.
चारा घोटाले में नाम आने के बाद लालू यादव मुख्यमंत्री पद छोड़ने को तैयार हो गये, लेकिन उनकी इच्छा थी कि उन्हें जनता दल का अध्यक्ष रहने दिया जाये, पर ऐसा नहीं हुआ. इसके बाद लालू यादव ने 5 जुलाई 1997 में राष्ट्रीय जनता दल का गठन किया. उन्होंने बिहार में RJD को खड़ा किया और साल 2000, 2015, 2020 में RJD बिहार की नंबर वन पार्टी बनी.
लालू यादव 2004 से 2009 तक केंद्र की UPA सरकार में रेल मंत्री रहे. उन्होंने रेल मंत्री के रूप में कई ऐतिहासिक काम किये, फिर चाहे वो गरीबों के लिए सस्ती रेल यात्रा संभव कराना हो, या फिर रेलवे को मुनाफा पहुंचाना हो, लालू यादव का रेल मंत्री का कार्यकाल हमेशा याद किया जायेगा.
लालू यादव, विद्यार्थियों को मैनेजमेंट का ज्ञान देने अहमदाबाद पहुंचे थे. यहां उन्होंने रेलमंत्री बनने के बाद से मंत्रालय में हुई प्रगति के बारे में विद्यार्थियों से तीन घंटे तक चर्चा की थी.
लालू यादव की जिंदगी का एक बड़ा फैसला खुद को एक ऐसे नेता के रूप में प्रचारित करने का था, जो जय प्रकाश नारायण (JP) और राम मनोहर लोहिया की छवि का प्रतिनिधित्व करता हो. उन्होंने बिहार की छवि को आंदोलन की धरती के रूप हमेशा बरकरार रखा.
इन सबसे इतर, लालू के व्यक्तित्व की एक खास बात उनका ठेठ गंवई अंदाज और मसखरापन वाला स्वभाव है, जो उनको व्यक्तिगत रूप से बिहार की दलित, पिछड़ी और गरीब जनता के करीब लाती है. ऐसे लोग उनमें अपने मसीहा होने का अनुभव करते हैं. यही वजह है कि तमाम आपराधिक गतिविधियों और जरायम पेशे की जमीन रहा बिहार, उनके देसी परिवेश और मुंहफट बोलचाल की शैली में अपनापन महसूस करता है.
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