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लालू पर चारा घोटाले के कितने केस? कितनी सजा, जुर्माना? पूरा ब्योरा

लालू सबसे पहले मामले में 2013 में दोषी पाए गए थे

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लालू सबसे पहले मामले में 2013 में दोषी पाए गए थे
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लालू सबसे पहले मामले में 2013 में दोषी पाए गए थे
(फोटो:PTI)

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झारखंड हाईकोर्ट ने आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले से जुड़े दुमका ट्रेजरी केस 17 अप्रैल को जमानत दे दी. लालू यादव चारा घोटाले से जुड़े चार मामलों में दोषी पाए जा चुके हैं. पुराने मामलों में उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है. अब दुमका ट्रेजरी केस में जमानत मिलने के बाद लालू साढ़े तीन साल बाद रिहा हो सकेंगे.

पिछले 2 दशकों से ज्यादा समय से चारा घोटाले के कई केस कोर्ट में चल रहे हैं और उनपर सुनवाई भी होती रही है. दुमका ट्रेजरी केस मामले में जमानत के लिए लालू ने फरवरी में भी हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन उस समय कोर्ट ने जमानत नहीं दी थी.

लालू पर चारा घोटाले से जुड़े कई केस चल रहे थे. वो इनमें से चार मामलों में दोषी पाए गए थे और 2017 से जेल में थे. हालांकि, लालू सबसे पहले मामले में 2013 में दोषी पाए गए थे.  

ये केस क्या हैं और लालू को क्या सजा मिली थी, इसका पूरा ब्योरा यहां जान लीजिए.

केस 1: 37.7 करोड़ का घोटाला, चाईबासा ट्रेजरी

चारा घोटाले से जुड़े चाईबासा ट्रेजरी मामले में साल 2013 में लालू प्रसाद यादव को कोर्ट ने सजा सुनाई थी. सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 30 सितंबर 2013 को सभी 45 आरोपियों को दोषी ठहराया था. लालू समेत इन आरोपियों पर चाईबासा ट्रेजरी से 37.70 करोड़ रुपये अवैध तरीके से निकालने का दोषी पाया गया.

इस मामले में 3 अक्टूबर 2013 को कोर्ट ने सजा सुनाई. लालू प्रसाद को 5 साल की सजा हुई थी. साथ ही 25 लाख का जुर्माना भी लगा. कुछ महीने जेल में रहने के बाद लालू प्रसाद यादव जमानत पर बाहर आ गए थे. 

केस 2: 84.5 लाख का घोटाला, देवघर ट्रेजरी

चारा घोटाले का ये मामला देवघर ट्रेजरी से फर्जी तरीके से 84.5 लाख रुपये अवैध तरीके से निकालने का है. इस पूरे मामले में कुल 34 आरोपी थे, जिनमें से 11 की मौत हो चुकी है, जबकि एक आरोपी ने अपना गुनाह कबूल कर लिया और सीबीआई का गवाह बन गया.

इस मामले में लालू को 23 दिसंबर 2017 को दोषी ठहराया गया था और 6 जनवरी को साढ़े तीन साल कैद की सजा सुनाई गई थी. साथ ही उनपर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया. 
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केस 3: 33.67 करोड़ का घोटाला, चाईबासा ट्रेजरी

चाईबासा ट्रेजरी से 1992-93 में 67 फर्जी आवंटन पत्र के आधार पर 33.67 करोड़ रुपए की अवैध निकासी की गई थी. इस मामले में 1996 में केस दर्ज हुआ था. जिसमें कुल 76 आरोपी थे.

सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 24 जनवरी 2018 को लालू को दोषी करार देते हुए 5 साल की सजा सुनाई. सजा के साथ-साथ 10 लाख का जुर्माना भी लगा. इस मामले में बिहार के एक और सीएम जगन्नाथ मिश्रा को भी 5 साल की सजा सुनाई गई थी. 

केस 4: 3.13 करोड़ का घोटाला, दुमका ट्रेजरी

ये मामला दिसंबर 1995 से जनवरी 1996 के बीच दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ रुपये फर्जी तरीके से निकालने का है. इस मामले में सीबीआई ने 48 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी. जिनमें से बाद में 14 आरोपियों की मौत हो गई. एक ने अपराध स्वीकार कर लिया और दो सरकारी गवाह बन गए.

एक स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने 24 मार्च 2018 को लालू प्रसाद यादव को इस मामले में 14 साल जेल की सजा सुनाई थी. इसके अलावा लालू पर IPC के कई सेक्शन और भ्रष्टाचार कानून के तहत 60 लाख और 30 लाख का जुर्माना लगाया गया था.  

क्या है चारा घोटाला?

ये पूरा मामला बिहार सरकार के खजाने से गलत तरीके से पैसे निकालने का था. कई सालों में पशुपालन विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों ने राजनीतिक मिली-भगत के साथ करोड़ों की रकम निकाली थी. जिसमें जानवरों को खिलाये जाने वाले चारे और पशुपालन से जुड़ी चीजों की खरीदारी के नाम पर करीब 950 करोड़ रुपये सरकारी खजाने से फर्जीवाड़ा करके निकाल लिए गए.

90 के दशक में चारा घोटाले का खुलासा होते ही बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया था. 1996 में इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ तो इसके लपेटे में तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद यादव भी आ गए थे. चारा घोटाले का दाग उनकी जिंदगी पर ऐसा लगा कि उन्हें सलाखों के पीछे तक जाना पड़ा. लालू यादव 1990-97 तक 7 साल बिहार के मुख्यमंत्री रहे, उन्हीं के कार्यकाल के दौरान चारा घोटाले का खुलासा हुआ. 1996 तक बिहार का बंटवारा नहीं हुआ था. झारखंड के चाईबासा में इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ था.

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