क्या बिहार में बिहारियों को मिलेगा 80 फीसदी आरक्षण?

बन रही है राजनीतिक पार्टियों में आम सहमति, जीतन राम मांझी तो बोले 90 फीसदी हो आरक्षण

भाषा
भारत
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(फोटो: पीटीआई)
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बिहार में हर मोर्चे और मुद्दे पर लालू यादव और नीतीश कुमार की जुगलबंदी देखने को मिल रही है. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने बिहार के नौजवानों को राज्य में आरक्षण दिए जाने की मांग की है. उन्होंने नौकरियों और एजुकेशनल इंस्टीच्यूट में दाखिला मामले में 80 फीसदी आरक्षण दिए जाने का मुद्दा उठाया है.

लालू यादव की इस मांग पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी अपनी सहमति जताई है.

“राज्य के लोगों को मिलनी चाहिए वरीयता”

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह मुद्दा ‘संदर्भ से बाहर’ नहीं है. अगर गंभीर विचार-विमर्श के बाद सभी पार्टियों के बीच आम सहमति बनती है तो इस दिशा में कदम उठाये जा सकते है.

मूल निवासी होने का मुद्दा संदर्भ से बाहर नहीं है. देश के विभिन्न भागों में स्थानीय आरक्षण का मुद्दा जोर पकड़ रहा है और इसलिए केंद्र को स्थानीय लोगों की हितों की रक्षा के लिए कुछ ‘‘ठोस व्यवस्था’’ बनाने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए.
नीतीश कुमार, (मुख्यमंत्री बिहार)

वह और उनकी पार्टी बहुत हद तक इस बात के पक्ष में हैं कि बिहार के निवासियों को राज्य की नौकरियों में वरीयता मिलनी चाहिए.

दूसरी पार्टियों ने भी किया समर्थन

राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने स्थानीय आरक्षण की वजह से बिहारियों के दूसरे राज्यों की नौकरियों से वंचित रह जाने और राज्य में उच्च योग्यता वाली कुछ नौकरियों के मामले में नुकसान की स्थिति में रहने को लेकर चिंता जताई थी.

विपक्षी पार्टी बीजेपी ने भी स्थानीय लोगों के लिए आरक्षण मुद्दे का समर्थन किया है.

पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा है कि वह लालू की बात का समर्थन करते हैं. लालू ने बहुत अच्छी बात कही है. बिहारवासियों को 80 प्रतिशत नहीं बल्कि 90 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए.

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