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भारत में कोरोना की दूसरी लहर का कहर जारी है. इस बीच यूके की प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल लांसेट में छपे एक पेपर में अतंरराष्ट्रीय समुदाय को उन तरीकों के बारे में बताया है, जिनसे भारत की ज्यादा बेहतर मदद की जा सकती है.
पेपर में लांसेट पैनल की भारत के बारे में जारी गाइडलाइन की चर्चा भी है. अप्रैल में जारी की गईं इन गाइडलाइन में वह तरीके बताए गए थे, जो भारत को कोरोना की दूसरी लहर में टिकाए रखने में मददगार होते. लेकिन इन सुझावों में बताई गई चीजों से भारत अब भी काफी दूर नजर आ रहा है.
लांसेट के इस पेपर को पांच विदेशी भारतीय विशेषज्ञों- क्रुतिका कुप्पाली, पूजा गाला, कार्तिकेय चेराबुड्डी, एसपी कालांत्रि, मनोज मोहनन और भ्रमर मुखर्जी ने लिखा है.
लांसेट के मुताबिक भारत को कोरोना की असली तस्वीर समझने और उसके आधार पर फैसले लेने के लिए इसके मामलों, हॉस्पिटलाइजेशन और मौतों के आंकड़े में पारदर्शिता लानी होगी.
बता दें कई जगह कोरोना से होने वाली मौतों, कम टेस्ट लगाए जाने की शिकायतें आ रही हैं. गुजरात के दिव्य भास्कर के मुताबिक, राज्य में 1 मार्च से 10 मई के बीच 1.23 लाख डेथ सर्टिफिकेट जारी हुए थे, लेकिन इनमें से कोरोना से सिर्फ 4,218 मौतें दर्ज की गईं.
जबकि पिछले साल इसी अवधि में सिर्फ 58,000 डेथ सर्टिफिकेट जारी हुए थे. इतने ज्यादा अंतर के हवाले से दिव्य भास्कर ने रिपोर्ट में दावा किया था कि गुजरात में कोरोना से हुई मौतों को छुपाया जा रहा है. दैनिक भास्कर ने इसी तरह की पड़ताल भोपाल में भी की थी.
जीनोम सीक्वेंसिग को बढ़ाया जाए- लांसेट की गाइडलाइन में ओपन डाटा सेट बनाने के साथ-साथ कुल टेस्ट के 5 फीसदी हिस्से की जीनोम सीक्वेंसिंग की सलाह दी गई है. जीनोम सीक्वेंसिंग समेत कोविड संक्रमण से होने वाली मौतों को उम्र और लिंग के आधार पर सार्वजनिक करने की बात भी कही गई है.
गाइडलाइन्स में कोविड-19 वैक्सीन को उस आबादी को प्राथमिकता पर वैक्सीन लगाने का सुझाव दिया गया, जो ज्यादा खतरे में है.
सभी राज्यों में वैक्सीन प्रोक्योरमेंट और उसकी दर में मोलभाव में सहायता करने और राज्यों के बीच में कोर्डिनेशन भरी रणनीति बनाने का सुझाव दिया गया.
वैक्सीन की लोकल मैन्यूफैक्टचरिंग कैपेसिटी को बढ़ाया जाए. साथ ही अच्छी सप्लाई तय की जाए.
हाल में 1 मई से भारत ने 18 से ज्यादा उम्र वाले लोगों के लिए वैक्सीनेशन चालू किया था, लेकिन इसमें भी वैक्सीन की कमी के चलते तेजी नहीं आ सकी है. सरकार ने हाल में दो डोज के बीच के इंटरवल को भी बढ़ा दिया है, ताकि ज्यादा लोगों को एक डोज लगा सके. इसके पीछे भी वैक्सीन की कमी को वजह बताया गया है.
पिछले दिनों केंद्र सरकार, राज्य सरकार और सीरम इंस्टीट्यूट के बीच वैक्सीन की अलग-अलग दरों को लेकर भी विवाद हुआ था. फिर यह भी सामने आई थी कि सीरम इंस्टीट्यूट पूरी दुनिया में सबसे महंगी कोविशील्ड भारत में राज्य सरकारों और निजी अस्पतालों को बेच रहा है.
गाइडलाइन्स में आरटी-पीसीआर टेस्ट में विस्तार और मरीजों को लक्षणों के आधार पर अस्पताल में भर्ती होने की छूट देने को कहा गया. साथ में टेस्ट के नतीजों को पारदर्शी बनाने और जल्दी देने की सलाह भी दी गई.
बता दें हाल में उत्तरप्रदेश में अस्पताल में भर्ती होने के लिए सीएमओ के रेफरल लेटर को लागू कर दिया गया था. इसके अलावा टेस्ट में होने वाली देरी की भी पूरे देश से शिकायतें आ रही हैं.
इसके तहत 2 हफ्ते के क्वारंटीन और आइसोलेशन को स्थानीय स्तर पर प्रबंधित करने की सलाह दी गई. साथ ही संक्रमित शख्स के करीबी लोगों को तुरंत आइसोलेट किया जाए.
10 लोगों से ज्यादा के जमावड़ों को हर जगह प्रतिबंधित किया जाए. इंडोर पब्लिक स्पेस को बंद किया जाए.
लेकिन हमने देखा कि कैसे भारत में 2 लाख से ज्यादा मामले लगातार आने के बाद भी बंगाल में चुनावी रैलियां आयोजित की जाती रहीं, यहां तक कि कुंभ के आयोजन को भी अनुमति दे दी गई.
पहले से मेडिकल सर्विस की मांग का अनुमान लगाकर रखा जाए. बैकअप के तौर पर पहले से प्रशिक्षित मेडिकल ट्रेनीज को तैयार रखा जाए. बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाएं. प्राइवेट पार्टनर्स के साथ टेंपरेरी केंद्र बनाए जाएं.
अस्पतालों, टेस्टिंग साइट्स और वैक्सीनेशन सेंटर्स को सुपर स्प्रेडर साइट बनने से रोकने का प्रबंध किया जाए. साथ ही अस्पतालों में काम करने वाले लोगों को हाई-क्वालिटी पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट उपलब्ध करवाए जाएं.
1) स्वास्थ्य क्षमताओं को बढ़ाने में करें भारत की मदद- भारत में ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर्स, वेटिंगलेटर्स, मेडिकेशन, पीपीई और रैपिड डॉयग्नोस्टिक टेस्ट की जरूरत है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर को देश में ऑक्सीजन उत्पादन बढ़ाने और सप्लाई के इंपोर्ट में मदद कर सकता है. इसके लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थान, स्थानीय संगठनों या संस्थानों के साथ समझौता भी कर सकते हैं.
2) ग्लोबल पार्टनर्स को भारत में कोविड वैक्सीन की सप्लाई बढ़ाने के लिए मदद करनी होगी. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को वैक्सीन पर अपने इंटेलेक्चुअल राइट्स खत्म करने चाहिए, साथ ही अपनी अतिरिक्त वैक्सीन को भारत भेजना चाहिए.
3) अंतरराष्ट्रीय समुदाय को लेबोरेटरी टेस्टिंग और जीनोम सीक्वेंसिंग में मदद देनी चाहिए. भविष्य में आने वाले उछाल और नए वेरिएंट की पहचान के लिए इन्हें तेज करना होगा.
4) भारत में मैदान पर काम करने वाले लोगों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय ट्रेनिंग दे सकता है. खासकर नॉन फिजिशियन हेल्थकेयर में काम करने वाले लोगों को, जो टेस्टिंग और वैक्सीनेशन में मदद कर सकते हैं.
5) अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां भारत में राज्यों और स्थानीय साझेदारों के साथ काम कर सकती हैं, जिससे संसाधनों के परिवहन में मदद मिल सके. इन संसाधनों में ऑक्सीजन के डिब्बे, कंसन्ट्रेटर्स, मेडिकेशन, क्वारंटीन सेंटर का निर्माण आदि शामिल हैं.
6) भारत दुनिया में वैक्सीन का सबसे बड़ा निर्माता है. यहां आए संकट से दुनिया में सप्लाई बिगड़ गई होगी. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आपस में समन्वय बनाकर इसे ठीक करना चाहिए.
7) भारत में कोरोना के मामलों में उछाल पूरे दक्षिण एशिया के लिए एक क्षेत्रीय आपदा बन सकता है. ऐसे में इस वायरस के पड़ोसी देशों में विस्तार को रोकने के लिए सर्विलांस सिस्टम, यात्रा प्रतिबंधों और क्वारंटीन व्यवस्था को मजबूत करना होगा. अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसमें मदद कर सकता है.
8) वैश्विक राजनैतिक नेताओं को भारत के साथ मिलकर विज्ञान आधारित उपायों से इस वायरस के प्रसार को रोकने की कोशिशें करनी चाहिए.
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