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विश्वस्त सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक, पठानकोट हमले से सबक लेते हुए सीमा सुरक्षा बल ने इंटरनेशनल इंडो-पाक बॉर्डर पर लेजर फैंसिंग लगाने का फैसला किया है.
सूत्रों से मिली खबर को मानें, तो 2000 किलोमीटर में फैले इंटरनेशनल इंडो-पाक बॉर्डर का 553 किलोमीटर लंबा हिस्सा पंजाब रीजन में पड़ता है, जिसमें मैदानी इलाके से लेकर नदियों का भी कुछ हिस्सा शामिल है.
इस बात का हालांकि अभी तक सही-सही जवाब नहीं मिल पाया है कि पठानकोट हमले के अपराधी भारतीय सीमा में कहां से घुसे थे. फिर भी बीएसएफ की लिस्ट में आतंकियों का नदियों के रास्ते भारतीय सीमा में एंट्री लेने का शक सबसे मजबूत है.
गौरतलब है कि महज पंजाब रीजन में ही 60 जगहें ऐसी हैं, जहां नदियां इंटरनेशनल बॉर्डर को काटती हैं.
इंटरनेशनल इंडो-पाक बॉर्डर पर लेजर फैंसिंग लगाने के लिए सरकार ने बजट एप्रूव कर दिया है. कुछ जगहों पर फैंसिंग का काम भी शुरू हो चुका है.
नई स्मार्ट लेजर फैंसिंग से 3-4 टीयर का प्रोटेक्शन मिलता है, जिससे पार होना आतंकियों के लिए बहुत ज्यादा मुश्किल होता है.
जवानों की संदिग्ध गतिविधियों पर भी नजर रखी जा रही है. सेना और बीएसएफ के जवानों में बढ़ता करप्शन भी वरिष्ठ अधिकारियों के सिर का दर्द बन गया है. इस स्थिति से निपटने के लिए बीएसएफ ने जवानों की निगरानी बढ़ा दी है.
अब ड्यूटी के वक्त जवान को सेलफोन रखने की अनुमति नहीं है. इसके अलावा किसी भी किस्म के करप्शन में संलिप्त पाए जाने पर जवानों के लिए सजा को सख्त कर दिया गया है.
बीएसएफ का दावा है कि साल 2015 में उसने तकरीबन 350 किलो ड्रग बरामद किए. सभी मामले इंडो-पाक बॉर्डर के काफी करीब दर्ज किए गए.
लेकिन इन सबके बाद जो सबसे बड़ा सवाल उठता है, वो यह कि ये सभी कोशिशें कैसे प्रभावशाली साबित होंगी, जब तक उन्हें सही ढंग से अपनाया नहीं जाता, क्योंकि पठानकोट हमले के टाइम भी थर्मल इमेज खींचने वाले सीसीटीवी कैमरे बॉर्डर पर लगे हुए थे, पर सभी कैमरे बंद पड़े थे.
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