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आजादी के समय देश के बंटवारे में बड़ी भूमिका निभाने वाले मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर क्या देश में कहीं भी लग सकती है? अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में आजकल इसी सवाल को लेकर घमासान मचा हुआ है.
AMU के यूनियन हॉल में जिन्ना की जो तस्वीर 1938 से लगी हुई है, अब अचानक उसी को लेकर बवाल उठ खड़ा हुआ है, जो थमने का नाम नहीं ले रहा. कई दिनों से चल रहे विरोध-प्रदर्शनों के बीच अब कॉलेज कैंपस के आसपास 5 मई तक इंटरनेट सेवाएं बंद करवा दी गई हैं.
अलीगढ़ से बीजेपी सांसद सतीश गौतम ने ये मामला उठाया और AMU के वीसी तारिक मंसूर को पत्र लिखकर तस्वीर हटाने की मांग की. इसके बाद से कुछ संगठन तस्वीर हटाए जाने की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. दूसरी तरफ AMU छात्रसंघ ने तस्वीर न हटाने का ऐलान किया है. इस बात को लेकर AMU कैंपस में लगातार तनाव जारी है.
3 अप्रैल को कैंपस में छात्रों के बीच झड़प भी हुई, जिसमें पुलिस लाठीचार्ज में कई छात्र जख्मी हुए. लाठीचार्ज के विरोध और हिंदू संगठनों पर कार्रवाई की मांग को लेकर एएमयू स्टूडेंट यूनियन ने क्लास का बहिष्कार कर रखा है.
छात्रों के बीच इस मुद्दे पर मतभेद और बवाल की आंच बीएचयू तक पहुंच गई है. शुक्रवार को बीएचयू के बाहर जिन्ना का पुतला जलाया गया. स्टूडेंट एएमयू में लगी जिन्ना की तस्वीर के खिलाफ हैं.
हरियाणा में कांग्रेस के सीनियर लीडर, विधायक करण दलाल ने कहा था कि मोहम्मद अली जिन्ना बंटवारे से पहले भारत की आजादी के लिए लड़ रहे थे. उन्होंने देश के अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के साथ अंग्रेजों से आजादी दिलवाने में काफी अहम रोल निभाया था.
उन्होंने सतीश गौतम के AMU के वीसी को लिखे गए पत्र को राजनीतिक नाटक बताया.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि देश में जिन्ना का सम्मान नहीं हो सकता. उन्होंने कहा, ''अलीगढ़ प्रशासन से रिपोर्ट मांगी गई है, जिसमें पूछा गया है कि विश्वविद्यालय में जिन्ना की तस्वीर रखने का क्या कारण है. जांच के आदेश दिए गए हैं. रिपोर्ट मिलते ही इस मामले में एक्शन लिया जाएगा.''
विश्वविद्यालय में छात्रों का धरना अभी भी जारी है. प्रदर्शनकारी छात्रों ने अगले 2 दिनों तक कैंपस में होने वाली सभी शैक्षणिक गतिविधियों का बहिष्कार जारी रखने का ऐलान किया है. छात्रों का कहना है कि जिन्ना उनके आदर्श नहीं हैं, बल्कि केवल इतिहास के हिस्सा हैं.
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