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केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंगलवार को कहा कि नागरिकता पर कोई कानून पारित करने की शक्तियां सिर्फ संसद के पास है और केरल विधानसभा समेत किसी राज्य विधानसभा को ये अधिकार नहीं है.
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम रद्द करने की मांग करने वाला एक प्रस्ताव केरल विधानसभा द्वारा पारित किए जाने के कुछ ही घंटों बाद उनका यह बयान आया है. साथ ही राजस्थान सरकार ने भी इस कानून को राज्य में लागू नहीं करने का फैसला किया है.
बता दें कि ये कानून पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक आधार पर प्रताड़ना का सामना करने के कारण भारत आए गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान करता है. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि, ‘‘यह सिर्फ संसद है, जिसे नागरिकता पर कोई कानून पारित करने की शक्तियां प्राप्त हैं, केरल विधानसभा सहित किसी (अन्य) विधानसभा को नहीं. ’’
प्रसाद ने कहा कि यह अधिनियम भारतीय नागरिकों से जुड़ा नहीं है और इस कारण यह नागरिकता ना तो सृजित करता है, ना ही छीनता है. उन्होंने यह याद दिलाया कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने क्रमश: युगांडा के अल्पसंख्यकों और श्रीलंकाई तमिलों को नागरिकता मुहैया करायी थी.
प्रसाद ने हैरानी जताई कि अगर कांग्रेस ऐसा करती है तो यह ठीक और जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या गृह मंत्री अमित शाह यही चीज करते हैं तो ‘‘यह एक परेशानी’’ कैसे है. उन्होंने सीएए का पुरजोर बचाव करते हुए कहा, ‘‘यह दोहरा मानदंड और निकृष्ट तरह का पाखंड है.’’ बता दें कि सीएए के खिलाफ पिछले कुछ हफ्तों के दौरान देशभर में प्रदर्शन हुए हैं.
मंत्री ने कहा,
उन्होंने कहा सीएए बिल्कुल ही संवैधानिक और कानूनी है. इसके खिलाफ निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा काफी सारा दुष्प्रचार किया जा रहा है.
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) पर उन्होंने कहा कि यह भारत के ‘‘सामान्य निवासियों’’ के बारे में सूचनाओं का एक व्यापक संग्रह है और इसका नागरिकों से कोई लेना देना नहीं है. यह (एनपीआर) किसी गांव या शहर के सामान्य भारतीय निवासियों के बारे में है और इसका नागरिकों से कोई लेनादेना नहीं है.
उन्होंने कहा कि जनसंख्या रजिस्टर के डेटा का उपयोग केंद्र एवं राज्य सरकारें विकास और नीति निर्माण प्रक्रियाओं के लिए करती हैं.
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