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लॉकडाउन में बढ़े बाल उत्पीड़न के मामले,वकीलों ने लिखा CJI को पत्र

पत्र में कहा गया है कि बंद के दौरान जहां अपराध की दर में कमी आई है वहीं बच्चों का उत्पीड़न बढ़ा है.

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भारत
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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे
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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे
(फोटो altered by the quint)

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भारत के चीफ जस्टिस एसए बोबडे को एक पत्र लिखा गया है, जिसमें उनसे देशव्यापी कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान बाल उत्पीड़न में हुई वृद्धि पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया गया है. चीफ जस्टिस को दो वकीलों ने पत्र लिखा है.

दो वकीलों सुमीर सोढ़ी और आरजू अनेजा की तरफ से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि बंद के दौरान जहां अपराध की दर में कमी आई है वहीं बच्चों के उत्पीड़न और उनसे हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है. पत्र में कहा गया है,

‘‘सामान्य परिस्थितियों में उत्पीड़न के शिकार बच्चों को घर में रहना सुरक्षित नहीं माना जाता है क्योंकि उन्हें अपने ही परिवार के सदस्यों से और उत्पीड़ित होना पड़ सकता है. लॉकडाउन के दौरान ऐसे बच्चों को खतरा बढ़ सकता है क्योंकि वे घर से बाहर नहीं जा पाएंगे. लॉकडाउन से उनका समर्थन नेटवर्क भी बंद हो गया है जिससे पीड़ितों का सहायता प्राप्त करना या बच निकलना भी मुश्किल हो गया है.’’

बढ़ सकते हैं बाल उत्पीड़न के मामले

पत्र में कहा गया है कि लॉकडाउन के कारण भारत में बाल उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ चुकी हैं और पीड़ित बच्चों के सहयोग एवं सुरक्षा के लिए अगर जल्दी से कोई कदम नहीं उठाया गया तो मामले और बढ़ सकते हैं.

वकीलों ने कहा कि मीडिया में छपे लेखों पर उनका पत्र आधारित है. लेख में बताया गया है कि बाल उत्पीड़न के मामलों की काफी शिकायतें हॉटलाइन पर आ रही हैं और चाइल्डलाइन इंडिया हेल्पलाइन पर लॉकडाउन के दौरान पिछले कुछ दिनों में 92 हजार से अधिक फोन कॉल कर बच्चों को उत्पीड़न और हिंसा से बचाने की गुहार लगाई जा चुकी है.

पत्र में कहा गया है, ‘‘इसलिए अदालत से आग्रह है कि कोविड-19 महामारी के परिप्रेक्ष्य में बच्चों की सुरक्षा का स्वत: संज्ञान लिया जाए.’’

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Published: 12 Apr 2020,06:14 PM IST

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