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देश के कानून में महिलाओं को दिए गए हैं ये अधिकार,क्या आपको पता है?

भारत में महिलाओं के लिए ऐसे कई कानून हैं, जो उन्हें सामाजिक सुरक्षा और सम्मान से जीने की सुविधा देते हैं

स्मृति चंदेल
भारत
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क्या आपको पता है कि महिलाओं को रात में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है... और घर में पति ज्यादा नाटकबाजी करता है, तो पत्‍नी खर्च करने के लिए हर महीने भत्ता मांग सकती है. आधी आबादी से जुड़े ऐसे कई कानून हैं, जिनकी जानकारी सबको होनी चाहिए.

ऐसे ही कुछ कानूनों के बारे में हम विस्‍तार से चर्चा कर रहे हैं.

1.घरेलू हिंसा रोकथाम कानून

(फोटो:हर्ष साहनी/द कि्ंवट)

घरेलू हिंसा का मतलब है महिला के साथ किसी भी तरह की हिंसा या प्रताड़ना. घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के तहत कोई भी महिला अगर अपने पति या पति के परिवारवालों से प्रताड़ित हो रही है, तो वो घरेलू हिंसा के तहत शिकायत दर्ज करा सकती है. महिला की तरफ से कोई भी हिंसा की शिकायत दर्ज करा सकता है.

(फोटो:स्मृति चंदेल/द कि्ंवट)

2.वर्किंग प्लेस में उत्पीड़न के खिलाफ कानून

(फोटो:हर्ष साहनी/द कि्ंवट)

यौन उत्पीड़न अधिनियम के तहत आपको वर्किंग प्लेस पर हुए यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने का पूरा हक है. केंद्र सरकार ने भी महिला कर्मचारियों के लिए नए नियम लागू किए हैं, जिसके तहत वर्किंग प्लेस पर यौन शोषण की शिकायत दर्ज होने पर महिलाओं को जांच लंबित रहने तक 90 दिन की पेड लीव दी जाएगी.

3. कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार

भ्रूण हत्या का मतलब है, जन्म से पहले ही होने वाले बच्चे की हत्या कर देना. कई मामलों में गर्भ में पल रही लड़कियों को मार दिया जाता है. एक महिला को जीने का अधिकार देने के लिए लिंग की जांच और उसकी हत्या के खिलाफ कानून बनाया गया है.

(फोटो:स्मृति चंदेल/द कि्ंवट)

गर्भाधान और प्रसव से पहले लिंग की पहचान कराने वाले टेस्ट (लिंग चयन ) पर रोक है. अधिनियम (PCPNDT) कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार देता है.

4. नाम सार्वजनिक न करने या छुपाने का अधिकार

यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को अपने नाम की गोपनीयता बनाए रखने का पूरा आधिकार है. ऐसे मामलों में कोई महिला, किसी महिला पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में या फिर जिलाधिकारी के सामने मामला दर्ज करा सकती है.

कई बार रेप की शिकार महिलाएं पुलिस की जांच, मुकदमे से होने वाली बदनामी के डर से शिकायत दर्ज नहीं कराती हैं. हाल ही में सरकार ने नए नियम लागू किए हैं  
(फोटो:स्मृति चंदेल/द कि्ंवट)
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5. रात में गिरफ्तार न होने का अधिकार

(फोटो:हर्ष साहनी/द कि्ंवट)

आपराधिक प्रक्रिया संहिता, सेक्शन 46 के तहत एक महिला को सूरज डूबने के बाद और सूरज उगने से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. किसी खास मामले में एक प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के आदेश पर ही ये संभव है.

बिना वारंट के गिरफ्तार की जा रही महिला को तुरंत गिरफ्तारी का कारण बताना जरूरी होता है. उसे जमानत से जुड़े उसके अधिकारों के बारे में भी जानकारी दी जानी चाहिए. साथ ही गिरफ्तार महिला के नजदीकी रिश्तेदारों को तुरंत सूचित करना पुलिस की ही जिम्मेदारी है.

6. समान वेतन का अधिकार

(फोटो:हर्ष साहनी/द कि्ंवट)

समान वेतन अधिनियम,1976 में एक ही तरीके के काम के लिए समान वेतन का प्रावधान है. अगर कोई महिला किसी पुरुष के बराबर ही काम कर रही है, तो उसे पुरुष से कम वेतन नहीं दिया जा सकता.

(फोटो:स्मृति चंदेल/द कि्ंवट)

7. मातृत्व संबंधी अधिकार

मातृत्व लाभ अधिनियम,1961 के तहत मैटरनिटी बेनिफिट्स हर कामकाजी महिलाओं का अधिकार है. मैटरनिटी बेनिफिट्स एक्ट के तहत एक प्रेग्नेंट महिला 26 सप्ताह तक मैटरनिटी लीव ले सकती है. इस दौरान महिला के सैलरी में कोई कटौती नहीं की जाती है.

8. गरिमा और शालीनता के लिए अधिकार

किसी मामले में अगर आरोपी एक महिला है, तो उस पर की जाने वाली कोई भी चिकित्सा जांच प्रक्रिया किसी महिला द्वारा या किसी दूसरी महिला की मौजूदगी में ही की जानी चाहिए.

9. मुफ्त कानूनी मदद के लिए अधिकार

रेप की शिकार हुई किसी भी महिला को मुफ्त कानूनी मदद पाने का पूरा अधिकार है. पुलिस थानाध्यक्ष के लिए ये जरूरी है कि वो विधिक सेवा प्राधिकरण (Legal Services Authority) को वकील की व्यवस्था करने के लिए सूचित करे.

10. संपत्ति पर अधिकार

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत नए नियमों के आधार पर पुश्तैनी संपत्ति पर महिला और पुरुष, दोनों का बराबर हक है.

पिता की संपत्ति पर अधिकार

भारत का कानून किसी महिला को अपने पिता की पुश्तैनी संपति में पूरा अधिकार देता है. अगर पिता ने खुद जमा की संपति की कोई वसीयत नहीं की है, तब उनकी मौत के बाद संपत्ति में लड़की को भी उसके भाइयों और मां जितना ही हिस्सा मिलेगा. यहां तक कि शादी के बाद भी यह अधिकार बरकरार रहेगा.

पति की संपत्ति से जुड़े हक

शादी के बाद पति की संपत्ति में तो महिला का मालिकाना हक नहीं होता, लेकिन वैवाहिक विवादों की स्थिति में पति की हैसियत के हिसाब से महिला को गुजारा भत्ता मिलना चाहिए. पति की मौत के बाद या तो उसकी वसीयत के मुताबिक या फिर वसीयत न होने की स्थिति में भी पत्नी को संपत्ति में हिस्सा मिलता है. शर्त यह है कि पति केवल अपनी खुद की अर्जित की हुई संपत्ति की ही वसीयत कर सकता है, पुश्तैनी जायदाद की नहीं.

11. पति-पत्नी में न बने तो

अगर पति-पत्नी साथ न रहना चाहें, तो पत्नी सीआरपीसी की धारा 125 के तहत अपने और बच्चों के लिए गुजारा भत्ता मांग सकती है. अगर नौबत तलाक तक पहुंच जाए, तब हिंदू मैरिज ऐक्ट की धारा 24 के तहत मुआवजा राशि तय होती है, जो कि पति के वेतन और उसकी अर्जित संपत्ति के आधार पर तय की जाती है.

12. मुफ्त कानूनी मदद लेने का हक

(फोटो:हर्ष साहनी/द कि्ंवट)

अगर कोई महिला किसी केस में आरोपी है, तो महिलाओं के लिए कानूनी मदद निःशुल्क है. वह अदालत से सरकारी खर्चे पर वकील करने का अनुरोध कर सकती है. यह केवल गरीब ही नहीं बल्कि किसी भी आर्थिक स्थिति वाली महिला के लिए है. पुलिस महिला की गिरफ्तारी के बाद कानूनी सहायता समिति से संपर्क करती है, जो कि महिला को मुफ्त कानूनी सलाह देने की व्यवस्था करती है.

(फोटो:रोहित मौर्य/द कि्ंवट)

कहां करें शिकायत

क्राइम अगेंस्ट वुमन सेल के अलावा 100 नंबर या महिला हेल्पलाइन नंबर 1091 पर कभी भी (सातों दिन चौबीसों घंटे) कॉल कर सकते हैं या अपने इलाके के थाने में शिकायत की जा सकती है.

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के मुताबिक, दिल्ली लीगल सर्विस अथॉरिटी, राष्ट्रीय महिला आयोग, एनजीओ आदि की डेस्क क्राइम अगेंस्ट वुमन सेल में हैं.

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Published: 06 Jun 2017,02:51 PM IST

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