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लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवणे मंगलवार को जनरल बिपिन रावत से सेना प्रमुख का कार्यभार ग्रहण करेंगे. वे भारत के 28वें आर्मी चीफ होंगे. इसके साथ ही जनरल बिपिन रावत को भारत का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त किया गया है. तीन साल के कार्यकाल के बाद वे मंगलवार को सेना प्रमुख के पद से रिटायर हो रहे हैं. लेफ्टिनेंट जनरल नरवणे अब तक उप-सेना प्रमुख की जिम्मेदारी निभा रहे थे.
इस साल सितंबर में उप-सेनाप्रमुख बनने से पहले नरवणे सेना की पूर्वी कमान का नेतृत्व कर रहे थे, जो चीन से लगने वाली भारत की करीब 4000 किलोमीटर लंबी सीमा की रखवाली करती है. अपने 37 साल के करियर के दौरान उन्होंने कई कमान में अपनी सेवा दी. वे जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में आतंकवाद निरोधक अभियानों में सक्रिय रहे और कई अहम जिम्मेदारियां संभाली. वे जम्मू कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स की बटालियन और पूर्वी मोर्चे पर इंफ्रैंटी ब्रिगेड की कमान भी संभाल चुके हैं. इसके अलावा वे श्रीलंका में भारतीय शांति रक्षक बल का हिस्सा रहे हैं. साथ ही वे तीन वर्षों तक म्यांमार स्थित भारतीय दूतावास में रक्षा अताशे रहे.
लेफ्टिनेंट जनरल नरवणे राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और भारतीय सैन्य अकादमी के छात्र रहे हैं. उन्हें जून, 1980 में सिख लाइट इंफ्रैंट्री रेजीमेंट की सातवीं बटालियन में कमीशन मिला था.
नरवणे की नियुक्ति के साथ ही एनडीए के बैचमेट हो जाएंगे तीनों सेनाओं के प्रमुख. लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवणे, एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया और नौसेना अध्यक्ष करमबीर सिंह ने 1976 में नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) से 56वां कोर्स एक साथ किया था. भारतीय सेना के इतिहास में यह दूसरी बार है, जब तीनों सेनाओं के प्रमुख एनडीए के एक ही बैच के कैडेट होंगे.
इससे पहले 1991 में तत्कालीन सेना प्रमुख सुनीत फ्रांसिस रोडरिग्ज, नौसेना प्रमुख एडमिरल लक्ष्मी नारायण रामदास और एयर चीफ मार्शल निर्मल चंद्र सूरी ने तीनों सेनाओं का नेतृत्व किया था. इन तीनों ने भी एनडीए का कोर्स एक साथ किया था.
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