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महामारी और महंगाई से परेशान ज्यादातर भारतीय, 79% लोग मानते हैं घटेगी आमदनी-सर्वे

Localcircles survey: 49% लोग मानते हैं कि उनकी बचत इस साल घट जाएगी

क्विंट हिंदी
भारत
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<div class="paragraphs"><p>आम जनता महंगाई की मार से कराह रही है</p></div>
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आम जनता महंगाई की मार से कराह रही है

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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देश इस समय कोविड(Covid-19) महामारी के प्रभाव और लगातार बढ़ती महंगाई (Inflation) से जूझ रहा है. जहां एक ओर कोराना की वजह से अर्थव्यवस्था चरमरा रही है, वहीं घरेलू जरूरतों की वस्तुओं के दामों में लगातार हो रही वृद्धि से आम आदमी की जेब कट रही है. लोकल सर्किल के एक सर्वे में देश के 79 फीसदी लोगों ने माना है कि कोरोना और बढ़ती महंगाई की वजह वित्त वर्ष 2021-22 में घरेलू आय में कमी होगी जबकि 49 फीसदी का कहना है कि इससे उनकी बचत में कमी आएगी. आइए जानते हैं और क्या कुछ सर्वे में सामने आया है...

सर्वे में क्या आया सामने

लोकल सर्कल्स (LocalCircles) ने कमाई, बचत, ईंधन के बढ़ते दामों और घरेलू वस्तुओं की आसमान छूती कीमतों को लेकर एक सर्वे किया. जिसमें 70 हजार 500 से ज्यादा लोगों ने अपनी राय जाहिर की. ये सर्वे देश के 382 जिलों में कराया गया है. इसमें जवाब देने वालों में 63 फीसदी पुरुष और 37 फीसदी महिलाएं थीं.

  • 65 फीसदी परिवारों का कहना है कि उन्होंने दिसंबर-फरवरी 2021 की तुलना में इस साल सब्जियों के लिए 25-100% अधिक कीमतों का भुगतान किया है.

  • 79 फीसदी परिवारों का कहना है कि दिसंबर-फरवरी 2021 की तुलना में अब हर महीने उपयोग होने वाली जरूरी चीजों या किराने की लागत पर उन्हें ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है.

  • 47 फीसदी उपभोक्ताओं अब आशंका है कि उनकी घरेलू बजट योजना में कोविड की अनिश्चितता 6 से 12 महीनों तक रहेगी.

  • 49 फीसदी उपभोक्ताओं का मानना है कि उनकी औसत घरेलू बचत 2019-20 की तुलना में 2021-22 में घट जाएगी.

  • कोरोना की दूसरी लहर के कारण 49 फीसदी लोगों ने कहा कि अपने घरेलू खर्चों को कवर करने के लिए उनकी बचत में कमी आने की संभावना है. इस प्रकार वित्त वर्ष 21-22 में उनकी बचत में गिरावट की उम्मीद जताई गई है.

  • 79 फीसदी उपभोक्ताओं का मानना है कि 2019-20 की तुलना में उनकी घरेलू आय 2021-22 में घट जाएगी.

सर्वे में हिस्सा लेने वाले अधिकतर लोग चाहते हैं कि सरकार एक्साइस ड्यूटी को 20% तक कम करे.
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लगातार बढ़ रही महंगाई

देश के अधिकांश हिस्सों की बात करें तो हम किराने और घरेलू जरूरतों की वस्तुओं के लिए पहले की तुलना में अधिक भुगतान कर रहे हैं. खाद्य तेल, साबुन, शैम्पू जैसी आवश्यक घरेलू चीजों की कीमतों में 4-20 फीसदी तक की वृद्धि देखने को मिली है.

पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम और अपर्याप्त आपूर्ति की वजह से सब्जियों के दाम भी ऊंचे हो रहे हैं. वहीं देश में खुदरा महंगाई दर की बात करें तो मई और जून में यह 6.3 फीसदी दर्ज की गई थी.

भारत के दो बड़े दूध ब्रांड अमूल और मदर डेयरी ने भी इस महीने से दूध के दामों में 2 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी कर दी है.

खाद्य पदार्थों की महंगाई दर यह वर्तमान में 5.58 फीसदी पर मौजूद है. दालों की महंगाई दर 10.01% है, फलों की 11.82%, ट्रांसपोर्ट की 11.56%, ईंधन और लाइट की 12.68% तथा तेल व वसा की महंगाई दर 34.78% है.

यह सब ऐसे समय पर हो रहा है जब देश के अधिकांश राज्यों में पेट्रोल-डीजल की कीमतें 100 के आंकड़े को पार कर गई हैं. अप्रैल और मई में जब देश के कई राज्य लॉकडाउन में थे तब ईंधन की कीमतों में 15 गुना बढ़ोत्तरी हुई थी.

देश के कम से कम 16 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में पेट्रोल की कीमतें 100 के ऊपर हो चुकी हैं. राजस्थान जैसे राज्य में पेट्रोल 112 और डीजल 102 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है.

''कर्ज में डूबी आधी कामकाजी आबादी''

मार्च के आखिरी से सितंबर 2020 देशव्यापी लॉकडाउन था. उसके बाद छूट मिलना शुरु हुई लेकिन उसके बाद कोरोना की दूसरी लहर ने कहर दिखाना शुरु कर दिया. इसकी वजह से एक बार फिर लॉकडाउन, जनता कर्फ्यू और अन्य पाबंदियां देखने को मिली जिससे घरेलू अर्थव्यवस्था को झटका लगा.

पिछले 15 महीनों में घरेलू आय कई तरह से प्रभावित हुई है. घर में काम करने वाले सदस्यों की नौकरियां छूट गईं, सैलरी में कटौती देखने को मिली, लोगों की खरीदी और सेवाओं के उपयोग में बदलाव देखने को मिला, बचत की योजनाएं प्रभावित हुईं आदि.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की हालिया रिपोर्ट बताती है कि मई 2021 में कंज्यूमर कॉन्फिडेंस अब तक के सबसे निचले स्तर पर रहा. पिछले एक साल में घरेलू आय में गिरावट देखने को मिली है. कई भारतीय कर्ज लेने को मजबूर हुए हैं.

क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनी (सीआईसी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश की 40 करोड़ की कामकाजी आबादी में से करीब आधी आबादी कर्जदार है, जिसके पास कम से कम एक लोन या क्रेडिट कार्ड है.

वहीं आरबीआई के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2020 से सोने के बदले लोन लेने मामले में 82% की वृद्धि हुई है.

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