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कोरोना वायरस से निपटने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लगा हुआ है,भारी तादाद में प्रवासी मजदूर अभी भी शहरों में फंसे हुए है. मजदूरों की घर वापसी के लिए केंद्र और राज्य सरकारें जो भी दावा करें, लेकिन प्रवासी मजदूरों अब भी पैदल आने-जाने को मजबूर हैं.
रतलाम जिले के रहने वाले दशरथ, अपने घर वापस जाने के लिए लगातार 4 दिनों से साइकिल चला रहे हैं. लेकिन पंजाब बॉर्डर पर उन्हें रोक लिया गया और कहा गया कि परमिशन ले कर आओ तो जाने देंगे.
बिहार के रहने वाले प्रवासी मजदूर, दिल्ली में वेल्डिंग का काम करते थे, लेकिन अब खाने-पीने की दिक्कत के चलते पैदल ही गांव जा रहे हैं.
ये पूछे जाने पर की सरकार ने आपको घर पहुंचने के लिए ट्रैन चला रही है, आपको उसकी कोई जानकारी है, उन्होंने कहा हमारे पास न मोबाइल है न पैसा है, किसी तइन के बारे में कोई जानकारी नही है.
श्रीनगर में फंसे प्रवासी मजदूरों को सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही है, वहां फंसे लोग स्थानीय लोगों की मदद पर आश्रित है.
“हम लोग भी कश्मीर में फंसे हुए हैं. सरकार से कोई मदद नहीं मिली है पर स्थानीय लोग मदद कर रहे हैं. दूसरों के घरों पर गए तो किसी ने चावल दिया तो किसी ने कुछ और फौजियों की मदद से एक बार पांच किलो चावल मिला था बस.”
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