Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में राहत शिविर से मतदाताओं ने डाले वोट। Photos

मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में राहत शिविर से मतदाताओं ने डाले वोट। Photos

Lok Sabha Election Manipur: 16 अप्रैल को कुकी इंपी ने एक निर्देश जारी कर चुराचांदपुर के लोगों से सीएम बीरेन सिंह की पार्टी को वोट न देने को कहा था.

सप्तर्षि बसाक
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>मणिपुर के चूड़ाचांदपुर जिले में रिलीफ कैंप से मतदाताओं ने डाला वोट</p></div>
i

मणिपुर के चूड़ाचांदपुर जिले में रिलीफ कैंप से मतदाताओं ने डाला वोट

फोटो- सप्तर्षि बसाक

advertisement

मणिपुर में 19 अप्रैल को पहले चरण के मतदान हुए. चुराचांदपुर जिले के विस्थापित मतदाताओं के लिए चुनाव आयोग ने (ECI) राहत शिविरों से मतदान करने की सुविधा दी है. इसके तहत दो निर्वाचन क्षेत्रों में से – इनर मणिपुर और आउटर मणिपुर (जिनके मौजूदा सांसद नागा पीपुल्स फ्रंट के डॉ. लोरहो एस फौजेहैं) में दो दिन –19 अप्रैल को चुनाव हुए और 26 अप्रैल को चुनाव होंगे. चारों उम्मीदवार नागा समुदाय से हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि किसी भी कुकी-जो उम्मीदवार ने नामांकन दायर नहीं किया है. समुदाय के कई समूहों ने चुनाव के बहिष्कार का आह्वान किया है.

फोटो- सप्तर्षि बसाक

मार्च के अंत में चुराचांदपुर में एक प्रमुख आदिवासी समूह इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने कुकी-जो लोगों से "मताधिकार के अपने अधिकार का प्रयोग करने" का आग्रह किया, लेकिन लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया. 16 अप्रैल की रात को कुकी इंपी (चुड़ाचांदपुर) ने एक निर्देश जारी कर चुराचांदपुर के लोगों से कहा कि वे सीएम बीरेन सिंह की पार्टी (बीजेपी) को वोट न दें और अपने वोट देने के अधिकार का प्रयोग करें. चुराचांदपुर में 4276 'निर्दिष्ट मतदाता' हैं, जिन्होंने कहा कि वे आदिवासी निकायों के निर्देश के अनुसार मतदान करेंगे.

फोटो- सप्तर्षि बसाक

16 अप्रैल को द क्विंट से बात करते हुए, आईटीएलएफ के एक वरिष्ठ नेता क्रिस सिम्टे ने कहा कि चुनाव लड़ना सही नहीं है, जब कुकी समुदाय के इतने सारे लोग जातीय हिंसा से मारे गए हैं और विस्थापित हुए हैं. हम कैसे चुनाव लड़ सकते हैं? यह एक युद्ध क्षेत्र है. सरकार ने शांति के लिए कुछ नहीं किया. यह सही नहीं है. आपने देखा कि हम कितने दुखी हैं. लेकिन हां, हम किसी के वोट देने के अधिकार को छीनने की कोशिश नहीं करेंगे. लोग जिसे चाहें वोट दे सकते हैं. राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 3 मई को हिंसा भड़कने के बाद से 29 फरवरी तक 219 लोग मारे जा चुके हैं और 60,000 लोग विस्थापित हो चुके हैं.

(फोटो- सप्तर्षि बसाक)

चुराचांदपुर के अधिकांश लोग जिन्होंने द क्विंट से बात की थी, उन्होंने यही कहा था कि वे कुकी इंपी के निर्देशों का पालन करेंगे. भले ही आईटीएलएफ किसी को मतदान करने से नहीं रोक रहा है, कई कुकी ने क्विंट को बताया कि वोट देने का उनका निर्णय आईटीएलएफ या चुराचांदपुर में कुकी इंपी जैसे संगठनों के निर्देशों से प्रभावित होगा (जो कुकी इंपी से अलग एक शाखा है, सदर हिल्स की तरह)

(फोटो- सप्तर्षि बसाक)

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

कुकी-जो संगठन के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर द क्विंट को बताया कि एस खो जॉन (मणिपुर में शक्तिशाली नागा संगठन से जुड़े), जिन्हें मतदान के दिन से तीन दिन पहले चुराचांदपुर में दौरा करते देखा गया था, कुकी-जो समुदाय के कुछ नेताओं के लिए पसंदीदा उम्मीदवार थे. द उखरुल टाइम्स के अनुसार, पिछले हफ्ते एक भाषण में, एस खो जॉन ने "व्यापक और चल रहे संवादों के माध्यम से सभी समुदायों के बीच शांति और जातीय समूहों के बीच एकजुटता और एकता को बढ़ावा देने की बात कही"

(फोटो- सप्तर्षि बसाक)

जातीय हिंसा के कारण बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ है. राज्य में हिंसा की घटना को साल भर होने को आए हैं. जबकि कुकी समुदाय के सामने सवाल है कि किसे वोट देना है. ये भी है कि वोट कैसे दिया जाए. हालांकि, राहत शिविरों में बसे लोगों को मतदान करने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. पहला यह कि बाहरी मणिपुर के इलाके में दो बार मतदान कराई जाए.  दूसरी विशेष व्यवस्था यह है कि भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) ने मणिपुर के आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों (आईडीपी) के लिए राहत शिविरों में मतदान करने के लिए एक योजना अधिसूचित की है. 

द क्विंट द्वारा एक्सेस किए गए आंकड़ों के आधार पर 4,276 निर्दिष्ट मतदाताओं में से 2,094 पुरुष और 2,192 महिलाएं हैं. ये लोग चुराचांदपुर के राहत शिविरों में आईडीपी, यानी विस्थापित हैं. जिन्होंने चुनाव के लिए बनाए जा रहे 15 विशेष मतदान केंद्रों में मतदान करने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है. ऐसा करने के लिए, उन्हें अपने चुनावी विवरण के साथ सहायक रिटर्निंग अधिकारी (राहत शिविरों में रहने वाले व्यक्तियों के लिए) को एक आवेदन जमा करना पड़ा. इनमें से प्रत्येक मतदान केंद्र में कई सूचीबद्ध राहत शिविर हैं जो इसके अंतर्गत आते हैं. मिसाल के लिए, मोंगलेनफाई यूपीएस मतदान केंद्र में 15 राहत शिविर हैं, जो इसके अधिकार क्षेत्र में आते हैं और इसमें 539 विशिष्ट  मतदाता हैं. यह जिक्र करना महत्वपूर्ण है कि आवेदन पत्र भरने के लिए EPIC नंबर अनिवार्य नहीं था, यह देखते हुए कि राहत शिविरों में अधिकांश लोगों ने हिंसा से भागते समय अपने सभी दस्तावेज खो दिए. दरअसल, द क्विंट ने जब 16 अप्रैल को दो राहत शिविरों का दौरा किया तो जितने भी लोगों का इंटरव्यू लिया गया, उनके पास कोई दस्तावेज नहीं था.

फोटो- सप्तर्षि बसाक

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT