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राजनीतिक पार्टियां हमारी ऐप का करती हैं गलत इस्तेमाल: WhatsApp

व्हाट्सऐप के मशीन-लर्निंग मॉडल में तीन आवश्यक कंपोनेंट्स शामिल हैं

सुशोभन सरकार
भारत
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चुनाव के दौरान भारत के राजनीतिक दल व्हाट्सऐप का दुरुपयोग करते पाए गए
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चुनाव के दौरान भारत के राजनीतिक दल व्हाट्सऐप का दुरुपयोग करते पाए गए
(फोटो: Shruti Mathur/The Quint)

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एक तरफ जहां लोकसभा 2019 के चुनाव केवल दो महीने दूर है वहीं दूसरी ओर जमीनी रैलियों की तरह व्हाट्सऐप भी राजनीतिक पार्टियों के लिए एक जंग का मैदान बन गया है. व्हाट्सऐप कम्यूनिकेशंस के मुखिया कार्ल वूग ने सोमवार को इस बात पर सहमति जताई है कि चुनाव के दौरान भारत के राजनीतिक दल व्हाट्सऐप का दुरुपयोग करते पाए गए हैं.

एक सम्मेलन के दौरान, जहां उन तरीकों और तकनीकों का ब्यौरा दिया जा रहा था जिनसे व्हाट्सऐप पर फैलाई जा रही गलत खबरें और गाली-गलौज पर रोक लगाई जाएगी. वूग ने बताया कि कर्नाटक चुनावों के दौरान उन्होंने इस बात का आकलन किया था कि व्हाट्सऐप का कितना इस्तेमाल हुआ.

हालांकि, हम लोग मई 2018 में हुए कर्नाटक चुनाव के बाद से ही इस विषय पर तैयारी कर रहे थे. उस समय हम लोगों ने पाया कि किस तरह राजनीतिक दलों ने लोगों तक पहुंचने के लिए व्हाट्सऐप का इस्तेमाल किया और कुछ जगह व्हाट्सऐप का दुरुपयोग भी हुआ.
कार्ल वुग , हेड ऑफ कम्यूनिकेशंस, व्हाट्सऐप

वूग ने यह भी जोर दिया कि उन्होंने राजनीतिक दलों को साफ किया है कि ऐप “उन अकाउंट्स को बैन करेगी जो ऑटोमेटेड या बल्क बिहैवियर में शामिल हैं”.

सोमवार को मैसेजिंग ऐप की तरफ से कहा गया कि यह चुनाव संबंधी गलत सूचनाओं से निपटने के लिए मशीन लर्निंग टूल्स का इस्तेमाल करेगी और ऑटोमेटेड या बल्क मैसेजेस को ट्रैक करना इसकी प्रमुख रणनीति होगी और गलत पाए जाने वाले अकाउंट्स को बैन किया जाएगा.

राजनीतिक दलों को व्हाट्सऐप की दो टूक: ‘हम कोई ब्रॉडकास्ट प्लेटफॉर्म नहीं हैं’

व्हाट्सऐप ने एक श्वेत पत्र भी जारी किया जिसमें भारत सहित दुनिया भर में फेक न्यूज और दुर्व्यवहार के खतरे से निपटने के लिए अपनाई गई रणनीतियों को विस्तार से बताया गया है.

व्हाट्सऐप की इंटेग्रिटी टीम के प्रमुख सॉफ्टवेयर इंजीनियर मैट जोन्स ने कहा, “वैश्विक स्तर पर हर महीने हम दो मिलियन अकाउंट्स पर बैन लगाते हैं”. हालांकि उन्होंने यह साफ नहीं किया कि इसमें से कितने अकाउंट भारत से हैं. बताते चलें कि भारत विश्व भर में 1.5 बिलियन यूजर्स वाले इस ऐप के लिए सबसे बड़ा बाजार है.

वूग ने कहा कि दुरुपयोग का पता लगाने के लिए सॉफ्टवेयर टूल्स को डिजाइन करने के अलावा कंपनी पिछले कुछ महीनों से अलग-अलग राजनीतिक दलों के साथ बातचीत कर रही है और उन तरीकों पर चर्चा और व्याख्या कर रही है जिसमें उनके प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए.

हमने अपने दृढ़ विचार व्यक्त करने के लिए राजनीतिकदलों से बातचीत की है कि व्हाट्सऐप ब्रॉडकास्ट प्लेटफॉर्म नहीं है, यह बड़े पैमाने पर मैसेजेस भेजने वाला प्लेटफॉर्म नहीं है और हम उन अकाउंट्स पर बैन लगाएंगे जोऑटोमेटेड या बल्क बिहैवियर में शामिल हैं.”
कार्ल वुग , हेड ऑफ कम्यूनिकेशंस, व्हाट्सऐप

एन्क्रिप्शन तोड़ने की सरकार की मांग ‘नहीं है संभव’

यह दोहराने कि व्हाट्सऐप का मकसद प्रमुख रूप से व्यक्तिगत मैसेजिंग है, के साथ-साथ इसने मैसेजेस का पता लगाने की सरकार की मांग पर भी अपना रुख साफ कर दिया.

इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (2000) की धारा 79 के तहत अपने इंटरमीडियरी लायबिलिटी रूल्स के ड्राफ्ट अमेंडमेंट्स प्रकाशित किये थे. एंड यूजर्स द्वारा पोस्ट किये गए कंटेंट के लिए लायबिलिटी से इम्युनिटी के बदले में सरकार चाहती है कि व्हाट्सऐप जैसे मध्यस्थ अनिवार्य रूप से अपने एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को तोड़ें और कंटेंट को एक्सेस करने दें.

कंपनी की ओर से दिए जाने वाले एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को देखते हुए नियमों पर विचार करना संभव नहीं है और इसके लिए हमें व्हाट्सऐप को एक अलग रूप देने की जरूरत होगी – एक ऐसा रूप जो मौलिक रूप से निजी नहीं होगा.
कार्ल वुग , हेड ऑफ कम्यूनिकेशंस, व्हाट्सऐप
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उन्होंने आगे कहा कि, "प्रस्तावित बदलाव बहुत ही व्यापक हैं और मजबूत प्राइवेसी प्रोटेक्शन्स के मुताबिक नहीं हैं जो कि हर जगह के लोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं, न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में.”

द क्विंट के इस सवाल के जवाब में कि पार्टियों ने व्हाट्सऐप के प्राइवेसी और एन्क्रिप्शन पर जोर दिए जाने पर क्या प्रतिक्रिया दी है, वोग ने कहा कि "उन्हें उम्मीद है कि पार्टियां समझ गईं हैं कि वे क्या समझाने की कोशिश कर रहे थे". एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन यह सुनिश्चित करता है कि केवल सेंडर और रिसीवर ही टेक्स्ट को पढ़ सकते हैं और ऐसा करने से मैसेज की प्राइवेसी और सुरक्षा की गारंटी भी होती है.

फेक न्यूज से निपटने के लिए ट्रेनिंग मशीन

दुर्व्यवहार और गलत सूचनाओं से निपटने के लिए व्हाट्सऐप की नई खोज में प्रमुख बदलाव इसकी मशीन-लर्निंग टूल हैं. व्हाट्सऐप की इंटेग्रिटी टीम के प्रमुख सॉफ्टवेयर इंजीनियर मैट जोन्स ने कहा कि वे आपत्तिजनक सामग्री के विशिष्ट संकेतों की निगरानी करते हैं और जब उन संकेतों को चिह्नित कर लिया जाता है, तब वे इसके लिए जिम्मेदार यूजर के अकाउंट पर प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई करते हैं.

जोन्स के अनुसार, व्हाट्सऐप के मशीन-लर्निंग मॉडल में तीन आवश्यक कंपोनेंट्स शामिल हैं:

1. फीचर्स- फीचर्स विशेष प्रकार के संकेत हैं जो अपमानजनक व्यवहार की पहचान करते हैं, जैसे - रिपोर्टों की संख्या, मैसेज भेजने की दर, अन्य यूजर्स के समान कंप्यूटर नेटवर्क शेयर करने की रेप्यूटेशन आदि.

2. लेबल्स- श्वेत पत्र बताता है कि यह सबसे खराब यूजर्स को चिह्नित करने के लिए लेबल का इस्तेमाल करता है और उनके और नियमित यूजर्स के व्यवहार के बीच अंतर करता है. यह अपने सिस्टम को बेहतर ढंग से पहचान करना सिखाने के लिए फीचर्स और लेबल का इस्तेमाल करता है कि क्या यूजर्स को भविष्य में प्रतिबंधित किए जाने की संभावना है या नहीं.

3. इन्फ्रास्ट्रक्चर- इस प्रकार के यूजर्स को प्रशिक्षित करने, उनके व्यवहार का मूल्यांकन करने और वास्तविक यूजर्स के व्यवहार का विश्लेषण करने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होती है. श्वेत पत्र के अनुसार, यहां हमने सोशल मीडिया पर अपनी मैसेजिंग सेवा के लिए तथाकथित "फेसबुक इम्यून सिस्टम" को अपनाने के लिए काम किया.

दुर्व्यवहार से निपटने वाली व्हाट्सऐप की रणनीतियों पर 30 मिनट की लंबी प्रस्तुति देने वाले जोन्स के अनुसार, कंपनी ने आपत्तिजनक अकाउंट्स की निगरानी करने और उनका पता लगाने के लिए अपने मशीन-लर्निंग एल्गोरिदम को ट्रेंड किया है.

यह दुर्व्यवहार किसी भी अकाउंट के तीन प्रकार के व्यवहार से पता चलता है: रजिस्ट्रेशन पर, मैसेजिंग के दौरान और नकारात्मक प्रतिक्रिया के जवाब में, जिसे हम यूजर्स रिपोर्ट और ब्लॉक के रूप में प्राप्त करते हैं”
व्हाट्सऐप व्हाइट पेपर - ‘स्टॉपिंग अब्यूज’.

भारत में व्हाट्सऐप के टूल

एक ऐप जिसे जिसे दो लोगों के बीच मैसेजिंग की सुविधा के लिए बनाया गया था, आज उसका इस्तेमाल अफवाहें और गलत जानकारी फैलाने के लिए किया जा रहा है, जिसके कारण कई जगहों पर हिंसा भड़की है और साथ ही लिंचिग के कारण मौतें भी हुई हैं.

जुलाई 2018 में व्हाट्सऐप ने महाराष्ट्र और असम में लिंचिंग की घटनाओं के बाद कई सुरक्षा उपायों को लागू किया था, जिससे यूजर्स को गलत जानकारी की पहचान करने में मदद मिल सके.

यह फॉरवर्ड किए गए मैसेज पर फॉरवर्डेड टैग लगा देता है. इससे लोगों को यह जानने में आसानी होती है कि यह मैसेज उसके द्वारा नहीं बनाया गया है जिसने इसे भेजा है.

वूग ने दोहराया, व्हाट्सऐप ने बल्क फॉरवर्ड को सीमित करके फॉरवर्ड करने की सीमा पांच-चैट तक कर दी थी. साथ ही इसने मीडिया मैसेजेस को जल्दी फॉरवर्ड करने वाले क्विक फॉरवर्ड बटन को भी हटा दिया था. दुनिया भर में व्हाट्सऐप पर बल्क फॉरवर्ड करने की लिमिट 20 चैट है जबकि भारत में यह सिर्फ पांच चैट ही है.

सभी टूल्स के अलावा मुख्य भारतीय राजनीतिक दलों के साथ प्राइवेसी के मुद्दे समझाने और पॉलिटिकल बल्क मैसेजिंग के खतरे से निपटने के तरीकों पर चर्चा की गई है. वूग ने द क्विंट को बताया कि “हमने इस पर चर्चा की है और हम उम्मीद कर रहे हैं कि पार्टियां समझें कि हम एक बल्क मैसेजिंग प्लेटफॉर्म नहीं हैं”.

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