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देश में लोकसभा चुनाव जारी है. इस दौरान बिहार (Bihar) की राजनीतिक गलियारों में कुछ सीटों की पर सबकी नजर टिकी हुई है. इन्हीं में से एक है सीवान लोकसभा सीट, (Siwan) जो कभी बाहुबली नेता शहाबुद्दीन (Mohammad Shahabuddin) का गढ़ माना जाता था. 2019 में आरजेडी ने शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब को अपना उम्मीदवार बनाया था लेकिन जनता दल यूनाइटेड (JDU) की उम्मीदवार कविता सिंह एक लाख से ज्यादा मत से यहां की सांसद चुन ली गईं.
लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 (LokSabha Election 2024) में ना ही शहाबुद्दीन के नाम का दमखम है और ना ही वर्तमान सांसद कविता सिंह के जीत का प्रभाव. बावजूद इसके कैसे यह सीट पर टक्कर कांटे का है? आइए जानें.
लोकसभा चुनाव में सीवान निर्वाचन क्षेत्र से इंडिया ब्लॉक की ओर से राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को मैदान में उतारा है. एनडीए की ओर से जेडीयू ने विजयलक्ष्मी को मैदान में उतारकर मुकाबले को टक्कर का बना दिया है.
आरजेडी से टिकट ना मिलने पर पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब भी निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गई हैं.
2019 लोकसभा चुनाव में जेडीयू की कविता सिंह एक लाख से ज्यादा वोटों से जीती थीं. लेकिन, उस चुनाव में यहां से सीपीआई माले ने भी अपना उम्मीदवार उतारा था. हिना शहाब को 3.31 लाख और सीपीआई माले के अमरनाथ यादव को करीब 74 हजार वोट मिले थे.
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के ओम प्रकाश यादव ने आरजेडी की हिना को पराजित किया था. उस चुनाव में ओम प्रकाश को 3,72,670 मत मिले थे, जबकि हिना शहाब को 2,58,823 मतों से संतोष करना पड़ा था. साल 2009 के चुनाव में भी हिना को ओमप्रकाश ने बतौर निर्दलीय पराजित किया था.
तब RJD की हिना शहाब को 3.31 लाख और भाकपा माले के अमरनाथ यादव को करीब 74 हजार वोट मिले थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के ओम प्रकाश यादव ने आरजेडी की हिना को पराजित किया था. उस चुनाव में ओम प्रकाश को 3,72,670 मत मिले थे, जबकि हिना शहाब को 2,58,823 मतों से संतोष करना पड़ा था. साल 2009 के चुनाव में भी हिना को ओमप्रकाश ने बतौर निर्दलीय पराजित किया था.
शहाबुद्दीन की राजनीतिक पारी की शुरुआत साल 1990 में निर्दलीय विधायक के रूप में हुई थी. वर्ष 1992 से 2004 तक वे चार बार इलाके के सांसद चुने गए.
आरजेडी के प्रत्याशी अवध बिहारी चौधरी को जहां मुस्लिम-यादव समीकरण के अलावा मल्लाह और दलितों के वोट बैंक के सहारे जीत की उम्मीद है, वहीं जेडीयू को सवर्ण जाति के अलावा वैश्य, अति पिछड़े और दलित जाति के साथ मोदी लहर पर भरोसा है.
एनडीए के प्रत्याशी और कार्यकर्ता राष्ट्रवाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के व्यक्तित्व को लेकर मतदाताओं के पास पहुंच रहे हैं. वहीं, बिहार के पुराने ’जंगलराज' को भी याद करवा रहे हैं.
महागठबंधन जातीय मुद्दे और सरकार की वादाखिलाफी को लेकर मतदाताओं को रिझाने में लगा है. ऐसे में कहा जा रहा है कि दोनों गठबंधनों के लिए चुनाव तक अपने वोट बैंक को सुरक्षित रखने की चुनौती है. इस क्षेत्र में छठे चरण के तहत 25 मई को मतदान होना है. जबकि, परिणाम 4 जून को घोषित किए जाएंगे.
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