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लोकसभा की 303 सीटों पर चुनाव पूरा होने के बाद 9 राज्यों की 71 सीटों पर चौथे चरण के लिए 29 अप्रैल को वोटिंग होनी है. इसमें बीजेपी के समक्ष 45 सीटों को अपने खाते में बचाए रखने की चुनौती है. इनमें से अधिकतर सीट हिंदी क्षेत्र की हैं. जिन सीटों पर चौथे चरण में चुनाव हैं , उनमें महाराष्ट्र की 17, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की 13-13, पश्चिम बंगाल की 8, मध्य प्रदेश की 6, ओडिशा की 6, बिहार की 5 और झारखंड की तीन सीटें शामिल हैं.
2014 में इन 71 सीटों में से कांग्रेस ने केवल दो सीटें जीती थी. एक मध्य प्रदेश में और एक पश्चिम बंगाल में.
अन्य पार्टियों में, बीजू जनता दल ने ओडिशा की सभी 6 सीटों, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने 6 सीटों और उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने 1 सीट पर कब्जा जमाया था.
2014 में बिहार में सत्तारूढ़ जेडीयू, बीजेपी के विरुद्ध लड़ी थी. लेकिन इस बार पार्टी एनडीए गठबंधन का हिस्सा है. जेडीयू राज्य में अब एनडीए के अन्य पार्टियों के साथ मिलकर अपने पुराने सहयोगी आरजेडी, कांग्रेस व अन्य छोटी पार्टियों का सामना कर रही है.
इस चरण का चुनाव समस्तीपुर में लोजपा नेता रामचंद्र पासवान के भाग्य का फैसला करेगा.
दरभंगा में इस बार रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा. यहां पिछले चुनाव में बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतने वाले कीर्ति आजाद इस बार कांग्रेस के साथ हैं. उन्हें हालांकि टिकट नहीं दिया गया है. कांग्रेस की गठबंधन सहयोगी आरजेडी ने यहां से अपने वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी को उतारा है.
झारखंड में बीजेपी को इस बार कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, आरजेडी और झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के गठबंधन से मुकाबला करना होगा. ये पार्टियां सुनिश्चित करना चाहेंगी कि बीजेपी यहां की 14 में से 12 सीटों पर जीत दर्ज करने के अपने पूर्व के प्रदर्शन को दोहरा नहीं सके.
मध्य प्रदेश में, कांग्रेस नेता व मुख्यमंत्री कमलनाथ के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का विषय बना हुआ है, जिन्होंने पांच माह पहले ही यहां सत्ता संभाली है.
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने मध्य प्रदेश में जबरदस्त प्रदर्शन किया था, लेकिन पिछले साल दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज कर बीजेपी के 15 वर्षो के शासन का अंत कर दिया था. कांग्रेस यहां विधानसभा चुनाव की तरह ही लोकसभा चुनाव में भी सफलता की उम्मीद लगाए हुए है.
इस चुनाव में एक बड़ा आकर्षण का केंद्र यह है कि बीजेपी ने मालेगांव ब्लास्ट की आरोपी प्रज्ञा ठाकुर को कांग्रेस के दिग्विजय सिंह के खिलाफ भोपाल सीट से अपना प्रत्याशी बनाया है.
महाराष्ट्र में चौथे चरण के चुनाव के अंतर्गत मुंबई शहर की सभी सीटों पर चुनाव होंगे. यहां कांग्रेस से पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा, अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर, अभिनेता संजय दत्त की बहन प्रिया दत्त तो बीजेपी की तरफ से पार्टी के दिवंगत नेता प्रमोद महाजन की बेटी पूनम महाजन चुनाव मैदान में हैं.
कांग्रेस यहां अपना जनसमर्थन दोबारा वापस पाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही है. बीजेपी और शिवसेना ने 2014 में शहर की सारी सीटों पर कब्जा जमाया था.
महाराष्ट्र में एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार के पौत्र पार्थ पवार मावल सीट से पहली बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं.
ओडिशा में बीजेपी, बीजेडी को कड़ी चुनौती देकर राज्य में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है. बीजेडी का यहां एक दशक से ज्यादा समय से जबरदस्त प्रभाव है.
यहां केंद्रपाड़ा में एक दिलचस्प मुकाबला होने वाला है, जहां बीजेपी में शामिल होने वाले बीजेडी के पूर्व नेता जय पांडा अभिनेता से नेता बने अनुभव मोहंती के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले हैं.
चौथे चरण में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनसे पूर्व सूबे की सीएम वसुंधरा राजे की पारंपरिक सीटों पर मुकाबला है. गहलोत के बेटे वैभव जोधपुर से पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं और वह मौजूदा बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ खड़े हैं.
राजे के बेटे दुष्यंत सिंह झालावार-बारन से दोबारा चुनाव जीतना चाहते हैं. राजे ने भी यहां से पांच बार जीत दर्ज की थी.
उत्तर प्रदेश में चौथे चरण में बुंदेलखंड की अधिकतर सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. यहां बीजेपी ने 2014 में जबरदस्त जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार एसपी और बीएसपी साथ लड़ रहे हैं, इसलिए मुकाबला कड़ा है.
इस चरण में कानपुर और फर्रुखाबाद में भी चुनाव होंगे. कांग्रेस ने कानपुर से श्रीप्रकाश जयसवाल को और फर्रुखाबाद से सलमान खुर्शीद को उतारा है. बीजेपी ने पार्टी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी को इस बार टिकट नहीं दिया है और कानपुर से राज्य मंत्री सत्यदेव पचौरी को मैदान में उतारा है.
पश्चिम बंगाल में बीजेपी, तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ जबरदस्त प्रचार कर रही है. तृणमूल 2011 के बाद से यहां राजनीतिक रूप से मजबूत स्थिति में है.
इस चरण में केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के सांसद बाबुल सुप्रियो आसनसोल सीट से दोबारा जीत दर्ज करने के लिए जोर लगा रहे हैं. उनका सामना तृणमूल कांग्रेस की मुनमुन सेन से है.
कांग्रेस ने 2014 में बहरामपुर सीट जीती थी और इसके मौजूदा सांसद अधीर रंजन चौधरी तृणमूल कांग्रेस से नई चुनौतियों को सामना कर रहे हैं.
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