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‘लव जिहाद’ कानून: BJP शासित 5 राज्यों की योजनाएं क्या हैं?

BJP के नेतृत्व वाले 5 राज्यों ने कहा है कि वे ‘लव जिहाद’ के खिलाफ कानून बनाने जा रहे हैं.इसका क्या मतलब है?

क्विंट हिंदी
भारत
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‘लव जिहाद’ पर कानुन? इसकी परिभाषा और आंकड़े कहां हैं?
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‘लव जिहाद’ पर कानुन? इसकी परिभाषा और आंकड़े कहां हैं?
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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अब तक बीजेपी के नेतृत्व वाले कम-से-कम पांच राज्यों ने कहा कि वे 'लव जिहाद' पर नियंत्रण करने के लिए एक कानून लाने की योजना बना रहे हैं. ‘लव जिहाद’ एक दक्षिणपंथी षड्यंत्रकारी सिद्धांत है, जिसके तहत दक्षिणपंथी यह आरोप लगाते हैं कि मुस्लिम पुरुष गैर-मुस्लिम महिलाओं से प्रेम करने का नाटक कर उन्हें इस्लाम धर्म में परिवर्तित करते हैं.

हालांकि अभी तक मोदी सरकार, राष्ट्रीय महिला आयोग और अदालतों के साथ-साथ अलग-अलग पुलिसि की जांच में मुस्लिम पुरुषों के बारे में किए जाने वाले 'लव जिहाद' के दावों को प्रमाणित नहीं किया जा सका है और न ही ‘लव जिहाद’ से संबंधित कोई डेटा या परिभाषा ही उपलब्ध है.

तो फिर वास्तव में बीजेपी के नेतृत्व वाले राज्यों की योजना क्या है और नए कानूनों में क्या होगा? आइए इस मामले को विस्तृत रूप से देखते हैं :

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मंगलवार के दिन यानी 17 नवंबर, 2020 को कहा कि राज्य सरकार ’लव जिहाद’ के खिलाफ कानून लाने पर विचार कर रही है.

“मध्य प्रदेश ‘फ्रीडम ऑफ रिलिजन बिल, 2020’ को विधानसभा में पेश करने की तैयारी कर रहा है. इसमें 5 साल के कठोर कारावास का प्रावधान करेगा. हम यह भी प्रस्ताव कर रहे हैं कि ऐसे अपराधों को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध घोषित किया जाए.”
नरोत्तम मिश्रा, गृहमंत्री, मध्य प्रदेश-एएनआई को दिया गया बयान

मध्य प्रदेश के गृहमंत्री ने आगे कहा कि धर्मांतरण के लिए धोखे से या ‘किसी को लुभाने’ के उद्देश्य से किए जाने वाले विवाह को अमान्य माना जाएगा. उन्होंने कहा, “इस अपराध को करने में साथ देने वालों को भी अपराधी की ही श्रेणी में गिना जाएगा जाएगा.”

इसका क्या मतलब है? आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किया जाने वाला नया कानून 1968 के मध्य प्रदेश ‘फ्रीडम ऑफ रिलिजन एक्ट’ में एक संशोधन हो सकता है, जिसमें जबरन धर्म परिवर्तन के लिए अधिकतम दो साल की सजा का प्रावधान था.

हरियाणा

हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने मंगलवार को यानी 17 नवंबर, 2020 को कहा कि ’लव जिहाद’ के मामलों को नियंत्रित करने के लिए एक कड़ा कानून बनाया जाएगा और इसके लिए एक समिति बनाई जाएगी.

एएनआई को दिए एक बयान में विज ने कहा,

“हमने ‘लव जिहाद’ के खिलाफ एक सख्त कानून बनाने के लिए गृह विभाग और महाधिवक्ता हरियाणा के कार्यालय के सदस्यों वाली एक मसौदा समिति गठित करने का फैसला किया है. इसी के साथ मुख्यमंत्री के साथ हमारी विस्तृत चर्चा भी होगी.”

द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर में फरीदाबाद में एक 21 साल की छात्रा को उसके कॉलेज के बाहर पीछा करने वाले एक व्यक्ति ने गोली मार दी थी, जिसके बाद सीएम खट्टर ने कहा था कि केंद्र और राज्य सरकार 'लव जिहाद' के मुद्दे को बहुत गंभीरता से ले रही है. पीड़ित के परिवार ने आरोप लगाया था कि लड़की पर धर्मांतरण का दबाव डाला जा रहा है.

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उत्तर प्रदेश

बीजेपी के पहले मुख्यमंत्री जिन्होंने ‘लव जिहाद’ पर अंकुश लगाने के लिए एक सख्त कानून लाने की बात की थी, वह हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री नेजौनपुर में उप चुनाव के प्रचार के दौरान उन लोगों के लिए मौत की धमकी दी, जो ‘अपनी पहचान छिपाते हैं’ और ‘हमारी बहनों और बेटियों के सम्मान के साथ खिलवाड़ करते हैं’.

“इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि विवाह के लिए धर्मांतरण आवश्यक नहीं है. सरकार ‘लव जिहाद’ पर अंकुश लगाने के लिए काम करेगी और हम एक सख्त कानून बनाएंगे. मैं उन लोगों को चेतावनी देता हूं, जो अपनी पहचान छिपाते हैं और हमारी बहनों और बेटियों के सम्मान के साथ खेलते हैं, अगर आप अपने व्यवहार में सुधार नहीं लाते हैं, तो आपकी ‘राम-नाम सत्य’ यात्रा शुरू हो जाएगी.”
योगी आदित्यनाथ, यूपी सीएम

अब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में क्या कहा है?

पुलिस सुरक्षा की मांग करने वाले एक विवाहित जोड़े द्वारा एक रिट याचिका को खारिज करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 30 अक्टूबर को पाया था कि लड़की एक मुस्लिम थी और शादी करने से ठीक एक महीने पहले वह हिंदू धर्म में परिवर्तित हो गई थी.

जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि इससे साफ तौर पर पता चलता है कि कंनवर्जन केवल शादी के उद्देश्य से हुआ था.

लाइव लॉ के मुताबिक, जस्टिस त्रिपाठी ने 2014 के एक फैसले का भी हवाला दिया जिसमें उसी अदालत ने कहा था कि विवाह के उद्देश्य के लिए कंनवर्जन अस्वीकार्य है. कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत वह मामले में हस्तक्षेप करने के लिए इच्छुक नहीं था, जो एक उच्च न्यायालय को रिट याचिका देने में सक्षम बनाता है.

कर्नाटक

कर्नाटक के पर्यटन और कन्नड़ एवं संस्कृति मंत्री सीटी रवि ने 4 नवंबर को अपने एक बयान में कहा कि राज्य सरकार ‘लव जिहाद’ को अपराध की श्रेणी में लाने के लिए कानून लाएगी.

सीटी रवि ने एक ट्वीट में कहा था,

“इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश की तर्ज पर कर्नाटक विवाह के लिए धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून बनाएगा. अगर जिहादी हमारी बहनों की प्रतिष्ठा के साथ खिलवाड़ करेंगे तो हम चुप नहीं रहेंगे. धर्मांतरण के काम में शामिल व्यक्ति को गंभीर और कड़ी-से-कड़ी सजा दी जाएगी.”

‘लव जिहाद’ को रोकने के लिए कानून बनाने की अपनी पार्टी के नेताओं की मांग का जोरदार समर्थन करते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने भी कहा कि सरकार पहले से ही विशेषज्ञों के साथ एक कानून बनाने के लिए बातचीत कर रही है, ताकि विवाह के लिए धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाया जा सके.

येदियुरप्पा ने बीजेपी की राज्य कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए कहा, “कर्नाटक ने हमेशा लव जिहाद को चिंता का विषय माना है. मैं अपने पार्टी के सहयोगियों से सहमत हूं कि हमें विवाह के लिए धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाने हेतु एक कानून की आवश्यकता है.”

असम

असम बीजेपी के फायरब्रांड मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने भी यह चेतावनी दी कि अगर उनकी पार्टी 2021 के चुनावों में सत्ता में वापस आती है तो वे ऐसे व्यक्ति को जेल की हवा खिलाएंगे, जो किसी असमिया लड़की को परेशान करता है या पहचान छिपाकर उसे ‘लव जिहाद’ का शिकार बनाता है.

एनडीटीवी के हवाले से बिस्वा ने कहा, “सोशल मीडिया नया खतरा है, क्योंकि यह लव जिहाद को बढ़ावा देने में मदद कर रहा है. सोशल मीडिया के जरिए असमिया लड़कियां लव जिहाद का शिकार हो रही हैं. यह हमारे समाज पर एक सांस्कृतिक हमला है और बाद में इन लड़कियों को तलाक का सामना करना पड़ सकता है.”

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