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लखनऊ के इस ‘शाहीन बाग’ में प्रदर्शनकारी महिलाओं की भारी तादाद  

इस प्रदर्शन में बड़ी तादाद में महिलाएं हिस्सा ले रही हैं.

अलीज़ा नूर
भारत
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 इस प्रदर्शन में बड़ी तादाद में महिलाएं हिस्सा ले रही हैं.
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इस प्रदर्शन में बड़ी तादाद में महिलाएं हिस्सा ले रही हैं.
(फोटो: altered by Quint Hindi)

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यूपी की राजधानी लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ शहर के घंटा घर इलाके में जारी प्रदर्शन का आकार बढ़ रहा है. शनिवार, 18 जनवरी की रात यहां पुलिस ने प्रदर्शनकारीयों का कंबल और खाना छीन था. लेकिन बावजूद इसके, इस प्रदर्शन में बड़ी तादाद में महिलाएं हिस्सा ले रही हैं.

समाजवादी पार्टी के छात्रसंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पूजा शुक्ला और सामाजिक कार्यकर्ता रफत फातिमा ने द क्विंट को बताया कि यह सब कैसे शुरू हुआ.


पूजा ने कहा, “यह शुक्रवार को शुरू हुआ जब तीन-चार महिलाएं घंटा घर (क्लॉक टॉवर) पर बैठीं. उन्होंने मुझे लगभग 3 बजे फोन किया और समर्थन मांगा. उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि और लोग उनसे जुड़ें. हमने आंदोलन को बढ़ाने में मदद करने के लिए फेसबुक के जरिए और लोगों को आमंत्रित करना शुरू किया. पहले दिन, 200-300 लोग थे.”

‘पुलिस ने कंबल छीन लिए, अलाव पर पानी फेंका'

पूजा ने बताया, "अगले दिन बड़ी तादाद में लोग क्लॉक टॉवर के पास इकठ्ठा हुए. इसके तुरंत बाद पुलिस ने बुरा बर्ताव किया और साथ ही कंबल, मैट और खाना छीन लिया. उन्होंने हमारे अलाव पर भी पानी छिड़क दिया, सार्वजनिक शौचालय को बंद कर दिया गया है. हर दिन वे रात 9 बजे के बाद बिजली काट देते हैं और हम मोमबत्तियों का इस्तेमाल करते हैं.”

उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है. रविवार को विरोध प्रदर्शनों में 5,000 से ज्यादा महिलाओं ने हिस्सा लिया. पुरुषों को आने की अनुमति नहीं है, क्योंकि ये विरोध प्रदर्शन महिला केंद्रित है; हालांकि, बहुत से पुरुष प्रदर्शनकारियों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं.

पूजा शुक्ला ने कहा, “हमारा विरोध सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ है. यह शाहीन बाग, खुरेजी और हर जगह की महिलाओं के साथ एकजुटता में है. सरकार ने महिलाओं पर बिरयानी के लिए पैसे लेने का आरोप लगाया, लेकिन यह गलत है. लड़ाई पुरुषों के वर्चस्व के खिलाफ भी है.”

'जहां जिए हैं, वहीं मरेंगे’

फैतिमा ने बताया कि शनिवार रात को पुलिस ने जो भी किया, उसके बावजूद कई प्रदर्शनकारियों ने पुलिस को खाने की पेशकश की. उसने कहा कि पुलिस उन्हीं लोगों से पानी पीती है, खाना कहती है, जिनसे उन्होंने खाना छीन लिया था. फातिमा ने एक बूढ़ी महिला से मुलाकात भी याद किया, जिसकी कही बातों ने उसके दिल को छू लिया.

“रविवार को जब लोगों को लगा कि पुलिस आ रही है, तो उनमें से कुछ घबरा गए. इस बूढ़ी औरत ने हमें बुलाया जब उन्हें लगा कि हम भाग रहे हैं. 75 साल से ऊपर की उम्र वाली इस बूढ़ी औरत ने कहा, “हमारे बुजुर्ग यहीं रहे हैं, उन्होंने जान यहीं दी. हम यहीं शाहदत पाएंगे. जहां पैदा हुए, वहीं मरेंगे”

फातिमा ने आगे कहा, “पुरुषों को अनुमति नहीं दी जा सकती है लेकिन वे हमारे साथ खड़े हैं. वे हमें मेडिकल मदद भी दे रहे हैं. पुलिस उन्हें दूर कर रही है, उन्हें अंदर नहीं जाने दे रही है.”

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'आजादी’ के नारों से लेकर 'सारे जहां से अच्छा’ तक

फातिमा ने कहा, “ठंड की रात में महिलाएं अपनी जगह से नहीं हिलीं. वे अपनी जगह पर बैठे रहे. वे जानते हैं कि पुलिस उन्हें डराने की कोशिश कर रही है, या तो उनके कंबल हटाकर या फिर उनके अलाव पर पानी फेंक कर. लेकिन वे डरे हुए नहीं हैं.”

“यहां बेशुमार तादाद में नारों की गूंज को विरोध प्रदर्शन पर सुना जा सकता है. जामिया, जेएनयू, जामिया के ‘आजादी’ के नारों से लेकर संविधान पढ़ने और ‘सारे जहां से अच्छा’ गाने तक.”
-रफत फातिमा, सोशल एक्टिविस्ट

उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं ने क्लॉक टॉवर के चारों ओर मानव श्रृंखला बनाई और रविवार को रंगोली भी बनाई.

इस बीच, नियमित तौर पर महिलाओं की मदद करने वाले एक वॉलेंटियर अब्दुल रहमान ने भी महिलाओं की कही गई बातों की पुष्टि की. उन्होंने द क्विंट को बताया, “मैं उन लोगों के साथ था जिनके कंबल उन्होंने छीन लिए. मैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से नहीं जानता, लेकिन मुझे पता था कि वे मदद कर रहे थे. पुलिस ने एक कार को निशाना बनाया, जिसमें महिलाओं के लिए कंबल और खाना था. जब तीसरी बार कार आई, तब पुलिस ने उसे रोका.”

उन तीनों ने बताया कि शुक्रवार रात पुलिस ने विरोध प्रदर्शन में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया जो कंबल देकर उनकी मदद कर रहा था. उन्होंने कहा कि उन्होंने केवल दो दिन बाद रविवार को उन्हें रिहा कर दिया.

पुलिस का क्या कहना है?

तीन महिला पुलिस अधिकारियों ने 14 प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जिसमें “नाफरमानी” और “दंगा करने” का आरोप लगाया गया है. उन्होंने एफआईआर में चार नाम दिया है- सुमैया राणा, फौजिया राणा, रुखसाना और सफिया. लखनऊ पुलिस ने अपने ट्विटर हैंडल के जरिए यह पोस्ट किया:

पुलिस ने लिखा, “लखनऊ के घंटाघर पार्क (क्लॉक टॉवर) में हो रहे अवैध विरोध के दौरान, कुछ लोगों द्वारा रस्सियों और डंडे का घेरा बनाकर वहां पर शीट लगाया जा रहा था, जिसे लगाने से माना किया गया. कुछ संगठनों के लोगों द्वारा पार्क में कंबल ले आकर वितरित कराया जा रहा था, जिसके आसपास के लोग जो धरने में सम्मिलित नहीं थे, वह भी कंबल लेने के लिए आ रहे थे. पुलिस के द्वारा वहां से कंबल और उन संगठनों के व्यक्तियों को वहां से हटाया गया. कंबलों को विधिक तरीके से कब्जे में लिया गया. कृपया अफवाह न फैलाएं."

ये भी पढ़ें- शाहीन बाग में महिलाओं का आंदोलन नाइंसाफी का सीधा विरोध है

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