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नोटबंदी और महंगे पेट्रोल-डीजल से परेशान मालवा के दुकानदारों का गुस्सा क्या वोटिंग मशीन में भी दिखेगा? मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार की वापसी के लिए बीजेपी को मालवा से भारी समर्थन की जरूरत होगी.
इस इलाके में 48 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें 44 सीटें बीजेपी के कब्जे में हैं.
मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर बीजेपी का अभेद्य किला माना जाता है. लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन यहां से लगातार 5 बार से जीत रही हैं. इंदौर के दुकानदारों के मुताबिक, वो अभी तक नोटबंदी और जीएसटी के झटके से उबर नहीं पाए हैं. ज्यादातर इसी बात से नाराज हैं और ये गुस्सा शिवराज चौहान के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है. लेकिन उनकी शिकायत यही है कि कांग्रेस ने अपना नेता अभी तक घोषित नहीं किया है.
लेकिन इंदौर में कपड़े का कारोबार करने वाले जीतन चौहान कहते हैं:
मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन को सत्ता की चाबी माना जाता है. उज्जैन की अहमियत इसी बात से लगाई जा सकती है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह अक्सर महाकाल के दरबार में हाजिरी देने आते हैं. मालवा इलाके में आने वाले ज्यादातर छोटे-बड़े नेता महाकाल के दर्शन करने जरूर आते हैं.
उज्जैन के एक छोटे दुकानदार गौरव गुप्ता राज्य सरकार के काम से तो संतुष्ट हैं, पर सरकार से उनकी यही मांग है कि युवाओं के रोजगार के लिए सरकार को युद्धस्तर पर कदम उठाना चाहिए. गौरव की शिकायत है कि आसपास नौकरियां नहीं हैं, इसलिए युवाओं को इसके लिए बाहर जाना पड़ता है,
उज्जैन की एक मस्जिद की देख-रेख करने वाले छोटू खान को राज्य सरकार के कामकाज से ज्यादा परेशानी नहीं है, लेकिन उनका मानना है कि गोतस्करी के नाम पर होने वाली लिंचिंग पर तुरंत लगाम लगनी चाहिए.
लेकिन राजधानी भोपाल में छोटे दुकानदार हामिद खान इस बात से बेहद नाराज हैं कि पेट्रोल-डीजल और गैस सिलेंडर की महंगाई की वजह से उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा उसमें चला जाता है.
भोपाल में फल बेचने वाले रफीक खान के मुताबिक, वो अभी तक नोटबंदी की मार से नहीं उबर पाए हैं. नोटबंदी की ऐसी मार पड़ी कि उनका धंधा पूरी तरह चौपट हो गया है, दो साल बाद भी वो आज तक नहीं उबर पाए हैं.
मध्य प्रदेश की जनता से बात करके ये अंदाजा लग रहा है कि शिवराज चौहान और बीजेपी के लिए मामला एकतरफा नहीं है. मालवा बीजेपी का परंपरागत गढ़ है और यहां लोगों की प्रतिक्रिया से लग रहा है कि कांग्रेस और बीजेपी, दोनों में कांटे का मुकाबला है. मध्य प्रदेश में 28 नवंबर को वोटिंग है और काउंटिंग 11 दिसंबर को होगी.
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