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मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के हरदा में पटाखा फैक्ट्री में पिछले हफ्ते सिलसिलेवार विस्फोट हुए, जिसमें कम से कम 13 लोग ने जान गंवा दी. द क्विंट को यह पता चला है कि इस फैक्ट्री के मालिक को 2015 के एक मामले में दस साल की जेल की सजा सुनाई गई थी.
FIR के अनुसार 6 फरवरी 2024 को हुए विस्फोट "अवैध रूप से अतिरिक्त विस्फोटकों के भंडारण" के कारण हुए थे.
एक तरफ हरदा के विधायक राम किशोर दोगने ने दावा किया कि विस्फोट में कम से कम 224 लोग घायल हुए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि मालिकों के पास "निर्धारित सीमा से कहीं अधिक विस्फोटक" थे. वहीं जिले के कलेक्टर आदित्य सिंह ने द क्विंट को बताया कि घटना में 172 लोग घायल हुए हैं और मामला जांच की जा रही है.
विधायक दोगने ने हरदा के राजेश फायरवर्क्स में विस्फोट के एक दिन बाद राज्य विधानसभा में कहा था, “यह ऐसी तीसरी घटना है. इससे पहले भी, कई लोगों की जान गई थी. फिर भी इस फैक्ट्री को संचालित करने की अनुमति दी गई थी.''
फैक्ट्री मालिक राजेश अग्रवाल उर्फ राजू के खिलाफ 2015 में इसी तरह की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था जब उनके पटाखा गोदाम में विस्फोट के कारण दो मजदूरों की मौत हो गई थी.
27 वर्षीय शेख इकबाल और 21 वर्षीय राकेश आत्माराम, दोनों हरदा जिले के मगरधा गांव के रहने वाले थे. ये दोनों व्यक्ति बैरागढ़ मौजा स्थित एक पटाखा गोदाम में काम करते थे. गोदाम किसी दिनेश शर्मा (2015 के मामले में सह-आरोपी) के खेत में स्थित था, जिसने दावा किया था कि उसने इसे राजू को किराए पर दिया था.
दोनों पर विस्फोटक सामग्री के साथ काम करने के दौरान भी अपने कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरण न देकर जानबूझकर लोगों की जान खतरे में डालने का भी आरोप लगाया गया था.
इस मामले की सुनवाई हरदा के जिला एवं सत्र न्यायालय में हुई, जहां द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश राजेंद्र कुमार दक्षिणी ने 7 जुलाई 2021 को दिनेश शर्मा और राजेश अग्रवाल, दोनों को 10 साल की जेल और 10,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी.
सरकारी वकील ने दावा किया कि राजू ने जानबूझकर अपने कामगारों के जीवन को खतरे में डाला, जो की अप्रशिक्षित भी थे. जबकि आरोपी के वकील ने उन आरोपों को खारिज कर दिया, और कोर्ट में कहा कि आरोपी ने उचित प्रक्रिया के माध्यम से लाइसेंस प्राप्त किया था.
विस्फोटक सामग्री के लिए बरती जाने वाली सावधानियों पर दिनेश और राजू की लापरवाही के सवाल पर, सत्र न्यायाधीश ने कहा कि "लापरवाही के कारण केवल दो लोगों की मौत हुई है और कोई अन्य व्यक्ति घायल नहीं हुआ है." राजू के पास वैध लाइसेंस था.
न्यायाधीश ने टिप्पणी की...
इसलिए उचित संदेह से परे आरोपी के खिलाफ धारा 286 (लापरवाही) और 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत अपराध स्थापित नहीं किया जा सका.
इस बीच, 8 फरवरी को, हरदा विधायक राम किशोर दोगने ने द क्विंट को बताते हुए आरोप लगाया कि फैक्ट्री मालिकों के पास 15 किलो विस्फोटक रखने के लिए दो लाइसेंस थे. दोनों कथित रूप से अवैध थे. दोगने ने दावा किया, "फिर भी यह बताया जा रहा है कि उन्होंने 15 क्विंटल विस्फोटक सामग्री रखी थी, जो लगभग 100 गुना अधिक मात्रा थी."
7 जुलाई 2021 को राजू और दिनेश को 2015 के मामले में विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 की विभिन्न धाराओं के तहत सजा सुनाई गई.
इसी आदेश में, अदालत ने राज्य फोरेंसिक विज्ञान लेबोरेट्री (SFSL), मध्य प्रदेश द्वारा तैयार की गई केमिकल जांच की एक रिपोर्ट दर्ज की थी.
रिपोर्ट में साइट पर पोटेशियम, एल्यूमीनियम नाइट्रेट, सल्फर और सल्फेट्स की मौजूदगी का उल्लेख किया गया है. यह काले बारूद और एल्यूमीनियम पाउडर के मिश्रण का जला हुआ अवशेष है, जिसका उपयोग निम्न श्रेणी के विस्फोटक बनाने में किया जाता है. पोटेशियम नाइट्रेट, भी पाया गया जिसका उपयोग 'ब्लैक गनपाउडर' नामक निम्न श्रेणी के विस्फोटक बनाने में भी किया जाता है.
राजेश अग्रवाल पर विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 की धारा 5 (संदिग्ध परिस्थितियों में विस्फोटक बनाने या रखने के लिए सजा) के तहत आरोप लगाया गया था. जबकि दिनेश शर्मा पर उसी अधिनियम की धारा 5 और 6 (दुष्प्रेरक के लिए सजा) के तहत आरोप लगाया गया था.
कांग्रेस विधायक दोगने ने विधानसभा में कहा था...
उन्होंने घटना की निष्पक्ष जांच कराने और प्रशासनिक अधिकारियों समेत जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त सजा की मांग की.
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