Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Madhya Pradesh पंचायत और नगर निकाय चुनाव:ग्वालियर-चंबल क्यों हारी बीजेपी?

Madhya Pradesh पंचायत और नगर निकाय चुनाव:ग्वालियर-चंबल क्यों हारी बीजेपी?

भोपाल: जिला पंचायत में BJP के कम सदस्य फिर भी कांग्रेस के सदस्यों को तोड़कर बीजेपी समर्थित अध्यक्ष बना.

विष्णुकांत तिवारी
भारत
Updated:
<div class="paragraphs"><p>Madhya Pradesh: पंचायत और नगर निकाय चुनाव में बीजेपी की पैठ- 'आप' की एंट्री</p></div>
i

Madhya Pradesh: पंचायत और नगर निकाय चुनाव में बीजेपी की पैठ- 'आप' की एंट्री

फोटो- क्विंट

advertisement

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh Local Body Polls) के पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों के नतीजों के बाद कई किस्से सामने आए हैं, जैसे भोपाल में जिला पंचायत में बीजेपी के कम सदस्य जीतने के बावजूद बीजेपी ने कांग्रेस के सदस्यों को तोड़कर बीजेपी समर्थित अध्यक्ष बनवा दिया.

इसके अलावा बीजेपी पर परिवारवाद के बड़े आरोप लगे हैं, आम आदमी पार्टी और ओवैसी की एआईएमआईएम पार्टी का खाता भी प्रदेश में खुल चुका है.

भोपाल में जिला पंचायत में 7 कांग्रेस समर्थित सदस्यों ने जीत हासिल की थी और दो बीजेपी वहीं एक बीजेपी विरोधी निर्दलीय मोहन जाट ने जीत दर्ज की थी, लेकिन इसके बावजूद बीजेपी ने आखिरी वक्त में कांग्रेस से सदस्यों को तोड़ कर कांग्रेस के ही रामकुंवर गुर्जर को बीजेपी समर्थित बनाकर अध्यक्ष बनवा दिया.

जिस वक्त रामकुंवर गुर्जर को बीजेपी नेताओं समेत विधायक रामेश्वर शर्मा और मंत्री विश्वास सारंग के संरक्षण में निर्वाचन कक्ष में ले जाया गया उसी वक्त मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह समेत अन्य कांग्रेसी नेताओं को पुलिस निर्वाचन कक्ष के अंदर घुसने से रोक रही थी.

पूरे घटनाक्रम में दिग्विजय सिंह के साथ धक्का मुक्की भी हुई, इस बीच दिग्विजय सिंह पर पुलिसवाले की कॉलर पकड़ने का भी आरोप लगा, हालांकि इस पूरे तमाशे के बीच बीजेपी ने अपना काम कर लिया था.

ग्वालियर-चंबल हारने की क्या वजह रही?

ग्वालियर चंबल कई सालों से बीजेपी का गढ़ माना जाता रहा है लेकिन 2019 में कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी आए ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे और इलाके के कद्दावर नेता नरेंद्र सिंह तोमर, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के बीच खींचतान में इस बार बीजेपी को काफी नुकसान हुआ है.

ग्वालियर और मुरैना दोनों ही जगह बीजेपी को महापौर पद के लिए हुए चुनावों में हार मिली है. तो वहीं दूसरी ओर निगम और पालिका के चेयरमैन चुनावों के लिए भी सिंधिया, तोमर और मिश्रा खेमे के बीच अनबन की खबरों का सिलसिला चलता रहा है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

बीजेपी में हावी रहा परिवारवाद- कांग्रेस ने लगाया आरोप

कांग्रेस हमेशा से परिवारवाद के मुद्दे पर बीजेपी द्वारा घिरती हुई नजर आई है और बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा भी कह चुके हैं कि "पिता के बाद बेटा आये इसे रोका जाए… पीड़ा होती है लेकिन पार्टी की इंटरनल डेमोक्रेसी को मजबूत रखना है नहीं तो कल को कौन कार्यकर्ता आएगा".

नड्डा ने साफ तौर पर कहा था की परिवारवाद को बिल्कुल भी जगह नहीं दी जाएगी लेकिन मध्यप्रदेश पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों में बीजेपी ने कई ऐसे लोगों को टिकट दिया जिससे परिवारवाद को बढ़ावा मिला.

फिर चाहे बात टीकमगढ़ की हो जहां उमिता सिंह जो उमा भारती के भतीजे की पत्नी हैं या सागर की जहां हीरा सिंह राजपूत जो कि कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के भाई हैं, या बड़वानी जहां कैबिनेट मंत्री प्रेम सिंह पटेल के पुत्र बलवंत सिंह पटेल को टिकट मिला है. इसके अलावा भी कई उदाहरण है.

खंडवा में अमृता यादव जो कि बीजेपी के कई बार विधायक रहे हुकुमचंद यादव की बहू हैं उनको टिकट मिला तो वहीं सतना में योगेश ताम्रकार जो कि संघ के दिग्गज नेता शंकर प्रसाद ताम्रकर के पुत्र हैं.

कांग्रेस-बीजेपी की लड़ाई में चर्चा में रही आम आदमी पार्टी की जीत

मध्यप्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी के जीत के बीच सबसे ज्यादा चर्चित रही आम आदमी पार्टी की एंट्री. सिंगरौली से मेयर पद पर चुनी गई रानी अग्रवाल की जीत के साथ ही आम आदमी पार्टी की मध्यप्रदेश में एंट्री हुई है.

बीजेपी ने हाल के दिनों में हुए नगरीय निकाय चुनावों में मुस्लिमों प्रत्याशियों पर भी दांव लगाया और ऐसा दांव लगाया की लगभग 25 जगहों पर बीजेपी के मुस्लिम प्रत्याशियों ने कांग्रेस के हिंदू प्रत्याशियों को हरा दिया.

कुल 6500 से भी अधिक पार्षदों में से लगभग 380 सीटों पर बीजेपी ने तो वहीं कांग्रेस ने 450 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे. इनमे से बीजेपी के 92 तो कांग्रेस के 344 पार्षद जीते.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 11 Aug 2022,04:48 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT