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"मेरी शादी 3-4 महीने बाद होने वाली थी, लेकिन हमने जो भी सामान खरीदा था, वह सब मलबे में दब गया है. कपड़ों के अलावा सारा राशन भी बर्बाद हो गया है."
क्विंट हिंदी से बातचीत में 18 वर्षीय ताजिया कुरैशी ने ये कहा, जिनके पिता असीम कुरैशी पर गोवंश की हत्या और गोवंश का मांस बेचने का आरोप लगा है.
मामला मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मंडला जिले का है. 15 जून को पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर भैंसवाही गांव में 11 घरों पर दबिश दी थी. वहीं प्रशासन ने 11 आरोपियों के घरों को अवैध बताते हुए बुलडोजर से ढहा दिया.
पुलिस की कार्रवाई के बारे में ताजिया बताती हैं, "यह नसीर का मामला था और पुलिस उसे पकड़ने आई थी. लेकिन वे हमारे घरों में भी घुस आए. सिर्फ एक थाने की पुलिस नहीं थी, वे शाम 6-7 बजे के आसपास आए थे. मेरे घर पर बहुत सारे लोग थे क्योंकि उस दिन मेरी दादी की बरसी थी."
वो आगे कहती हैं, "इन सभी घरों में, उन्होंने फ्रिज खोला, सभी सामान की जांच की और फिर उन्हें जब्त कर लिया. मेरे घर में तो फ्रिज भी नहीं था. उन्होंने हमारे घर में रखी कुरान भी फाड़ दी. कार्रवाई के बाद से मोहल्ला खाली हो गया है."
"पुलिस ने हमसे पूछा कि इन गतिविधियों में कौन शामिल है, लेकिन हमने उन्हें बताया कि हम इसमें शामिल नहीं हैं."
हालांकि, पुलिस और प्रशासन का कहना है कि घर अवैध रूप से सरकारी जमीन पर बनाए गए थे और इन लोगों को बकायदा नोटिस भी जारी किया गया था.
क्विंट हिंदी से बातचीत में मंडला पुलिस अधीक्षक रजत सकलेचा ने कहा, "मलबे में कहीं भी कोई सामान दबा हुआ नहीं है. पर्याप्त समय दिया गया था. एक महीने का नोटिस था."
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि साल 2016 और 2022 में भी अतिक्रमण हटाने की कोशिश की गई थी, लेकिन परिस्थिति ठीक नहीं थी, इस वजह से कार्रवाई नहीं हो पाई थी.
ताजिया के माता-पिता के अलावा दो भाई हैं. "पिछले तीन दिनों से हम इस भीषण गर्मी में परेशान हो रहे हैं."
"अगर आपको हमारे घर में कुछ मिला, चाहे वह गोमांस ही क्यों न हो, तो हमें दोषी ठहराइए, हमारे खिलाफ मुकदमा दर्ज कीजिए, हमें लड़ने का मौका दीजिए. हमारे घर तोड़ने की क्या जरूरत थी?"
36 वर्षीय सुल्ताना बी पेशे से मजदूर और ताजिया की पड़ोसी हैं. क्विंट हिंदी से बातचीत में वे बताती हैं, "वे 15 तारीख की रात को आए, उन्होंने बरसी पर रखा सारा खाना चेक किया. यहां तक कि आलू-मटर पुलाव भी चेक किया. उन्होंने घरों की तलाशी लेते हुए सभी लोगों, महिलाओं और पुरुषों को पीटा भी. कई स्थानीय लोग भी भाग गए."
जब्त मीट के बारे में पूछे जाने पर मंडला SP ने कहा, "हमने कई स्तर पर उसका सत्यापन किया है. फाइनल रिपोर्ट आना अभी बाकी है. बाकी सब रिपोर्ट्स आ गई हैं. वेटनरी डॉक्टर ने प्रूव किया है कि वो है. डीएनए एनालिसिस रिपोर्ट आने में समय लगेगा. मौके से जो अवशेष मिले हैं उससे साफ है कि वो गौवंश के अवशेष हैं."
सुल्ताना बी आगे कहती हैं, "उन्हें हमारे घरों में कुछ नहीं मिला. उन्होंने हमारे सामान को तहस-नहस कर दिया, फ्रिज खोला और कुछ नहीं मिला. मेरी सारी चीजें, मेरा आधार कार्ड, सब मलबे में दब गया है."
"मेरी तीन छोटी बेटियां और एक बेटा है, मैं अपने बच्चों के साथ कहां जाऊंगी? अब मैं उनके लिए क्या करूंगी?"
जिन लोगों का घर टूटा है उनमें से एक महिला ने बताया, "पुलिस की जांच में हमारे घर में कुछ भी नहीं मिला. हमसे किसी कागज पर जबरन साइन भी करवा लिए. हमारे फ्रीज में दूध और मटर की दाल मिली. उसके अलावा कुछ नहीं मिला. पुलिस वालों ने फिर हमें सो जाने के लिए कहा."
उन्होंने आगे कहा,
सुल्ताना, ताजिया सहित गांव की एक और महिला इस पूरे घटनाक्रम के लिए शाकिर नाम के शख्स को दोषी ठहराती हैं. उन्होंने कहा, "ये पूरा वो शाकिर की वजह से हुआ है. शाकिर इन लोगों से रिश्वत मांग रहा था, लेकिन इन गरीब लोगों ने उसे पैसे देने से मना कर दिया. ये सब कबाड़ का काम करते हैं. शाकिर इनसे कमीशन मांग रहा था और पैसा नहीं देने पर गौ-तस्करी और झूठे मामलों में फंसाने की धमकी दे रहा था. वही पुलिसवालों के साथ आया था और घर में घुसकर तलाशी ली थी. टीवी, फ्रीज, पैसा सब लूटकर ले गए. दाना-पानी तक ले गए."
इस पूरे मामले में पुलिस ने मध्य प्रदेश गोवंश वध प्रतिषेध अधिनियम की धारा 4, 5, 9 के तहत 11 आरोपियों के खिलाफ 11 अलग-अलग FIR दर्ज किए हैं.
FIR के मुताबिक, "कार्रवाई के दौरान आरोपी रात में अंधेरे का फायदा उठाकर भाग निकले. वहीं उसके परिवार वाले भी चले गए."
शनिवार, 15 जून को दिन में पुलिस और प्रशासन ने 11 आरोपियों के घरों को अतिक्रमण में बताकर बुलडोजर से ढहा दिया था.
ताजिया पुलिस-प्रशासन से सवाल करती हैं,
क्विंट हिंदी से बातचीत में मंडला कलेक्टर सलोनी ने कहा, "सारी कार्रवाई नियमानुसार हुई हैं. नोटिस दिया गया था. पहले भी नोटिस दिए गए हैं."
क्या सिर्फ 11 घरों को ही नोटिस दिया गया था? इस पर उन्होंने कहा, "तीन घर और हैं, जिन्होंने खुद से खाली करने की बात कही. हमारी हमेशा यही कोशिश रहती है कि सामने वाला खुद से नोटिस का अनुपालन करे तो ये उचित होता है."
इसके साथ ही उन्होंने कहा, "मई महीने में नोटिस दिया गया था और लोगों को जगह खाली करने के लिए पर्याप्त समय भी दिया गया था. पहले के सालों में भी नोटिस दिए गए थे."
वहीं, सुल्ताना बी कहती हैं, "हमारे पास पहनने के लिए कपड़े भी नहीं हैं, सिर्फ एक जोड़ी कपड़े के सहारे हम जी रहे हैं. इतनी भीषण गर्मी में वे हमें यूं ही छोड़ गए. अब हमें कौन जवाब देगा?"
पुलिस की कार्रवाई के बाद से गांव में डर का माहौल है. सुल्ताना बी ने बताया, "घर के पुरुष भागे हुए हैं, उनमें से ज्यादातर को यहां नहीं आने दिया जा रहा है. इसलिए, आगे क्या करना है और इस स्थिति से कैसे निपटना है- यह सोचने के लिए सब कहीं चले गए हैं."
"हमारे अलावा, 11 में से 9 घरों के लोग अपना बचा-खुचा सामान लेकर या तो अपने परिजनों के यहां या फिर कहीं और चले गए हैं."
ताजिया की मां 40 वर्षीय रजिया बी पंचायती काम करती हैं. उन्होंने कहा, "हम इस घर में 25 साल से रह रहे थे. मुझे अधिकारियों से कोई नोटिस नहीं मिला था. हमें नहीं पता था कि यह सरकारी जमीन है. हमारे पास सभी कागजात थे. हम सालों में इस जगह के सभी बिल भर रहे थे."
अपने बच्चों के लिए चिंतित होने के कारण, रजिया ने ताजिया और एक अन्य छोटे बेटे को कहीं और भेज दिया है क्योंकि वह उनके खुले में रहने से डरती है.
उन्होंने कहा, "ईद से ठीक पहले हमारे घर तोड़ दिए गए. हम त्योहार भी नहीं मना पाए. हमारे कपड़े मलबे में दबे हुए हैं. हमारे पास नमाज अदा करने के लिए भी जगह नहीं बची. उन्होंने मौके पर बुलडोजर मंगवाकर घरों को ध्वस्त कर दिया."
एक अन्य पीड़ित महिला ने सरकार से खाने-पीने की व्यवस्था की मांग की है. उन्होंने कहा, "हमारी सरकार से यही गुहार है कि जल्दी से जल्दी हमारे लिए राशन और रहने की व्यवस्था करें. इस चिलचिलाती धूप में हम दर-दर भटकने को मजबूर हैं."
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