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"अभी तुरंत कोलकाता का रेप और मर्डर केस हुआ है. अभी उस अपराध से जुड़ीं खबरें आनी बंद नहीं हुईं कि इन दो छोटी लड़कियों के साथ ऐसा जघन्य कृत्य हुआ है. कल्पना कीजिए कि उन्हें जीवन भर कितना ट्रॉमा सहना होगा. ऐसी स्थिति मैं घर पर नहीं बैठ सकती था."
यह बात एक महिला ने कही जो दो बच्चों की मां होने के साथ-साथ एक टीचर भी हैं. वो एक प्राइवेट ट्रस्ट द्वारा संचालित स्कूल में दो मासूम बच्चियों के साथ कथित यौन शोषण (Sexually Assaulted In Thane School) के विरोध में मंगलवार, 20 अगस्त को महाराष्ट्र के बदलापुर में हजारों प्रदर्शनकारियों में शामिल हुईं.
पुलिस ने कम से कम दो चार-साल की नाबालिगों के कथित तौर पर यौन शोषण करने के आरोप में स्कूल के एक सफाई कर्मचारी को गिरफ्तार किया. इसके चार दिन बाद, मंगलवार को ठाणे जिले के इस शहर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और हिंसा भड़क उठी. आरोपी इस स्कूल में कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर नियुक्त था.
मामला पिछले हफ्ते सामने आया था और आरोपी को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. पैरेन्ट्स और नागरिकों ने आरोपी के खिलाफ तेज सुनवाई और मौत की सजा की मांग को लेकर मंगलवार सुबह 6.30 बजे स्कूल तक मार्च किया.
इसी के साथ-साथ सैकड़ों प्रदर्शनकारी एक साथ 'रेल रोको' विरोध प्रदर्शन करते हुए बदलापुर रेलवे स्टेशन पर जमा हुए. एक समूह ने पथराव किया जिसके बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं.
पिछले हफ्ते स्कूल में पढ़ने वाली एक नाबालिग बच्ची ने कथित तौर पर अपने माता-पिता को 24 साल के आरोपी अक्षय शिंदे के बारे में बताया, जिसने उसे गलत तरीके से छुआ था. इसके बाद उस बच्ची के माता-पिता उसके एक दूसरे क्लासमेट के परिवार के पास पहुंचे.
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, आरोपी अक्षय शिंदे को 1 अगस्त को ही स्कूल ने कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर नियुक्त किया गया था.
दोनों परिवारों ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर 16 अगस्त को आरोपियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई.
हालांकि, माता-पिता और स्थानीय मनसे कार्यकर्ताओं का आरोप है कि पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में लगभग 12 घंटे लगाए.
द क्विंट से बात करते हुए, एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि वह एक टीचर होने के साथ-साथ एक मां भी हैं और उन्होंने "अपनी छोटी बच्ची की खातिर" विरोध प्रदर्शन में भाग लिया.
उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "हमारी मांग स्पष्ट है, हम बस इतना चाहते हैं कि आरोपी को जल्द से जल्द फांसी दी जाए. पहले, उन्होंने एफआईआर दर्ज करने में 12 घंटे लगाए. अब, गिरफ्तारी के चार दिन हो गए हैं. पुलिस ने अपनी जांच के मामले में क्या किया है?"
मीडिया से बात करते हुए, एक प्रदर्शनकारी ने महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री की प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण योजना (डायरेक्ट कैश ट्रांसफर स्कीम) लड़की बहिन पर कटाक्ष किया. उन्होंने कहा कि सरकार को अपनी लड़की बहिन (प्यारी बहनों) के बच्चों की रक्षा करनी चाहिए.
एक दूसरे प्रदर्शनकारी ने पूछा, "वे हमें स्कूल में हमेशा क्या पढ़ाते हैं? कि पुलिस हमारी सुरक्षा के लिए है. पुलिस किसकी रक्षा कर रही थी? वे लाठियों का इस्तेमाल करके हमें तितर-बितर करने की कोशिश क्यों कर रहे हैं?"
भले की कई सीनियर पुलिस अधिकारियों ने भीड़ को शांत करने की कोशिश की, लेकिन ज्यादातर प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जब तक आरोपी को फांसी नहीं दी जाती तब तक वे अपना प्रदर्शन खत्म नहीं करेंगे.
इसके बाद पुलिस ने कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने बताया कि अंबरनाथ-कर्जत सेक्शन पर लोकल ट्रेन सेवाएं 10 घंटे बाद फिर से शुरू हो गईं. बदलापुर स्टेशन पर विरोध प्रदर्शन के कारण ट्रेन सेवाएं प्रभावित हुईं.
आरोप लगे हैं कि संबंधित पुलिस अधिकारियों ने एफआईआर दर्ज करने में देरी की. इसके बाद राज्य के गृह मंत्री देवेंद्र फड़नवीस के कार्यालय ने कहा कि प्रक्रिया के समय मौजूद पुलिस इंसपेक्टर, सहायक पुलिस सब-इंसपेक्टप और हेड कांस्टेबल को निलंबित कर दिया गया है.
गृह मंत्री फड़णवीस ने यह भी कहा कि मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है.
उन्होंने कहा, ''सीनियर आईपीएस अधिकारी आरती सिंह, एक आईजी स्तर की अधिकारी को जांच का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया गया है. जांच में जो भी कदम उठाने की जरूरत होगी, वह लिया जाएगा.''
उन्होंने कहा कि मुकदमा फास्ट-ट्रैक कोर्ट में चलेगा.
आरोपी के लिए मौत की सजा की प्रदर्शनकारियों की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए गृह मंत्री ने कहा, "हम आरोपी को जल्द और सख्त सजा सुनिश्चित करने के लिए कानून के दायरे में रहकर हर संभव कोशिश कर रहे हैं."
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पहले मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि आरोपियों के लिए कड़ी से कड़ी सजा सुनिश्चित की जाएगी. उन्होंने कहा.
इस बीच, पुलिस ने कहा कि आरोपी की गिरफ्तारी से पहले उसके खिलाफ एक मजबूत FIR दर्ज की गई.
मीडिया को संबोधित करते हुए, डीसीपी सुधाकर पठारे ने कहा: "जिस पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की गई है, उसके अधिकारियों के साथ-साथ पड़ोसी स्टेशनों की दो सीनियर महिला पुलिस अधिकारियों को भी जांच में सहायता के लिए नियुक्त किया गया है. हम सतर्क हैं कि आरोपी के खिलाफ मजबूत मामला बनाने के लिए कोई भी डिटेल या सबूत छूट न जाए.''
स्कूल के ट्रस्ट ने प्रिंसिपल और बच्चों की देखभाल के लिए जिम्मेदार दो कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है. साथ ही पुलिस ने कहा कि अगर स्कूल अधिकारियों की ओर से कोई लापरवाही पाई गई तो उन्हें आपराधिक आरोपों का भी सामना करना पड़ सकता है.
FIR दर्ज करने में कथित देरी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, डीसीपी पथारे ने कहा: "दोनों बच्ची 3-4 साल की हैं. सबसे पहले, माता-पिता की मदद से उनके आरोपों को पूरी तरह से समझना जरूरी था. उसके बाद, भारतीय न्याय संहिता की नई धाराओं के तहत विवरण दर्ज करना, फिर अंत में रिपोर्ट दाखिल करना एक समय लेने वाली प्रक्रिया है. इस प्रक्रिया में 11-12 घंटे नहीं लगे जैसा कि दावा किया जा रहा है.”
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