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भीमा-कोरेगांव हिंसा का मुद्दा संसद में भी गूंजा. कांग्रेस लीडर मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा, 'समाज को बांटने के लिए कट्टर हिंदुत्ववादी, जो आरएसएस के लोग हैं, इसके पीछे उनका ही हाथ है. उन्होंने ये काम करवाया है.'
खडगे ने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट जज से कराए जाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि पीएम भी हिंसा के मुद्दे पर चुप नहीं रह सकते.
महाराष्ट्र के चेंदानी कोलीवाडा इलाके में प्रदर्शनकारियों ने ठाणे म्यूनिसिपल ट्रांसपोर्ट की बसों और एक ऑटो रिक्शो में तोड़फोड़ की. इस दौरान बस और ऑटो में सवार मुसाफिरों को चोटें भी आईं हैं.
मुंबई के कई इलाकों में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे हैं. कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों द्वारा दुकानें बंद कराए जाने की खबर है. इसके अलावा प्रदर्शनकारियों ने असल्फा और घाटकोपर के बीच चलने वाली मेट्रो सेवा को भी रोक दिया है.
प्रदर्शनकारियों ने नल्लासोपारा ट्रैक को जाम कर दिया है, जिसके चलते कई ट्रेनों का रूट प्रभावित हो सकता है. पश्चिमी रेलवे के मुताबिक, स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा बल कोशिशों में जुटे हैं कि ट्रेनों का ट्रैफिक प्रभावित न हो.
तनाव की वजह से मुंबई की सड़कों पर ऑटो रिक्शा भी नहीं दौड़ रहे हैं. सड़कों पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद होने की वजह से राहगीरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऑटो वालों का कहना है, 'हम इस बंद का समर्थन सिर्फ इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि हमें नुकसान होने का डर है. अगर हम सड़कों पर निकलेंगे तो प्रदर्शनकारी हमारे ऑटो को तोड़ भी सकते हैं.'
भीमा-कोरेगांव हिंसा के बाद फैले तनाव का असर इंटर स्टेट बस सेवा पर भी पड़ा है. कर्नाटक-महाराष्ट्र के बीच चलने वाली सभी बसों को एहतियातन रोक दिया गया है.
मुंबई समेत महाराष्ट्र के दूसरे हिस्सों से भी दलितों के विरोध प्रदर्शन की खबरें आ रहीं हैं. ठाणे के शास्त्री रोड पर प्रदर्शनकारियों ने बस और ऑटो रिक्शा रोक दी. ट्रैफिक रोकने के लिए प्रदर्शनकारियों ने बसों की हवा भी निकाल दी.
जातीय हिंसा के बाद फैले तनाव को देखते हुए औरंगाबाद में इंटरनेट सेवा रोक दी गई है. बता दें कि मंगलवार को औरंगाबाद जिले में दलितों का विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया था. इसी को लेकर सोशल मीडिया पर अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए प्रशासन ने इंटरनेट सेवा रोकने का फैसला लिया है
ठाणे जिला प्रशासन ने जातीय हिंसा के बाद फैले तनाव को देखते हुए स्कूलों को बंद रखने का आदेश दिया है.
तनाव को देखते हुए ठाणे में धारा 144 लागू की गई है. हालातों का असर पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर भी पड़ा है. कई जगहों पर लोग बसों और ऑटो का इंतजार करते नजर आए. पुणे के बारामती से सतारा जाने वाली बस सेवा को भी रोक दिया गया है.
एक राहगीर ने बताया, 'आज सड़कों पर ऑटो-रिक्शा और बसें बहुत कम हैं. इसका असर पूरे राज्य में है. खास तौर पर ऑफिस जाने वाले लोगों को परेशानी हो रही है.’
मुंबई में तनाव की स्थिति को देखते हुए डब्बावाला आज टिफिन डिलिवरी नहीं करेंगे. मुंबई डब्बावाला एसोसिएशन के नेता सुभाष तालेकर ने कहा है कि एसोसिएशन ने तनाव को देखते हुए आज टिफिन डिलिवरी न करने का फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि आज आने-जाने में और वक्त पर टिफिन डिलिवरी करने में परेशानी हो सकती है इसी को देखते हुए एसोसिएशन ने यह फैसला लिया है.
मुंबई पुलिस ने भीमा-कोरेगांव हिंसा को लेकर फैले तनाव को देखते हुए लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है. पुलिस ने अपील में कहा है, 'लोग अफवाहों पर ध्यान न दें, अपने रोजमर्रा के कामों को जारी रखें. पुलिस प्रशासन किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए तैयार है.
मुंबई के घाटकोपर इलाके के रमाबाई कॉलोनी और ईस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे पर मुंबई पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स की तैनाती की गई है.
भीमा-कोरेगांव हिंसा का असर मुंबई पर भी पड़ा है. दलित संगठनों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए स्कूल बस एसोसिएशन ने बुधवार को बसों को न चलाने का फैसला किया है. एसोसिएशन के नेता अनिल गर्ग ने कहा, 'हालातों को देखते हुए हम मुंबई में आज स्कूल बसें नहीं चलाएंगे, हम बच्चों की सुरक्षा पर रिस्क नहीं ले सकते. दूसरा निर्णय हम 11 बजे लेंगे. अगर हालात ठीक रहे तो सेकेंड हाफ में हम बसों को चला सकते हैं.'
भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं बरसी पर भड़की हिंसा को देखते हुए महाराष्ट्र के ठाणे में धारा 144 लगा दी गई है, जोकि 4 जनवरी की मध्यरात्रि तक लागू रहेगी. कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका को देखते हुए इलाके में भारी सुरक्षा बल तैनात किया गया है.
भीमा-कोरेगांव की लड़ाई इतिहास के पन्नों में दर्ज है. दरअसल, इतिहास में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई का जिक्र है, जोकि 1 जनवरी 1818 को पुणे के कोरेगांव में भीमा नदी के पास हुई थी. यह लड़ाई महार (दलित) और पेशवा सैनिकों के बीच लड़ी गई थी. ब्रिटिश सेना में महार सैनिक थे, जिन्होंने पेशवाओं की सेना को हरा दिया था.
महार सैनिकों की इसी जीत का जश्न मनाने के लिए हर साल महाराष्ट्र और अन्य जगहों से हजारों की संख्या में दलित पहुंचते हैं. बीती 1 जनवरी को भी दलित समुदाय के लोग भीमा-कोरेगांव युद्ध स्मारक पर शौर्य दिवस मनाने पहुंचे थे.
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