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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आज दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. डेढ़ घंटे चली इस बैठक में मराठा आरक्षण, ओबीसी राजनैतिक आरक्षण, ताऊते चक्रवात, मेट्रो शेड, जीएसटी कलेक्शन और मराठी भाषा को क्लासिकल भाषा का दर्जा देने जैसे मुद्दों पर बात हुई.
उद्धव ठाकरे के साथ महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार और कांग्रेस नेता और पीडब्ल्यूडी मंत्री अशोक चव्हाण भी मीटिंग में शामिल हुए.
वहीं खबर ये भी है कि इसके अलावा उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी से व्यक्तिगत मुलाकात भी की. मुलाकात के बाद उद्धव ठाकरे ने कहा, “मैं नवाज शरीफ से मिलने नही गया था, अपने देश के प्रधानमंत्री से मिलने में गलत बात क्या है? जरूरत पड़ी तो फिर मिलूंगा. सत्ता में साथ नही इसका मतलब ये तो नही की हमारा नाता टूट गया.”
पीएम मोदी से वैक्सीनेशन को लेकर भी चर्चा हुई. वहीं उद्धव ठाकरे ने इस बैठक में कोई भी राजनैतिक चर्चा नही होने पर भी जोर दिया.
उद्धव ठाकरे ने मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा,
बता दे कि सीएम उद्धव और पीएम मोदी के बीच पिछले महीने मई में बातचीत हुई थी. कोरोना स्थिति पर अन्य राज्यों के सीएम के साथ पीएम के संवाद में उद्धव भी शामिल थे. लेकिन लंबे समय के बाद दोनों के बीच हुई इस मुलाकात को बोहोत अहम माना जा रहा है.
उद्धव ने इससे पहले पीएम मोदी को 18 साल से ऊपर वैक्सीन और मुंबई के हाफकिन इंस्टिट्यूट में वैक्सीन बनाने के इजाजत मांगने के खत लिखे थे. मोदी ने इन दोनों मांगों को मंजूर भी किया था.
वहीं कुछ ही दिनों पहले एनसीपी चीफ शरद पवार और महाराष्ट्र के विपक्षी नेता देवेन्द्र फडणवीस के बीच हुई मुलाकात के बाद राजनैतिक अटकलें लगाई जा रही थी. शिवसेना के संपादकीय में भी इस बैठक के चलते फडणवीस पर तंज कसा गया था. लेकिन फडणवीस ने इस मुलाकात को महज एक कर्टसी विजिट बताया था. लेकिन अब सीएम उद्धव और पीएम मोदी के बीच हुई मुलाकात ने फिर से महाराष्ट्र में राजनैतिक सरगर्मियां तेज कर दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को स्थगित करने के आदेश दिए हैं. साथ ही ओबीसी का राजनैतिक आरक्षण रद्द करने का निर्णय भी दिया. जिसके बाद राज्य के बीजेपी ने उद्धव सरकार को निशाने पर लिया था. लेकिन जैसे ही आरक्षण के विषय पर उद्धव सरकार की मुश्किलें बढ़ने लगी तब उद्धव सरकार ने केंद्र सरकार से इस विषय मे हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई था. राष्ट्रपति के अधिकार से माहराष्ट्र में मराठाओं को आरक्षण देने की मांग की. जिससे उद्धव सरकार आरक्षण के जटिल मुद्दे की बॉल केंद्र सरकार की कोर्ट में डालने की कोशिश में दिख रही है.
उद्धव ठाकरे की ओर से मांग की गई है कि मराठी भाषा को केंद्र की ओर से स्टेटस दिया जाए, ताकि मराठी भाषा को क्लासिकल भाषा का दर्जा मिल सके.
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