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महाराष्ट्र सरकार ने गुरुवार को अमेरिका की कंपनी हायपरलूप वन से करार किया है. इस करार के बाद दावा किया जा रहा है कि बुलेट ट्रेन से भी ज्यादा तेज गति से यात्रा की जा सकेगी. दावा है कि मुंबई और पुणे के बीच की 150 किलोमीटर की दूरी को महज 15 मिनट में तय किया जा सकेगा.
इससे पहले आंध्र प्रदेश सरकार भी कंपनी से ऐसा करार कर चुकी है. आंध्र प्रदेश के दो शहर विजयवाड़ा और अमरावती के बीच 42.8 किमी के रूट पर भी हायपलूप कैप्सूल (ट्रेन) को चलाने की योजना है.
अब ये कौन सी टेक्नॉलजी है जिससे बुलेट ट्रेन से ज्यादा स्पीड हासिल की जा सकेगी और इसे बनाने वाली कंपनी के बारे में विस्तार से जान लीजिए:
हाइपरलूप कैप्सूल (ट्रेन) की सबसे बड़ी खासियत ये बताई जा रही है कि ये बुलेट ट्रेन से दोगुनी स्पीड से दौड़ेगी. स्पीड के मामले में ये हवाई जहाज से भी तेज होगी. इसके अलावा हाइपरलूप ट्रेन के इस्तेमाल में बिजली का खर्चा बहुत कम होगा और वायू प्रदूषण बिल्कुल भी नहीं होगा. लेकिन इस ट्रेन में एक बार में कम लोग ही सफर कर पाएंगे.
कहा जा रहा है कि हाइपरलूप ट्रेन से दिल्ली-मुंबई के बीच 1400 किमी का सफर सिर्फ 55 मिनट, बैंगलुरु-तिरुवनंतपुरम के 636 किमी रूट को 40 मिनट और बैंगलुरु-चेन्नई के 350 किमी रूट को सिर्फ 20 मिनट में पूरा किया जा सकता है.
हाइपरलूप चुंबकीय शक्ति (मैग्नेटिक पॉवर) पर आधारित ट्रैक पर चलाई जाएगी. इसको चलाने के लिए खंभों के ऊपर एक पारदर्शी ट्यूब बिछाई जाएगी, जिसके भीतर ट्रेन कैप्सूल शक्ल जैसी एक सिंगल बोगी से गुजरेगी. यहां ये ट्रेन 750 मील यानी कि 1224 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकती है.
खंभों के ऊपर पारदर्शी ट्यूब के भीतर हाइपरलूप ट्रेन को भारी दबाव वाले इंकोनेल से बने बेहद पतले स्की पर स्थिर किया जाएगा. उसके बाद स्की में छेदों के जरिये दबाव बनाकर एयर भरा जाएगा. स्की में लगे चुंबक और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक झटके से ही हाइपरलूप ट्रेन को गति मिलेगी.
दुनिया की सबसे तेज स्पीड वाली ट्रेन बनानेवाली कंपनी 'हाइपरलूप वन' ने हाइपरलूप ट्रेन की इस परियोजना के बारे में दुनियाभर को बताया है. इस कंपनी ने कुछ समय पहले भारत में एक सम्मेलन भी आयोजित किया था. जिसमें कंपनी ने दिखाया कि किस तरह से हाइरपरलूप ट्रेन के माध्यम से दिल्ली-मुंबई तक की दूरी महज 55 मिनट में तय की जा सकती है.
हाइपरलूप वन ने दुनिया के कई देशों से हाइपरलूक तकनीक में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है. कंपनी को जवाब में कुल 90 देशों से 2600 कंपनियों का हाइपरलूप ट्रेन बनाने का प्रस्ताव मिला है. इन प्रस्तावों में भारत की भी कई कंपनियां शामिल है.
कंपनी अभी इसके पायलट प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. कंपनी का मानना है कि एक बार पायलट प्रोजेक्ट तैयार होने के बाद ये तकनीक पूरी दुनिया में फैल जाएगी. इस तकनीक पर भारत समेत अमेरिका-दुबई जैसे कई देशों में काम चल रहा है.
(डेटा इनपुट: इंडियन एक्सप्रेस/IANS)
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