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टीआरपी घोटाले (TRP Scam) को लेकर उत्तर प्रदेश में मामला दर्ज होने के बाद, महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में CBI की जांच के लिए दिए गए जनरल कंसेंट यानी कि सामान्य सहमति वापस ले ली है. अब CBI को महाराष्ट्र में हर मामले की जांच के लिए पहले राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी. शिवसेना नेता संजय राउत ने इस पूरे मामले को लेकर CBI पर सवाल उठाते हुए कहा कि केंद्रीय एजेंसी अब छोटे-छोटे मामलों में भी घुसने लगी है.
इसके बाद, महाराष्ट्र सरकार का ये कदम सामने आया है. महाराष्ट्र सरकार के गृह विभाग की तरफ से जारी आदेश में लिखा है कि वो दिल्ली स्पेशल स्थापना एक्ट से सामान्य सहमति वापस लेते हैं. CBI इसी एक्ट द्वारा शासित है.
शिवसेना नेता ने आगे कहा, "CBI छोटे-छोटे मामलों में भी घुसने लगी है. CBI का अपना एक वजूद है. महाराष्ट्र जैसे राज्य में अगर कोई राष्ट्रीय कारण है तो CBI को जांच करने का अधिकार है."
पिछले दिनों सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले की जांच को लेकर भी मुंबई पुलिस और CBI आमने-सामने थी. इस मामले की जांच मुंबई पुलिस ने शुरू की थी, लेकिन सुशांत के पिता द्वारा पटना में FIR के बाद, मामला बिहार पुलिस से लेकर CBI को सौंप दिया गया. इसके बाद CBI ने मुंबई आ कर मामले की जांच की. इस पूरी प्रक्रिया के दौरान मुंबई पुलिस पर कई बार सवाल खड़े किए गए थे.
मामलों की जांच के लिए CBI को दो तरह की अनुमति चाहिए होती है - किसी केस के लिए खास या जनरल. किसी राज्य सरकार के कर्मचारियों या अपराध से संबंधित मामले की जांच CBI तभी कर सकती है, जब उसके पास राज्य सरकार की सहमति होगी.
जनरल सहमति आमतौर पर सीबीआई को राज्यों में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने में मदद करने के लिए दी जाती है. इसे जनरल सहमति कहते हैं क्योंकि लगभग सभी राज्य ये सहमति दे देते हैं, क्योंकि अगर ऐसा नहीं होगा, तो सीबीआई को हर केस के लिए राज्य सरकार से सहमति लेनी होगी.
मुंबई में टीआरपी घोटाला सामने आने के बाद मुंबई पुलिस भी इस मामले की जांच कर रही है. 6 अक्टूबर को पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया था, और इस मामले में सबसे बड़ा नाम रिपब्लिक टीवी का निकलकर सामने आया था. इसके अलावा दो अन्य रीजनल चैनल फख्त मराठी और बॉक्स सिनेमा भी इसमें शामिल बताए गए हैं. रिपब्लिक टीवी ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया है.
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