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महाराष्ट्र के नांदेड़ (Nanded hospital death) के एक सरकारी अस्पताल में मौतों का सिलसिला थम नहीं रहा है. अब अस्पताल में 4 बच्चों समेत सात और लोगों की मौत हो गई. जिसके बाद मौत का आंकड़ा 31 पर पहुंच गया.
पिछले 48 घंटों में शंकरराव चव्हाण सरकारी अस्पताल में मरने वालों की संख्या 31 हो गई है. दम तोड़नेवाले 31 मरीजों में से 16 बच्चे थे. इधर, एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, अस्पताल के डीन डॉ. श्यामराव वाकोडे ने चिकित्सकीय लापरवाही के आरोपों को खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि दवाओं या डॉक्टरों की कोई कमी नहीं है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उचित देखभाल दिए जाने के बावजूद मरीजों पर इलाज का कोई असर नहीं हो रहा है.
महाराष्ट्र सरकार में चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ 3 अक्टूबर को अस्पताल जाएंगे. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा...
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अस्पताल में हुई मौत की विस्तृत जांच की मांग की है. उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा "बेहद दर्दनाक, गंभीर और चिंताजनक" है. कहा जा रहा है कि इन मरीजों ने दवाइयों व इलाज की कमी से दम तोड़ दिया. ऐसी ही घटना अगस्त 2023 में ठाणे के एक सरकारी अस्पताल में हुई जिसमें 18 मरीजों की जान गई थी. पीड़ितों के परिवारजनों के प्रति हमारी गहरी संवेदनाएं हैं. लगातार ऐसे हादसों ने राज्य सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था के ऊपर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है. हम विस्तृत जांच की मांग करते हैं, जिससे इस लापरवाही के मुजरिमों को न्यायपालिका से कठोर सजा मिले.
सासंद संजय राउत ने स्वास्थ्य विभाग की उपेक्षा का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा "महाराष्ट्र की आरोग्य स्थिति हमेशा ऊपर रही है लेकिन पिछले 1 साल से महाराष्ट्र के सभी शासकीय विभाग जिस तरह से काम कर रहे हैं, न स्वास्थ्य मंत्री को चिंता है, न स्वास्थ्य विभाग काम कर रहा है और न ही डॉक्टर काम कर रहे हैं, किसी का नियंत्रण नहीं है. स्वास्थ्य विभाग महाराष्ट्र में सबसे उपेक्षित विभाग है."
राहुल गांधी ने मामले को लेकर बीजेपी को घेरा है. उन्होंने लिखा "नांदेड़, महाराष्ट्र के सरकारी अस्पताल में दवाइयों की कमी से 12 नवजात शिशुओं समेत 24 लोगों की मृत्यु का समाचार अत्यंत दुखद है. सभी शोकाकुल परिवारों को अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं. बीजेपी सरकार हजारों करोड़ रुपए अपने प्रचार पर खर्च कर देती है, मगर बच्चों की दवाइयों के लिए पैसे नहीं हैं? बीजेपी की नजर में गरीबों की जिंदगी की कोई कीमत नहीं है.
एनसीपी नेता शरद पवार ने कहा है "ये सरकारी तंत्र के फेल होने का परिणाम है. उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की गंभीरता पर विचार करते हुए ठोस कदम उठाए, जिससे ऐसे मामले दोबारा ना हों और मरीजों की जान बचाई जा सके.
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी इसके पीछे जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई और पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिए जाने की मांग की है.
उन्होंने कहा, "दवाओं की कमी के चलते महाराष्ट्र में 12 शिशुओं समेत 24 मरीजों की मौत का दुखद समाचार प्राप्त हुआ. ईश्वर दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करें. शोक-संतप्त परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं. जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई हो और पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिया जाए.''
अस्पताल के डीन ने 2 अक्टूबर को मीडिया को बताया था कि 30 सितंबर-1 अक्टूबर को अस्पताल में मरने वाले 12 नवजातों की 0-3 दिन की उम्र थी. उनका वजन "बहुत कम" था. शिशु रोग विभाग में 142 भर्ती हैं, जिनमें से 42 की हालत अभी भी गंभीर है. मरीज हिंगोली, परभणी और वाशिम सहित पड़ोसी जिलों से हैं. कुछ पड़ोसी तेलंगाना के गांवों से हैं"
दो महीने पहले ही अगस्त में ठाणे के कलवा में छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल में 24 घंटों में 18 मरीजों की मौत हो गई थी. उनमें से बारह की उम्र 50 साल से अधिक थी.
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