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महाराष्ट्र के वर्धा (Wardha) के सैकड़ों किसान अपनी लंबित मांगों को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. विरोध-प्रदर्शन के दौरान कई किसान मंगलवार, 29 अगस्त को लंबित मांगों पर दबाव बनाने के लिए राज्य सरकार के मुख्यालय, मंत्रालय के प्रतीक्षा कक्ष में लगाए गए भारी सुरक्षा जालों पर कूद गए.
किसान कथित तौर पर वहां स्थापित एक चिकित्सा शिविर में भाग लेने के लिए छोटे समूहों में मंत्रालय के अंदर आए थे. लेकिन अचानक उन्होंने सरकार के खिलाफ नारे लगाने शुरू कर दिए और पीडब्ल्यूडी मंत्री दादा भुसे का घेराव करने की कोशिश की और फिर सुरक्षा जाल पर कूद गए. किसानों ने 'अपर वर्धा एक्शन कमेटी' लिखे काले पोस्टर भी लहराए और कहा कि बार-बार याद दिलाने के बावजूद उनकी मांगें नहीं मानी गईं.
किसान नेताओं ने दावा किया कि कई किसानों ने लगभग चार महीने पहले प्रस्तावित ऊपरी वर्धा बांध परियोजना के लिए सरकार को अपनी जमीनें दे दी थीं, लेकिन अब तक उन्हें आश्वासन के मुताबिक कोई मुआवजा नहीं दिया गया है.
प्रदर्शनकारी किसानों में से एक ने चेतावनी दी कि हम कई हफ्तों से मंत्रालय और संबंधित विभागों के चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन हमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे या उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार से मिलने की अनुमति नहीं है... अगर सरकार कल तक कार्रवाई करने में विफल रहती है, तो हम आत्महत्या कर लेंगे.
बाद में, भुसे उनके प्रतिनिधियों से मिलने और उन्हें शांत करने के लिए गए. इसके बाद पुलिस ने सुरक्षा-जाल से किसानों को एक-एक करके सुरक्षित स्थान पर हटा दिया.
शिवसेना (यूबीटी) के किसान चेहरे किशोर तिवारी ने कहा कि "यह वर्तमान राज्य सरकार की किसानों के प्रति पूर्ण असंवेदनशीलता का एक और उदाहरण है" जिसके कारण वे महाराष्ट्र में लगभग हर दिन आत्महत्या कर रहे हैं.
आम आदमी पार्टी की मुंबई अध्यक्ष प्रीति शर्मा-मेनन ने चिंता व्यक्त करते हुए इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना की.
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