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डॉक्टरों की जरूरत कहां नहीं होती है, फिर चाहे वो शहर हो या गांव हर जगह लोगों को अच्छे डॉक्टर की तलाश होती है. लेकिन भारत के ग्रमीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी होती है. क्योंकि अच्छे कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री लेने वाले डॉक्टर गांव में काम करने को तैयार नहीं होते हैं. इसी को देखते हुए अब महाराष्ट्र सरकार ने एक नई पहल की है. जिसमें उन लोगों को एमबीबीएस में कोटा दिया जाएगा, जो 5 साल तक ग्रामीण इलाकों में काम करने के लिए तैयार हैं.
महाराष्ट्र सरकार का आरक्षण का यह ऑफर जितना आसान दिखता है उतना है नहीं. 10 प्रतिशत कोटे के लालच में अगर किसी ने ये ऑफर स्वीकार कर लिया और बाद में ग्रामीण इलाकों में सेवा देने से इनकार किया तो अंजाम काफी बुरा हो सकता है. महाराष्ट्र सरकार ने ऐसा करने वालों को 5 साल तक की जेल और डिग्री रद्द करने का प्रावधान रखा है. इसका मतलब जिसने कोटा लेकर डिग्री ली है, उसे ग्रामीण इलाकों में अगले 5 साल तक सेवा देनी ही होगी.
राज्य के तहत आने वाले सभी मेडिकल कॉलेजों में ये नई योजना लागू होगी. सरकार की तरफ से कहा गया है कि इस कोटा स्कीम के तहत करीब 450 से लेकर 500 सीटें रखी जाएंगी. वहीं सर्विस कर रहे डॉक्टर्स के लिए पीजी की करीब 300 सीटें देनी होंगी.
इस स्कीम के बारे में डायरेक्टरेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च के प्रमुख डॉ. टीपी लहाने ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया,
महाराष्ट्र के मंत्रिमंडल ने भी इस फैसले को अपनी मंजूरी दे दी है और अब जल्द ही इसके लिए विधानसभा में बिल पेश किया जाएगा. जिसके बाद राज्य के हर मेडिकल कॉलेज में ये नई स्कीम लागू होगी. सरकार की इस स्कीम को लेकर ज्यादातर जानकारों की राय भी पॉजिटिव है.
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